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ऐतिहासिक विज्ञान के लिए परमधर्मपीठीय समिति के सदस्यों के साथ संत पापा फ्राँसिस ऐतिहासिक विज्ञान के लिए परमधर्मपीठीय समिति के सदस्यों के साथ संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

संत पापा ने इतिहासकारों को मानवता के विशेषज्ञ और सेवक बताया

संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के कंसिस्टरी हॉल में सामाजिक विज्ञान के लिए परमधर्मपीठीय समिति की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर समिति के सदस्यों से मुलाकात की।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार 20 अप्रैल 2024 : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को अपने पूर्ववर्ती संत पापा पॉल षष्टम को उद्धृत करते हुए कहा, कलीसिया और आधुनिक दुनिया के बीच संवाद में इतिहासकारों का "विशिष्ट योगदान" है। शांति स्थापित करने के लिए इतिहास का अध्ययन आवश्यक है।

ऐतिहासिक विज्ञान के लिए परमधर्मपीठीय समिति के सदस्यों को उनकी पूर्ण बैठक के दौरान संबोधित करते हुए, संत पापा ने उनके "अंतर्राष्ट्रीय आयाम और बहुसांस्कृतिक गतिशीलता" के साथ-साथ "वैश्विक स्तर पर ऐतिहासिक सत्य की खोज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता" पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि समिति का "समृद्ध" दृष्टिकोण चल रहे वैश्विक संघर्ष के सामने आवश्यक "सांस्कृतिक कूटनीति" में योगदान दे सकता है। संत पापा ने सदस्यों से "बातचीत के क्षितिज खोलने का आह्वान किया जहां वे सुसमाचार की आशा की रोशनी ला सकते हैं।

मुलाकात की सभ्यता का निर्माण

संत पापा फ्राँसिस ने इतिहासकारों और कलीसिया के बीच मौजूद "निकटता" पर प्रकाश डाला, यह निकटता सत्य की सामान्य खोज और सत्य की सेवा पर आधारित है। एक बार फिर संत पापा पॉल षष्टम को उद्धृत करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "कलीसिया हर उम्र की महिलाओं और पुरुषों के साथ इतिहास में चलती है और किसी भी संस्कृति से संबंधित नहीं है, लेकिन सुसमाचार की नम्र और साहसी गवाही के साथ हर संस्कृति के दिल को जीवंत बनाना चाहती है और साथ मिलकर मुलाकात की सभ्यता का निर्माण करना चाहती है।''

यह मनोभाव "टकराव की असभ्यता" का विरोध करता है जो आत्म-संदर्भ और विचारधारा द्वारा पोषित है। संत पापा ने खुद पर केंद्रित कलीसिया के खिलाफ चेतावनी दी और "दिव्य उद्धारकर्ता और मानवता के बीच वास्तव में विनम्र और उत्कृष्ट मध्यस्थ" के रूप में कलीसिया के मिशन को याद दिलाया।

यह याद करते हुए कि इस वर्ष समिति अपनी स्थापना की 70वीं वर्षगांठ मना रही है, संत पापा फ्राँसिस ने सदस्यों से "अपने काम को इन शब्दों के अनुरूप बनाने" का आह्वान किया और आशा व्यक्त की कि इतिहास में उनका अध्ययन उन्हें कलीसिया की तरह, "मानवता में विशेषज्ञ" और “मानवता के सेवक” बनाये।

अपने संदेश के अंत में संत पापा ने उन्हें और उनके प्रियजनों को हार्दिक आशीर्वाद दिया और अपने लिए प्रार्थना का अनुरोध करते हुए उनसे विदा ली।

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20 April 2024, 14:27