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संत पापा ने पुण्य शुक्रवार को प्रभु के दुःखभोग धर्मविधि की अध्यक्षता की

संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र शुक्रवार के दिन प्रभु येसु के दुःखभोग धर्मविधि की अध्यक्षता की और परमधर्मपीठ कूरिया के उपदेशक, कार्डिनल रानिएरो कांतालामेस्सा ने, "जब आप मनुष्य के पुत्र को ऊपर उठाएंगे, तब आपको एहसास होगा कि मैं हूँ" पर उपदेश दिया।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार 31 मार्च 2024 : संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र शुक्रवार की दोपहर को संत पेत्रुस महागिरजाघर में उपस्थित करीब 4500 विश्वासियों के साथ हमारे प्रभु येसु मसीह के दुःखभोग और मृत्यु एवं क्रूस की आराधना धर्मविधि की अध्यक्षता की। पवित्र शुक्रवार वर्ष का एकमात्र दिन है जिस दिन पवित्र मिस्सा समारोह नहीं मनाया जाता है।

पवित्र शुक्रवार की धर्मविधि के तीन भाग हैं। पहला भाग- शब्द समारोह। संत योहन के सुसमाचार से प्रभु के दुखभोग की घटना पढ़ी गई। दूसरे भाग में क्रूस की आराधना और तीसरे भाग में पवित्र भोज की धर्मविधि सम्पन्न की गई।

 दुखभोग की उद्घोषणा के बाद कार्डिनल रानिएरो कांतालामेस्सा ने प्रवचन दिया, जिसमें उनका शुरुआती बिंदु था: "जब आप मनुष्य के पुत्र को उठाएंगे, तब आपको एहसास होगा कि मैं हूँ।" (योहन, 8:28)

'मैं हूँ'

कार्डिनल कांतालामेस्सा ने कहा, यह वही वाक्य है जिसे येसु ने अपने विरोधियों के साथ एक गरमागरम विवाद के अंत में कहा था, जो कि संत योहन के सुसमाचार में प्रभु द्वारा उच्चारित पिछले 'मैं हूँ' की तुलना में एक प्रकार का "स्वरोत्कर्ष" था।

वे अब यह नहीं कहते, 'मैं जीवन की रोटी हूँ, या दुनिया की रोशनी हूँ, या पुनरुत्थान और जीवन हूँ, इत्यादि। वे बिना किसी विशेष विवरण के बस 'मैं हूँ' कहते हैं," कार्डिनल कांतालामेस्सा ने कहा, कि यह उनकी घोषणा को "पूर्ण, आध्यात्मिक आयाम" देता है।

उन्होंने कहा कि यह साभिप्राय भी याद किया जाता है जब ईश्वर स्वयं निर्गमन 3:14 और इशायाह 43:10-12 में 'मैं हूँ' की घोषणा करते हैं।

कार्डिनल ने समझाया, कि येसु की इस प्रतिज्ञान की चौंकाने वाली नवीनता का पता तभी चलता है जब हम ईसा मसीह की आत्म-पुष्टि से पहले की बातों पर ध्यान देते हैं: 'जब आप मनुष्य के पुत्र को ऊपर उठायेंगे,' तब आपको पता चलेगा कि मैं हूँ ।” मानो कह रहे हों: मैं कौन हूँ – और ईश्वर कौन हैं! - यह केवल क्रूस पर ही प्रकट होगा।"

उन्होंने, संत योहन के सुसमाचार में क्रूस पर प्रभु की घटना का जिक्र करते हुए "ऊपर उठाए जाने" की अभिव्यक्ति के महत्व को रेखांकित किया।

कार्डिनल कांतालामेस्सा ने कहा, "हमें ईश्वर के बारे में मानवीय विचार और आंशिक रूप से पुराने नियम के विचार को पूरी तरह से उलटने का सामना करना पड़ रहा है। येसु ईश्वर के बारे में लोगों के विचार को सुधारने और परिपूर्ण करने के लिए नहीं, बल्कि, एक निश्चित अर्थ में, "इसे पलटने और ईश्वर का असली चेहरा उजागर करने के लिए आए थे।" उन्होंने स्वीकार किया कि संत पौलुस इसे समझने वाले पहले व्यक्ति थे।

मसीह के वचन का विश्वव्यापी महत्व

उन्होंने कहा, कि इस प्रकाश में समझने पर, "मसीह का वचन एक विश्वव्यापी महत्व रखता है जो हर युग में और हर स्थिति में, हमारे युग में भी इसे पढ़ने वालों को चुनौती देता है। हमारे अचेतन मन में, हम ईश्वर के इसी विचार को जारी रखते हैं जिसे बदलने के लिए येसु आए थे।"

आगे कार्डिनल कांतालामेस्सा ने सवाल पूछा, "ईश्वर सर्वशक्तिमान है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन यह किस प्रकार की शक्ति है?" "मानव प्राणियों का सामना करते हुए, ईश्वर खुद को किसी भी क्षमता से रहित पाता है, न केवल जबरदस्ती, बल्कि रक्षा की दृष्टि से भी। वह खुद को उन पर थोपने के लिए अधिकार के साथ हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। वह अनंत स्तर तक, मनुष्यों की स्वतंत्रता का सम्मान करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता है।"

ईश्वर के पुत्र में सर्वशक्तिमानता

उन्होंने कहा, "और इसलिए, पिता अपने पुत्र में अपनी सर्वशक्तिमानता का असली चेहरा प्रकट करता है।"

उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, "दिखावा करने के लिए थोड़ी शक्ति लगती है, खुद को एक तरफ रखने और खुद को छुपाने के लिए बहुत अधिक शक्ति लगती है। ईश्वर के पास खुद को छिपाने की असीमित शक्ति है! उसने अपने आप को खाली कर दिया।"

उन्होंने कहा, हमारी "शक्ति इच्छा" के लिए, ईश्वर ने अपनी स्वैच्छिक शक्तिहीनता का विरोध किया है," "हमारे लिए क्या सबक है, जो सचेत रूप से, कम या अधिक या हमेशा दिखावा करना चाहते हैं। पृथ्वी के शक्तिशाली लोगों के लिए क्या सबक है!"

एक अलग तरह की जीत

कार्डिनल ने स्वीकार किया कि कोई सोच सकता है कि उसके पुनरुत्थान में ईसा मसीह की विजय, इस दृष्टि को उलट देती है, ईश्वर के अजेय सर्वशक्तिमानता को बहाल करती है, जो सच है, "लेकिन जो हम आम तौर पर सोचते हैं उससे बहुत अलग अर्थ में।"

उन्होंने कहा, "यह उन 'जीतों' से बहुत अलग है जो विजयी अभियानों से सम्राट की वापसी पर एक सड़क पर मनाई जाती थी, जिसे आज भी रोम में 'वाया ट्रायोनफाले' कहा जाता है।" उन्होंने कहा कि, पुनरुत्थान रहस्य में होता है, बिना गवाहों के।

प्रभु की मृत्यु को एक बड़ी भीड़ ने देखा और इसमें सर्वोच्च धार्मिक और राजनीतिक अधिकारी शामिल थे, लेकिन एक बार पुनर्जीवित होने के बाद, येसु सुर्खियों से दूर, केवल कुछ शिष्यों को दिखाई दिए। "इस तरह, वह हमें बताना चाहते थे कि कष्ट सहने के बाद, हमें सांसारिक महिमा जैसी बाहरी, दृश्यमान विजय की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।"

शहीदों का उदाहरण

कार्डिनल कांतालामेस्सा ने कहा, "विजय अदृश्य में दी जाती है और यह असीम रूप से श्रेष्ठ है, क्योंकि यह शाश्वत है! कल और आज के शहीद इसके उदाहरण हैं।"

कार्डिनल कांतालामेस्सा ने याद करते हुए कहा, "पुनर्जीवित प्रभु स्वयं को प्रकट करते हैं। उनका प्रकट होना, उन लोगों के लिए विश्वास करने का एक बहुत ही ठोस आधार प्रदान करता है जो शुरू से ही विश्वास करने से इनकार नहीं करते हैं।"

मसीह प्रेम की गवाही देना चाहते थे

"लेकिन," उन्होंने स्पष्ट किया, "यह अपने विरोधियों को अपमानित करने के लिए बदले की कार्रवाई नहीं है। वह उन्हें गलत साबित करने या उनके गुस्से का मज़ाक उड़ाने के लिए उनके बीच में नहीं आते हैं।"

उन्होंने जोर देकर कहा, "ऐसा कोई भी बदला, उस प्रेम के साथ असंगत होगा जिसे मसीह अपने दुखभोग द्वारा गवाही देना चाहते थे।"

उन्होंने कहा कि, पुनर्जीवित येसु की चिंता अपने दुश्मनों को भ्रमित करने की नहीं है, बल्कि जाकर अपने निराश शिष्यों और उनसे पहले उन महिलाओं को आश्वस्त करने की है, जिन्होंने कभी भी उन पर विश्वास करना बंद नहीं किया था।

'बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ'

कार्डिनल ने प्रभु के आश्वस्त करने वाले शब्दों पर जोर दिया। उन्होंने विश्वासियों को आमंत्रित करते हुए कहा, "आइए, हम उस निमंत्रण स्वीकार करें, जिसे येसु अपने क्रूस से दुनिया को संबोधित करते हैं: 'हे सभी थके हुए और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूँगा'।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस निमंत्रण को लगभग "विडंबना और उपहास" माना जाएगा।

उन्होंने कहा, "जिसके पास खुद सिर रखने के लिए पत्थर नहीं है, जिसे उसके लोगों ने अस्वीकार कर दिया है, मौत की सजा दी गई है, जो 'जिसके सामने कोई अपना चेहरा ढक लेता है ताकि न देख सके। वही व्यक्ति सभी स्थानों और सभी समयों की पूरी मानवता को संबोधित करने का हिम्मत करता है और कहता है: 'तुम सब मेरे पास आओ और मैं तुम्हें विश्राम दूँगा!'

इसके बावजूद, उन्होंने जोर देकर कहा, ईश्वर हर किसी के लिए यह सांत्वना सार्थक रूप से प्रदान करते हैं। प्रभु कहते हैं, "मेरे पास आओ, तुम जो बुजुर्ग, बीमार और अकेले हो, तुम जिन्हें दुनिया गरीबी, भूख या बमबारी में मरने देती है, तुम जो मुझ पर विश्वास करने की वजह से या आज़ादी की लड़ाई के कारण जेल की कोठरियों में सड़ रहे हो, हिंसा की शिकार महिला, सब तुम मेरे पास आओ।''

प्रभु हमें आराम और सांत्वना देते हैं

कार्डिनल कांतालामेस्सा ने यह कहते हुए अपना प्रवचन समाप्त किया कि प्रभु का निमंत्रण किसी को भी बाहर नहीं रखता है, जैसा कि उनके आश्वासन से प्रमाणित है: "'मेरे पास आओ और मैं तुम्हें आराम दूंगा! क्या मैंने तुमसे वादा नहीं किया था: 'जब मैं पृथ्वी से ऊपर उठाया जाऊंगा, तब मैं सभी को अपनी ओर आकर्षित करूंगा।''

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30 March 2024, 11:37