संत पापा : हम करुणा व दया प्रकट करें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 26 नवम्बर को ख्रीस्त राजा महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। फ्लू से प्रभावित होने के कारण, संत पापा फ्राँसिस ने प्रेरितिक आवास संत मर्था से देवदूत प्रार्थना का नेतृत्व किया और चिंतन को मोनसिन्योर ब्रैडा ने पढ़कर सुनाया।
पोप ने कहा, “आज मैं खिड़की से बाहर नहीं देख सकता क्योंकि मेरे फेफड़ों में सूजन की समस्या है, और चिंतन को मोनसिन्योर ब्रैडा पढ़ेंगे, जो उन्हें अच्छी तरह से जानते हैं क्योंकि वे ही है जो इसे तैयार करते हैं और हमेशा उसे बहुत अच्छी तरह से करते हैं! आप सभी की उपस्थिति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।”
आज, धर्मविधिक वर्ष का अंतिम रविवार और हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त, ब्रह्मांड के राजा का महापर्व, सुसमाचार पाठ हमें अंतिम निर्णय के बारे में बताता है।(मत्ती 25:31-46) और बतलाता है कि यह उदारता (चैरीटी) पर आधारित होगा।
यह जो दृश्य हमारे सामने प्रस्तुत करता है वह एक शाही दरबार का दृश्य है, जिसमें येसु, "मानव का पुत्र" (पद 31) एक सिंहासन पर विराजमान हैं। सभी लोग उसके चरणों में एकत्र हुए हैं और उनमें से विशिष्ट हैं "धन्य" (पद 34), राजा के मित्र।
लेकिन ये कौन हैं? अपने ईश्वर की नजर में इन दोस्तों में ऐसा क्या खास है? संसार के मानदंडों के अनुसार, राजा के मित्र वे होने चाहिए जिन्होंने उसे धन और शक्ति दी हो, जिसने उन्हें क्षेत्रों को जीतने, युद्ध जीतने, खुद को अन्य शासकों के बीच महान बनाने, शायद स्टार के रूप में उभरने में मदद की हो। अखबारों के पहले पन्ने पर या सोशल मीडिया पर, और उन्हें वे कहना चाहते हों: "धन्यवाद, क्योंकि आपने मुझे अमीर और प्रसिद्ध, ईर्ष्यालु और डरावना बनाया है"। ये दुनिया की कसौटी पर खरा उतरता है।
हालाँकि, येसु के मानदंडों के अनुसार, मित्र कुछ अलग हैं: ये वे लोग हैं जिन्होंने सबसे कमजोर लोगों की सेवा की है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मानव पुत्र एक बिलकुल भिन्न तरह के राजा हैं, जो गरीबों को "भाई" पुकारते हैं, जो भूखे, प्यासे, बहरे, बीमार और कैदी के रूप में खुद को प्रकट करते हैं और कहते हैं: "यदि आपने मेरे इन भाइयों, में से छोटे से छोटा के लिए कुछ भी किया, वह तुमने मेरे लिए किया।” (पद 40)। वे भूख की समस्या, घर की जरूरत, बीमारी और कारावास (पद 35-36) के प्रति संवेदनशील राजा हैं। संत पापा ने कहा कि दुर्भाग्य से सभी वास्तविकताएँ वर्तमान में मौजूद हैं।
भूखे, बेघर, अक्सर अपने कपड़ों में हमारी सड़कों पर भीड़ लगाते हैं: हम उनसे हर दिन मिलते हैं। और साथ ही दुर्बलता और जेल के संबंध में हम सभी जानते हैं कि बीमार होने, गलतियाँ करने और परिणाम भुगतने का क्या मतलब है।
सुसमाचार आज हमें बताता है कि "धन्य" वे हैं जो गरीबी के इन रूपों का जवाब प्यार से, अपनी सेवा से देते हैं: मुंह फेरकर नहीं, बल्कि भोजन और पानी, कपड़े, आश्रय देकर, मुलाकात कर; एक शब्द में, जरूरतमंद लोगों के करीब रहकर देते हैं।
और ऐसा इसलिए है क्योंकि येसु, हमारे राजा जो खुद को मानव का पुत्र कहते हैं, सबसे नाजुक महिलाओं और पुरुषों में अपने पसंदीदा बहनों और भाइयों को ढूंढते हैं। उनका "शाही दरबार" वहाँ लगता है जहाँ वे लोग होते हैं जो पीड़ित हैं और उन्हें मदद की आवश्यकता है। यही हमारे राजा की "अदालत" है।
और जिस शैली से उनके मित्र, जो येसु को प्रभु मानते हैं, स्वयं को अलग दिखाने के लिए बुलाए जाते हैं वह उनकी (प्रभु) अपनी शैली है: करुणा, दया, कोमलता। वे हृदय को उदात्त करते और जीवन से घायल लोगों के घावों पर तेल की तरह उतरते हैं।
तो, भाइयों और बहनों, आइए हम खुद से पूछें: क्या हम मानते हैं कि सच्चा राजत्व दया में निहित है? क्या हम प्रेम की शक्ति में विश्वास करते हैं? क्या हम मानते हैं कि उदारता मानव की सबसे राजसी अभिव्यक्ति है, और ख्रीस्तीयों के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता? और अंत में, एक विशेष प्रश्न: क्या मैं राजा का मित्र हूँ, यानी क्या मैं अपने रास्ते में मिलनेवाले पीड़ितों की जरूरतों में व्यक्तिगत रूप से शामिल महसूस करता हूँ?
तब माता मरियम से प्रार्थना करते हुए उन्होंने कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी की महारानी, मरियम, हमें सबसे छोटे भाइयों में अपने राजा येसु को प्यार करने में मदद करें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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