खोज

वाटिकन संचार विभाग के कार्यालय में साक्षात्कार देते संत पापा फ्राँसिस वाटिकन संचार विभाग के कार्यालय में साक्षात्कार देते संत पापा फ्राँसिस  (AFP or licensors)

संचार दिवस पर पोप का संदेश : एआई मानव हृदय की प्रज्ञा की जगह नहीं ले सकता

58वें विश्व संचार दिवस पर अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने मनुष्यों से आग्रह किया है कि वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में हृदय की प्रज्ञा को विकसित करें।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बुधवार, 24 जनवरी 2024 (रेई) : पोप फ्रांसिस ने बुधवार को विश्व सामाजिक संचार दिवस 2024 के लिए अपना संदेश जारी किया, जिसकी विषयवस्तु है: “कृत्रिम बुद्धिमत्ता और हृदय की प्रज्ञा: पूर्ण मानव संचार की ओर।”

12 मई को मनाए जानेवाले दिवस की विषयवस्तु इस वर्ष, विश्व शांति दिवस के लिए पोप के संदेश से निकटता से जुड़ी है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रणाली के विकास के लिए समर्पित है।

पोप ने अपने संचार दिवस के संदेश में कहा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता "सूचना और संचार की दुनिया को और इसके माध्यम से समाज में जीवन की कुछ नींवों को गहराई से प्रभावित कर रहा है," उन्होंने कहा कि "ये परिवर्तन हर किसी को प्रभावित करते हैं।"

अतः पोप ने प्रश्न किया है, "हम कैसे पूर्ण मानव बने रह सकते हैं और एक अच्छे उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस सांस्कृतिक परिवर्तन का मार्गदर्शन कर सकते हैं?"

हृदय से शुरूआत

इस सवाल का उत्तर देते हुए संत पापा ने गौर किया कि “इतिहास का यह समय, जो प्रौद्योगिकी में समृद्ध और मानवता में गरीब होने का जोखिम उठा रहा है, हमारे चिंतन की शुरुआत मानव हृदय से होनी चाहिए।” उन्होंने याद किया कि बाईबिल में, हृदय को एक स्वतंत्रता एवं निर्णय लेने के स्थल के रूप में देखा गया है, जो "अखंडता और एकता का प्रतीक है, साथ ही हमारी भावनाओं, इच्छाओं और सपनों को भी शामिल करता है।"

लेकिन संत पापा ने कहा कि हृदय सबसे बढ़कर, “ईश्वर के साथ हमारी मुलाकात का आंतरिक स्थल है।” इस तरह हृदय की प्रज्ञा, एक ऐसा सदगुण है जो हमारे संपूर्ण और इसके हिस्सों को एकीकृत करने, हमारे निर्णयों और उनके परिणामों, हमारी महानता और हमारी दुर्बलता, हमारे अतीत और हमारे भविष्य, हमारे व्यक्तित्व और एक बड़े समुदाय के भीतर हमारी सदस्यता को एकीकृत करने में सक्षम बनाता है।"

अवसर और खतरे

संत पापा ने कहा कि इस तरह की प्रज्ञा मशीनों में नहीं खोजी जा सकती। यद्यपि कृत्रिम बुद्धिमता शब्द ने मशीन से सीखने का स्थान ले लिया है, "बुद्धिमत्ता' शब्द का प्रयोग ही भ्रामक साबित हो सकता है।" आंकड़ों को संचित रखने में सक्षम होना काफी नहीं है, जैसा कि मशीनें करती हैं, बल्कि आंकड़ों का मतलब होना चाहिए जिसको सिर्फ मानव व्यक्ति ही कर सकता है।  

पोप ने चेतावनी देते हुए कहा, "हृदय के झुकाव के आधार पर, हमारी पहुंच के भीतर की हर चीज या तो एक अवसर या खतरा बन जाती है।"

उन्होंने गौर किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के आंकड़ों (एल्गोरिदम) के पीछे नकल करने की तकनीक कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में उपयोगी हो सकती है।

हालांकि, एआई का प्रयोग "अनुचित हो जाता है जब यह दूसरों के साथ और वास्तविकता के साथ हमारे रिश्ते को विकृत करता है।"

वास्तव में यह जानना अत्यन्त महत्वपू्र्ण है कि गलत हाथों में ये उपकरण "परेशान करनेवाले परिदृश्य की ओर ले सकते हैं।"

पोप फ्रांसिस का दावा है कि कृत्रिम बुद्दिमता को विनियमित किया जाना चाहिए, यह स्वीकार करते हुए कि, हर मानवीय संदर्भ में, "विनियमन, अपने आप में, पर्याप्त नहीं है।"

मानवता में विकास

अतः पोप फ्रांसिस ने सभी को "मानवता और इंसान के रूप में" एक साथ बढ़ने के लिए आमंत्रित किया, यह याद करते हुए कि हम सभी को "एक जटिल, बहुजातीय, बहुलवादी, बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक समाज" बनने के लिए गुणात्मक छलांग लगाने की चुनौती है।”

जानकारी के बारे में बात करते हुए, संत पापा ने चेतावनी दी कि "जानकारी को जीवित संबंधों से अलग नहीं किया जा सकता।"

उन्होंने समझाया कि रिश्तों में शरीर और वास्तविक दुनिया में पूरी तरह घुसना शामिल होता है, लेकिन उनमें मानवीय अनुभव, "करुणा और बांटना" भी शामिल है।

इस भावना के साथ संत पापा ने कई पत्रकारों का हवाला दिया है जिन्हें अपने कर्तव्य काम में घायल अथवा मौत का शिकार होना पड़ा, जब उन्होंने दुनिया को उसी रूप में दिखाने की कोशिश की जो उन्होंने देखा था।  

पोप कहते हैं कि "केवल बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की पीड़ा के साथ इस तरह के सीधे संपर्क से ही हम युद्ध की बेतुकी की व्याख्या कर सकते हैं।"

वर्तमान और भविष्य के सवाल

विश्व संचार दिवस के लिए अपने संदेश को समाप्त करते हुए, पोप फ्रांसिस याद करते हैं कि "यह हमें तय करना है कि क्या हम एल्गोरिदम के लिए चारा बनेंगे या अपने दिलों को उस स्वतंत्रता से पोषित करेंगे जिसके बिना हम प्रज्ञा में विकसित नहीं हो सकते।"

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि केवल एक साथ मिलकर ही हम विवेक और सतर्कता एवं चीजों को उनकी पूर्ति के प्रकाश में देखने की अपनी क्षमता बढ़ा सकते हैं।

पोप फ्रांसिस प्रार्थना करते हैं कि मानवता कभी भी अपना संतुलन न खोए, और कि प्रज्ञा जो सभी आधुनिक तकनीक से पहले मौजूद थी, वह हमारे पास लौट आए।

पोप का कहना है कि प्रज्ञा हमें "कृत्रिम बुद्धिमत्ता की प्रणालियों को पूरी तरह से मानव संचार की सेवा में लगाने में मदद कर सकती है।"

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

24 January 2024, 16:30