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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

देवदूत प्रार्थना में पोप : पूर्वाग्रह पर आधारित विश्वास सच्चा नहीं होता

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान, पोप फ्राँसिस ने ख्रीस्तीयों से सच्चे विश्वास और प्रार्थना को अपनाने का आग्रह किया जो हमारे दिलों को खोलता और कभी भी हमारे पूर्वाग्रहों पर आधारित नहीं होता।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार, 11 अगस्त 2024 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 11 अगस्त को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

उन्होने कहा, “आज की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ (यो.6:41-51) हमें येसु के उस कथन पर यहूदियों की प्रतिक्रिया के बारे बतलाता है, “मैं स्वर्ग से उतरा हूँ।”(यो. 6:38) संत पापा ने कहा, “वे ठोकर खा गये।”

वे आपस में भुनभुनाने लगे : क्या यह यूसुफ का बेटा नहीं है, क्या हम इनके माँ-बाप को नहीं जानते? तो यह कैसे कह सकता है कि मैं स्वर्ग से उतरा हूँ?” (यो. 6:42)

संत पापा ने विश्वासियों से कहा, “आइये, हम उनकी बातों पर ध्यान दें। उनका पूरा मानना है कि येसु स्वर्ग से नहीं आ सकते, क्योंकि वे एक बढ़ई के बेटे हैं और क्योंकि उनकी माँ और उनके भाई आम लोग हैं, दूसरों के समान परिचित, सामान्य लोग।”

कठोर हृदय आध्यात्मिक विकास रोक देता है

उन्हें लगता है कि ईश्वर खुद को ऐसे साधारण तरीके से कैसे प्रकट कर सकते हैं? इस तरह वे येसु के मूल को लेकर पूर्वाग्रह के कारण अपने विश्वास में अटके हुए हैं और वे उनसे कुछ भी सीखना नहीं चाहते हैं। पूर्वधारणाएँ और अनुमान, हमें कितना नुकसान पहुँचाते हैं! वे भाइयों के बीच ईमानदार बातचीत, मेल-मिलाप को रोकते हैं: पूर्व धारणाओं और अनुमान से सावधान रहें!

उनकी मानसिकता कठोर है और उनके दिल में उन चीज़ों के लिए कोई जगह नहीं है जो उनके हिसाब से उपयुक्त नहीं हैं, जिन्हें वे सूचीबद्ध करने में असमर्थ हैं और अपनी सुरक्षा की धूल भरी अलमारियों में संग्रहित नहीं कर सकते। और यह सच है: कई बार हमारी प्रतिभूतियाँ पुरानी किताबों की तरह बंद, धूल भरी होती हैं।

फिर भी वे सहिंता का पालन करनेवाले लोग हैं, दान देते, उपवास करते एवं प्रार्थना के समय का सम्मान करते हैं। ख्रीस्त ने पहले ही कई चमत्कार किए हैं (यो. 2:1-11) फिर भी, यह उन्हें ख्रीस्त को पहचानने में मदद नहीं करता? क्योंकि वे अपने धार्मिक कार्यों को प्रभु को सुनने के लिए नहीं, बल्कि जो वे पहले से ही सोचते हैं, उसकी पुष्टि पाने के लिए करते हैं। यह इस तथ्य से प्रकट होता है कि वे येसु से स्पष्टीकरण मांगने से बाज नहीं आते; वे उनके विरुद्ध आपस में बड़बड़ाने तक ही सीमित रहते हैं (यो. 6:41), मानो वे एक दूसरे को अपनी बातों पर यकीन दिलाना चाहते हों, खुद को इस तरह बंद कर लिये हों जैसे कि वे किसी अभेद्य किले में बंद हों। और इसलिए, वे विश्वास करने में असमर्थ हैं।

सच्चा विश्वास एवं सच्ची प्रार्थना हृदय खोलता, उसे बंद नहीं करता है

 संत पापा ने कहा, “आइये, हम इन बातों पर ध्यान दें, क्योंकि कभी-कभी हमारे साथ भी यही बात घटित हो सकती है, हमारे विश्वास के जीवन में और हमारी प्रार्थना में: यह हमारे साथ भी हो सकता है, अर्थात्, प्रभु हमसे जो कहना चाहते हैं उसे सचमुच सुनने के बजाय, हम जो सोचते हैं, हम सिर्फ अपनी धारणाओं, अपने निर्णयों की पुष्टि के लिए प्रभु और दूसरों की ओर देखते हैं। लेकिन ईश्वर को संबोधित करने का यह तरीका हमें वास्तव में उनसे सामना करने में मदद नहीं करता, न ही हमें उनके प्रकाश और अनुग्रह के उपहार के लिए स्वयं को खोलने में मदद करता है, कि हम अच्छाई में बढ़ सकें, उनकी इच्छा पूरी कर सकें और असफलताओं एवं कठिनाइयों पर विजय पा सकें।”

संत पापा विश्वासियों को चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “सच्चा विश्वास और सच्ची प्रार्थना, मन और हृदय को खोलते हैं; वे उन्हें बंद नहीं करते। जब आप किसी ऐसे व्यक्ति को पाते हैं जो प्रार्थना में, मन में बंद है, तो वह विश्वास और वह प्रार्थना सच्ची नहीं है।

तो फिर, आइए हम खुद से पूछें: मेरे विश्वास के जीवन में, क्या मैं अपने भीतर सचमुच मौन रहने और ईश्वर को सुनने में सक्षम हूँ? क्या मैं अपनी मानसिकता से परे उनकी आवाज का स्वागत करने के लिए और साथ ही, उनकी मदद से, अपने डर पर काबू पाने के लिए तैयार हूँ?

तब माता मरियम से प्रार्थना करते हुए कहा, “कुँवारी मरियम हमें प्रभु को विश्वास के साथ सुनने और उनकी इच्छा को साहस के साथ पूरा करने में मदद करें।”

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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11 अगस्त 2024, 15:52

ताजा देवदूत प्रार्थना/स्वर्ग की रानी

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