खोज

शांति के लिये स्कूल नेटवर्क के सदस्यों से  साक्षात्कार के क्षण सन्त पापा फ्राँसिस, 19.04.2024 शांति के लिये स्कूल नेटवर्क के सदस्यों से साक्षात्कार के क्षण सन्त पापा फ्राँसिस, 19.04.2024 

"शांति के लिए स्कूल" के शिक्षकों से सन्त पापा फ्राँसिस

"शांति के लिए स्कूल" के शिक्षकों के विश्वव्यापी नेटवर्क के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। इस अवसर पर सन्त पापा फ्रांसिस ने शांति निर्माण के हर प्रयास की सराहना की तथा उदासीनता और व्यक्तिवाद का खण्डन किया।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): "शांति के लिए स्कूल" के शिक्षकों के विश्वव्यापी नेटवर्क के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। इस अवसर पर सन्त पापा फ्रांसिस ने शांति निर्माण के हर प्रयास की सराहना की तथा उदासीनता और व्यक्तिवाद का खण्डन किया।  

अभिवादन और धन्यावाद ज्ञापन

इन शब्दों से सन्त पापा ने प्रतिभागियों का अभिवादन कियाः "एक बार फिर "शांति के लिए स्कूल" के राष्ट्रीय नेटवर्क से मिलकर मुझे बेहद खुशी हुई है। मैं आप सभी का स्वागत करता तथा आपको आपके विचारों, पहलों, प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों और गतिविधियों से भरी इस यात्रा के लिए धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ, जिसका उद्देश्य विश्व की एक नई दृष्टि को बढ़ावा देना है।"

उन्होंने कहाः "मानवीय गरिमा को विकृत करने वाली नाटकीय स्थितियों, अन्यायों और हिंसा के बीच, सौन्दर्य  और आम भलाई के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में उत्साह से भरे रहने के लिए धन्यवाद। धन्यवाद क्योंकि जुनून और उदारता के साथ आप "भविष्य के निर्माण स्थल" पर काम करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करते हैं।"

साथ ही सन्त पापा ने शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया जो केवल आज पर केंद्रित जीवन के प्रलोभन पर काबू पाने के लिये प्रयासरत रहा करते हैं। सन्त पापा ने कहा  आज पहले से कहीं अधिक, ज़िम्मेदारी के साथ जीने, अपने क्षितिज को व्यापक बनाने, आगे देखने और दिन-ब-दिन शांति के बीज बोने की ज़रूरत है जो कल अंकुरित होकर फल देने में सक्षम होंगे।

नायक बनें, दर्शक नहीं

"शांति के लिए स्कूल" के शिक्षकों से सन्त पापा ने कहा, आप इस महान सपने को अपने दिल में रखते हैं, "शांति के ख़ातिर और सावधानीपूर्वक आइये हम भविष्य को बदलें।" उन्होंने कहा कि इसी विषय पर मैं संक्षेप में ध्यान केंद्रित करके आपको कुछ ऐसी बात बताना चाहता हूं जिस पर मैं बहुत विश्वास करता हूं, और वह यह कि आपको नायक बनने के लिए बुलाया गया है भविष्य का दर्शक बनने के लिए नहीं।

सन्त पापा ने कहा, "शांति के लिए स्कूल" के शिक्षकों के इस विश्व शिखर सम्मेलन का आयोजन, वास्तव में, हमें याद दिलाता है कि हम सभी के सामने एक बेहतर भविष्य के निर्माण की चुनौती है और सबसे बढ़कर यह बात कि  हमें इसे एक साथ मिलकर करना है! अस्तु, हम "आने वाले विश्व" और इसकी समस्याओं के समाधान के बारे में चिंताओं को केवल निर्दिष्ट संस्थानों और उन लोगों को नहीं सौंप सकते जिनकी विशेष सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारियाँ हैं।

उन्होंने कहा कि यह सच है कि इन चुनौतियों के लिए विशिष्ट कौशल की आवश्यकता होती है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि वे हमसे निकटता से संबंधित हैं, वे हर किसी के जीवन को छूते हैं और हममें से प्रत्येक से सक्रिय भागीदारी और व्यक्तिगत प्रतिबद्धता की मांग करते हैं।

हमारा लक्ष्य है आम भलाई

सन्त पापा ने इस बात को रेखांकित किया कि एक वैश्वीकृत दुनिया में, जहां हम सभी एक दूसरे पर निर्भर हैं, अकेले व्यक्तियों के रूप में आगे बढ़ना संभव नहीं है। इसके बजाय हमें एक दूसरे से संयुक्त होने, जुड़ने, तालमेल रखने और सद्भाव में काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है मैं से हम की ओर बढ़ना: यह नहीं कि "मैं अपनी भलाई के लिए काम करता हूं", बल्कि "हम आम भलाई के लिए, सभी की भलाई के लिए काम करते हैं"।

उन्होंने कहा कि वास्तव में, आज की चुनौतियाँ, और सबसे बढ़कर "वे जोखिम, जो विश्वव्यापी स्तर पर काले बादलों की तरह हमारे ऊपर मंडरा रहे हैं, हमारे भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं। वे हम सभी को चिंतित करते हैं, वे पूरे मानव समुदाय पर सवाल उठाते हैं, उन्हें एक सामूहिक सपने के साहस और रचनात्मकता की आवश्यकता होती है जो हमारे ग्रह के पर्यावरणीय, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संकटों का एक साथ सामना करने के लिए निरंतर प्रतिबद्धता को प्रेरित करता है।"

सतत प्रार्थना करें

सन्त पापा ने कहा यह एक ऐसा सपना है जिसके लिए आपको जागते रहना होगा,  क्योंकि यह काम करने से होता है, सोने से नहीं; सड़कों पर चलना, सोफ़े पर न लेटना; आईटी टूल्स का अच्छे से उपयोग करना, सोशल मीडिया पर समय बर्बाद न करना, इन तथ्यों पर ध्यान देना होगा। सन्त पापा ने कहा कि यह विश्वास भी करना होगा कि इस प्रकार का सपना अकेले अपनी ताकत से साकार नहीं होता बल्कि इसके लिये सतत प्रार्थना करने की यानी ईश्वर के साथ सामीप्य करने से होता है।

शांति और देखभाल इन दो शब्दों पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि शांति, वास्तव में, केवल हथियारों की चुप्पी और युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है; यह परोपकार, विश्वास और प्रेम का माहौल है जो देखभाल वाले रिश्तों पर आधारित समाज में परिपक्व हो सकती है, जिसमें व्यक्तिवाद और उदासीनता की जगह नहीं है बल्कि दूसरों पर ध्यान देने की ज़रूरत है जो सुनने की क्षमता का मार्ग प्रशस्त करती और इस प्रकार, उनके घावों को ठीक करती है।

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

19 April 2024, 10:30