भारतीय कलीसिया ने बच्चों को विश्वास में बढ़ाने के लिए अद्वितीय कार्यक्रम शुरू किया
लीकास न्यूज़
महाधर्मप्रांत की धर्मशिक्षा आयोग की देखरेख में की जानेवाली इन पहलों का उद्देश्य बपतिस्मा से लेकर प्रथम पवित्र परमप्रसाद तक बच्चों के आध्यात्मिक विकास को पोषित करना है।
भारत में समाचार सेवा काथलिक कनेक्ट के अनुसार, इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य चार नए शुरू किए गए “पैरा-सेक्रामेंट्स” हैं, जो बच्चों को उनकी धार्मिक शिक्षा के विभिन्न चरणों में शामिल करते हैं। रविवार के ख्रीस्तयाग या विशेष पर्व के दिनों में आयोजित किए जानेवाले इन समारोहों का उद्देश्य विश्वास के साथ घनिष्ठ संबंध को बढ़ावा देना है, साथ ही सक्रिय पारिवारिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना भी है।
इन पहलों में प्री-किंडरगार्डन के बच्चों के लिए जनवरी में एक कार्यक्रम शामिल है, जहाँ वे गीतों, पाठों और नाटकों के माध्यम से अपना विश्वास व्यक्त कर सकते हैं।
यह कार्यक्रम उत्सवपूर्ण और स्वागतपूर्ण माहौल बनाने के लिए बनाया गया है, जिसमें चॉकलेट और लोकप्रिय पात्रों जैसे तत्वों को शामिल किया गया है ताकि यह अनुभव छोटे बच्चों के लिए आनंददायक और सुलभ हो।
पहली कक्षा के बच्चों को एक धातु का क्रूस दिया जाता है जिसपर बाईबल का एक खास वाक्यांश लिखा होता है। "लाइफटाइम क्रॉस" के नाम से मशहूर इस वस्तु की लोकप्रियता वयस्कों में भी बढ़ गई है।
क्रूस को बच्चों और पल्लीवासियों दोनों के द्वारा आशीष दिया जाता है और पहना जाता है, इसके वितरण के दौरान एक धार्मिक व्याख्या भी दी जाती है।
तीसरी कक्षा के बच्चों के लिए, महाधर्मप्रांत एक लकड़ी की रोजरी और चमड़े की थैली प्रदान करता है, जो प्रार्थना के महत्व का प्रतीक है।
इस समारोह के दौरान, माता-पिता को एक परिवार के रूप में प्रार्थना करने के लिए सहमत होकर अपने बच्चों के प्रार्थनामय जीवन में अपना समर्थन देने हेतु आमंत्रित किया जाता है।
पाँचवीं कक्षा में, बच्चों को उनकी पहली बाइबिल दी जाती है, जो अंग्रेजी और तमिल दोनों में उपलब्ध है, साथ ही उन्हें प्रतिदिन उसका पाठ करने का प्रोत्साहित दिया जाता है।
यह उपहार, जो उनके पढ़ने की क्षमता को बढ़ाने में भी मददगार है, इसका उद्देश्य उनके दिनचर्या में बाईबिल के अध्ययन की आदत डालना है।
इन पैरा-सेक्रामेंट्स को पिछले वर्ष समुदाय से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है, साथ ही पड़ोसी धर्मप्रांतों ने भी इसी तरह की पहल को अपनाने में रुचि दिखाई है।
धर्मशिक्षा कमीशन ने आशा व्यक्त की कि ये कार्यक्रम युवा काथलिकों को प्रेरित करते रहेंगे और उनके आध्यात्मिक विकास में योगदान देंगे।
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