हम अपने युग के यात्रियों के पड़ोसी बनें, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुवार सन्ध्या "आप्रवासियों और शरणार्थियों के लिए प्रार्थना का क्षण" शीर्षक से आयोजित प्रार्थना सभा का नेतृत्व किया तथा विश्व को स्मरण दिलाया कि "हमें हमारे युग के सभी यात्रियों के पड़ोसी बनने, उनके जीवन की रक्षा करने, उनके घावों की मरम्मत करने और उनके दर्द को शांत करने के लिए बुलाया गया है।"
गुरुवार सन्ध्या की प्रार्थना सभा का लक्ष्य आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की पीड़ा के प्रति ध्यान आकर्षित करना तथा "उन्हें भाईचारे और शांति से चिह्नित एक बेहतर दुनिया के निर्माण के लिए समाज में योगदान देने में मदद करने हेतु प्रेरित करना था।" प्रार्थना सभा का आयोजन अखण्ड मानव विकास को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय विभाग द्वारा किया गया था जिसमें कैमरून, एल साल्वाडोर तथा यूक्रेन के शरणार्थी भी उपस्थित थे।
"एंजेल्स अनअवेयर्स" स्मारक
प्रार्थना सभा सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में "एंजेल्स अनअवेयर्स" स्मारक नामक विशाल प्रतिमा के सामने आयोजित की गई थी, जो कांस्य और मिट्टी से बनी एक आदमकद मूर्ति है, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक और नस्लीय पृष्ठभूमि और विविध ऐतिहासिक कालखंडों के आप्रवासियों और शरणार्थियों के एक समूह को दर्शाया गया है।
स्मारक के समक्ष सन्त पापा ने संक्षिप्त प्रार्थना सभा के दौरान कुछ विचार साझा किए, साथ ही उन सभी लोगों को याद करने के लिए मौन भी रखा, जिन्होंने विभिन्न आप्रवास मार्गों पर अपनी जानें गंवाई हैं। सुसमाचार से भले समारी के दृष्टान्त का स्मरण दिलाते हुए सन्त पापा ने कहा कि यह दृष्टांत हमें दिखाता है कि एक बंद या संकीर्ण दुनिया से एक उदार दुनिया की ओर, युद्धग्रस्त दुनिया से शांति वाली दुनिया की ओर कैसे जाना है।
ख़तरनाक रास्ते
सन्त पापा ने कहा, प्राचीन काल में जैरूसालेम से जेरिको तक यात्रियों को जिन ख़तरों का सामना करना पड़ता था, वे आज उन असुरक्षित आप्रवास मार्गों के समान हैं, जो शत्रुतापूर्ण रेगिस्तानों, जंगलों और समुद्रों से होकर यात्रा करते हैं। उन्होंने कहा, बहुतों को लूट लिया जाता है, निर्वस्त्र किया जाता है और पीटा जाता है, अक्सर बेईमान तस्करों द्वारा धोखा दिया जाता है, और फिर उन्हें "वस्तुओं की तरह बेच दिया जाता है।" उन्होंने कहा कि आज प्रवासियों और शरणार्थियों के सामने ख़तरे गंभीर हैं, उनपर अपहरण, शोषण, प्रताड़ना और बलात्कार का ख़तरा बना रहता है और कई लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही मौत के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश, आज भी लोग युद्ध अथवा आतंकवाद के चलते अपने घरों से पलायन करने पर मज़बूर हैं।
दयालु हृदय
भले समारी के प्रति ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा ने कहा कि दया के कारण भले समारी ने घायल आगन्तुक की सेवा और देखभाल की, उसी प्रकार हम सब ज़रूरतमन्द शरणार्थियों एवं आप्रवासियों की सहायता के लिये आमंत्रित हैं। हमारा आह्वान किया जाता है कि हम अपने हृदयों में समाहित ईश्वर की दया और करुणा को प्रकाशित करें।
सन्त पापा फ्रांसिस ने कहा कि भले सामरी के कार्य साधारण दान से परे हैं और इसमें चार क्रियाएं शामिल हैं जिसने उसकी सेवा को चिह्नित किया: स्वागत, रक्षा, प्रोत्साहन और एकीकरण। सन्त पापा ने कहा कि उस व्यक्ति के लिए घायल की तत्काल देखभाल एक दीर्घकालिक जिम्मेदारी में बदल गई, क्योंकि वह यह सुनिश्चित करने के लिए वापस लौटा कि वह पूरी तरह से ठीक हो जाए। उन्होंने कहा कि इस एकजुटता के दीर्घकालिक अवसर से "अधिक समावेशी, अधिक सुंदर और अधिक शांतिपूर्ण समाजों का विकास होता है।"
सुरक्षित मार्गों का आह्वान
आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिये सुरक्षित मार्गों के निर्माण का आह्वान करते हुए सन्त पापा ने कहा कि इसका अर्थ है, "नियमित प्रवासन चैनलों का विस्तार करना" जिसके लिये शुभेच्छा, प्रतिबद्धता, प्रयास, सम्वाद औक उपयुक्त आप्रवास नीतियों की नितान्त आवश्यकता है।
प्रार्थना सभा का समापन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "आइए हम प्रभु ईश्वर से उन सभी आप्रवासियों और शरणार्थियों के करीब आने की कृपा मांगें जो हमारे दरवाज़े पर दस्तक देते हैं, क्योंकि आज 'कोई भी व्यक्ति जो न तो डाकू है और न ही राहगीर है, वह या तो ख़ुद घायल हो गया है या किसी घायल व्यक्ति को अपने कंधों पर उठा रहा है।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here