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संत पापा फ्रांसिस, ब्रुसेल्स में मिस्सा बलिदान के दौरान संत पापा फ्रांसिस, ब्रुसेल्स में मिस्सा बलिदान के दौरान  (ANSA)

संत पापाः दुराचार को न ढ़कें

संत पापा फ्रांसिस ने बेल्जियम और लक्समबर्ग की अपनी प्रेरितिक यात्रा के अंतिम चरण में ब्रुसेल्स के किंग बाउडोइन स्टेडियम में मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए येसु की अन्ना को धन्य घोषित किया।

वाटिकन न्यूज

संत पापा ने रविवारीय धर्मविधि हेतु निर्धारित सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए तीन बातों-खुलेपन, एकता और साक्ष्य पर अपने चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि येसु ख्रीस्त अपने शिष्यों को किसी के लिए ठोकर का कारण बने से सचेत कराते हैं।

खुलेपन पर चिंतन करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि पहला पाठ और सुसमाचार हमारे लिए पवित्र आत्मा के स्वतंत्र कार्य की चर्चा करता है। पहले पाठ में हम पवित्र आत्मा को मूसा के संग शिविर में निवास कर रहे न केवल बुजुर्गों को बल्कि अन्य दो लोगों को भविष्यवाणी के उपहार से पोषित होता सुनते हैं।

यह हमें इस बात पर चिंतन करने को अग्रसर करता है कि दो व्यक्ति चुने हुए दल के अंग नहीं थे जो दूसरो के लिए निंदा का कारण होते हैं। पवित्र आत्मा से पोषित होने के बाद उन्हें प्रेरितिक कार्य करने से रोकना जाना, निंदनीय होता है। मूसा, जो एक नम्र और विवेकी व्यक्ति हैं इस बात को समझते हैं और खुले मन और हृदय से जवाब देते हैं- “क्या ईश्वर सभी को प्रेरणा प्रदान करते और प्रभु की सारी प्रजा भविष्यवाणी करती है।”        

येसु का आश्चर्य

संत पापा ने कहा कि ये विवेकपूर्ण शब्द सुसमाचार में येसु के वचनों की झलक प्रस्तुत करते हैं जहाँ वे अपने शिष्यों को इस बात के लिए फटकारते हैं क्योंकि वे किसी व्यक्ति को चमत्कार करने से रोक रहे होते हैं क्योंकि वह उनके दल का अंग नहीं था। येसु उन्हें मना करते हुए अपने से परे चीजों को देखने और समझने का आहृवान करते हैं, वे उन्हें ईश्वर से आने वाली स्वतंत्रता से भ्रमित नहीं होने का निमंत्रण देते हैं। वे उन्हें कहते हैं, “उसे मत रोको, वह जो हमारे विरूध नहीं है वह हमारे साथ है।”

प्रेरिताई ईश्वर का उपहार

संत पापा ने मूसा और येसु की बातों पर ध्यान से चिंतन करने का आहृवान किया जो हमारे और हमारे ख्रीस्तीय जीवन का अंग है। वास्तव में, बपतिस्मा में हमने कलीसिया के प्रेरितिक कार्य को पाया है। यह हमारे लिए एक उपहार है न कि शेखी बघारने का एक कारण। विश्वासियों का समुदाय अपने में किसी विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति का चुनिंदा समूह नहीं है, यह बचाये गये लोगों का एक परिवार है। हम इस दुनिया में सुसमाचार का प्रचार करने के लिए भेजे गये हैं अपनी अच्छाइयों के अनुरूप नहीं बल्कि ईश्वर की कृपा के आधार पर। हमारे पापों और कमजोरियों के बावजूद ईश्वर हमें अपनी दया दिखलाना जारी रखते और हमारे प्रति निष्ठावान बने रहते हैं। वे हमें बुलाते और भेजते हैं तथा धैर्यपूर्वक हमारे साथ रोज दिन चलते हैं।

प्रेरिताई हेतु नम्रता, कृतज्ञता और प्रेम जरूरी

संत पापा ने कहा कि यदि हम पवित्र आत्मा के स्वतंत्रपूर्ण कार्यो के संग प्रेमपूर्ण और सतर्कता में सहयोग करना चाहते तो हमें अपने प्रेरितिक कार्यो को नम्रता, कृतज्ञता और प्रेम में करने की जरुरत है। हमें दूसरों के प्रति अपने कार्यों को लेकर क्रोधित नहीं होना चाहिए बल्कि इस बात के लिए खुश होना चाहिए कि ईश्वर का राज्य हमारे द्वारा तब तक विकासित होता है जब तक हम पिता की बांहों में एक नहीं हो जाते हैं।

एकता पर अपने चिंतन व्यक्त करते हुए संत पापा ने कहा कि हम इसे दूसरे पाठ, संत याकूब के पत्र में दो सजीव चिन्हों में व्यक्त पाते हैं- धन जो हमें भ्रष्ट करता है और खेतीहारों का विरोध जो ईश्वर के कानों तक पहुंचता है। यह स्वयं का दान करना है जो हमें जीवन की राह में अग्रसर करता है जो हमें प्रेम में दूसरों के संग संयुक्त करता है। वहीं स्वार्थ का मार्ग हमें बंद कर देता, जहाँ हम अपने में सीमित होते, दीवार और रोड़ाओं को उत्पन्न करते हैं जो हमें भौतिकता की चीजों में कैद कर देती और हमें ईश्वर तथा अपने भाई-बहनों से अलग करती है।

स्वार्थ निंदनीय है

संत पापा ने कहा कि स्वार्थ अपने में निंदनीय है क्योंकि यह उन्हें कुचल देता जो छोटे हैं। यह व्यक्तियों के सम्मान की अवहेलना करता और दुःखियों की पुकार को दबा देता है। यह अतीत संत पौलुस के समय की समस्या थी जो अब भी बनी हुई है। “क्या होगा यदि हम अपनी इच्छाओं और बाजार की मानसिकता को प्रथामिकता देते होंॽ उन्होंने कहा कि ऐसा होने से उन लोगों के लिए कोई स्थान नहीं रह जायेगा जो जरुरतमंद हैं, न ही उनके लिए करूणा जो गलती करते हैं, और न ही उनके लिए प्रेम जो दुःख सहने के कारण जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। उनकी पुकार अपने में अनसुनी रह जायेगी।

दुराचार को ढ़कें नहीं

संत पापा ने विश्वासियों के लिए ठोकर का कारण बनने वाले कार्यों पर जोर दिया जिन्हें कई बार दुराचार के शिकारों और उनके परिवारों को अपने में वहन करना होता है। उन्होंने कहा कि मैंने कल उनमें से कई लोगों से भेंट की, मैंने उनकी दुःखद घटनाओं को सुना। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कलीसिया में सबों के लिए स्थान है, लेकिन हम अपने दुराचार कार्यों के लिए न्याय के हकदार होंगे, जिसका कलीसिया में कोई स्थान नहीं है। हम इसे ढ़ककर नहीं रख सकते हैं। “मैं सभों से आग्रह करता हूँ आप दुराचार को न ढ़कें।” उन्होंने कहा कि मैं आप से आग्रह करता हूँ, धर्माध्यक्षों से आप इसे न ढ़कें। दुराचारियों को दोषी करार दें और उन्हें इस बीमारी से चंगाई प्राप्त करने में मदद करें। बुराई अपने में छिपी नहीं रह सकती है- हमें इसे खुले में लाने की जरुरत है जिससे इसके बारे में पता चले। हम दुराचारियों का न्याय करें चाहे वह लोकधर्मी हो, पुरोहित हो या एक धर्माध्यक्ष, हम उसका न्याय़ करें।

संत पापाः दुराचार को न ढ़कें

निंदनीय बातों का परित्याग करें

ईश्वर का वचन हमारे लिए स्पष्ट है। खेतीहारों का विरोध और दुखियों की पुकार नजरअंदाज नहीं की जा सकती है। हम उन्हें यूं ही नहीं मिटा सकते हैं मानों वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सुरों के बीच में बेसुरे राग हों। वे आत्मा की जीवित वाणी हैं क्योंकि वे हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि हम सभी गरीब पापी हैं जो मनपरिवर्तन हेतु बुलाये गये हैं। हमें इन भविष्यवाणी स्वरों को दबाना या अपनी उदासीनता में शांत नहीं करना चाहिए। सुसमाचार की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए संत पापा ने कहा कि हमें निंदनीय आखों, हाथों, पैरों को पीछे छोड़ने की जरुरत है, जो जरुरतमंदों की सहायता में आगे नहीं आते हैं। हम अपनी इस मानसिकता का परित्याग करें, उन चीजों पर कुछ भी ठोस या अच्छा स्थापित नहीं किया जा सकता है।

करूणा हमारा आधार बनें

यदि हम भविष्य के बीच बोने की चाह रखते तो हमें करूणा के सुमाचार को आधार बनाना होगा। अन्यथा, हमारी समृद्धि के स्मारक, चाहे कितने भी भव्य क्यों न दिखें, वे मिट्टी के पैरों वाले विशालकाय स्मारकों से अधिक कुछ नहीं होंगे। हम अपने को धोखा न दें, प्रेम के बिना कुछ नहीं टिकता है। सारी चीजें टूट कर बिखर जाती हैं और हम एक पाखंडी दुनिया में क्षणभंगुर, खाली और अर्थहीन जीवन के कैदी बनकर रह जाते हैं।

साक्ष्य के बारे में संत पापा ने कहा कि बेल्जियम में कलीसिया का इतिहास अपने उदाहरणों में पवित्रता से समृद्ध है। उन्होंने उन सभी संतों की चर्चा की जिन्होंने प्रेरितों के रुपों में विश्व के विभिन्न स्थानों पर सुसमाचार का प्रचार करते हुए अपने जीवन को बलिदान कर दिया।

धर्मसंघियों का साक्ष्य

उन्होंने कहा कि इस उपजाऊ भूमि में एक कार्मेलाइट धर्मबहनों की गवाही भी पुष्पित हुई है: येसु की ऐनी, जिन्हें आज हम धन्य धोषित कर रहे है, एक महान सुधार आंदोलन के नायकों में से एक थी। उसने “आत्मा की  दिग्गज”, अविला की तेरेसा के पदचिन्हों का अनुसरण किया, और पूरे स्पेन, फ्रांस, यहाँ ब्रुसेल्स में जिसे तब स्पेनिश नीदरलैंड कहा जाता था, में उसके आदर्शों को फैलाने में मदद की।

ईसाई समुदाय के भीतर और बाहर दर्दनाक घोटालों के समय में, उन्होंने और उनके साथियों ने गरीबी, प्रार्थना, काम और दान के अपने सरल जीवन द्वारा कई लोगों को विश्वास में वापस लाया। कुछ लोगों ने इस शहर में उनके संघ को “आध्यात्मिक चुंबक” कहा है।

उन्होंने अपने पीछे लेखों को नहीं छोड़ा, इसके बदले उन्होंने उन चीजों का अभ्यास किया जिसे उसने जीवन में सीखा था। इस भांति अपने जीवन के द्वारा उनसे एक बड़ी कठिन स्थिति में कलीसिया को उठाने में मदद की।

संत पापा ने उसे “नारित्व की पवित्र शैली” कोमलता लेकिन मजबूती को जीवन में अनुसरण करने का आहृवान किया। उसका साक्ष्य हम से दूर नहीं है यह हमारे निकट है जो हम सभों को दिया जाता है जिसे हम उसे अपना बना सकें, और अपनी निष्ठा को नवीन करते हुए येसु के पद चिन्हों में एक साथ चल सकें।

 

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29 सितंबर 2024, 15:12
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