संत पापा फ्राँसिस: ईश्वर धर्मसभा को "सुनने का उपहार" प्रदान करें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार 2 अक्टूबर 2023 (वाटिकन न्यूज) : सिनॉड की तैयारी में शनिवार 30 अगस्त को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में शाम 5 बजे से ख्रीस्तीय एकता जागरण प्रार्थना का आयोजन किया गया। एकता वर्धक जागरण प्रार्थना सभा में विभिन्न ख्रीस्तीय संप्रदायों के प्रमुखः कुस्तुनतुनिया क इग्नासियुस एफ्रेम द्वितीय, प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो प्रथम, केंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष जस्टिन वेलबे और अंताखिया के सिरो ऑर्थोडोक्स कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष और हजारों विश्वासी धर्मसभा की आगामी महासभा को पवित्र आत्मा को सौंपने के लिए एकत्र हुए थे।
संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार शाम को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में ख्रीस्तीय एकता वर्धक प्रार्थना सभा के लिए एकत्रित हजारों तीर्थयात्रियों को संबोधित किया है।
जागरण प्रार्थना के अंत में दिए गए अपने संबोधन में, संत पापा फ्राँसिस ने ‘मौन’ विषय पर ध्यान केंद्रित किया, विशेष रूप से इसके तीन पहलुओं पर जोर दिया।
मौन और ईश्वर की आवाज
संत पापा ने कहा, "मौन, मसीह के सांसारिक अस्तित्व की शुरुआत और अंत में निहित है। ईश्वर का वचन, चरनी में और क्रूस पर, जन्म की रात और उसके दुखभोग की रात में 'मौन' बन गया।
उन्होंने कहा, कि वास्तव में, ईश्वर "चिल्लाने, गपशप करने और शोर" के बजाय मौन पसंद करते हैं। ईश्वर जब नबी एलिय्याह के सामने प्रकट होते हैं, तो वे हवा, भूकंप या आग में नहीं, बल्कि "छोटी शांत आवाज़" में प्रकट होता है।
संत पापा फ़्राँसिस ने कहा, सच्चाई को "लोगों के दिलों तक पहुँचने के लिए ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की ज़रूरत नहीं है।" इस कारण से, हमें भी, विश्वासियों के रूप में, "उसकी आवाज़ सुनने के लिए खुद को शोर से मुक्त करने की ज़रूरत है।" क्योंकि केवल हमारी चुप्पी में ही उनका शब्द गूंजता है।''
मौन और कलीसिया का जीवन
संत पापा ने आगे कहा, प्रेरित चरित में हम पाते हैं कि येरूसालेम की परिषद में पेत्रुस के भाषण के बाद "पूरी सभा चुप रही।" यह हमें याद दिलाता है, कि "कलीसियाई समुदाय में चुप्पी, भाईचारे के संचार को संभव बनाती है"; यह तभी होता है जब हम दूसरों की बात सुनने के लिए चुप हो जाते हैं तभी पवित्र आत्मा "दृष्टिकोणों को एक साथ लाने" में सक्षम होता है। इसके अलावा, मौन "सच्चे विवेक को सक्षम बनाता है, आत्मा की आवाज को ध्यान से सुनने के माध्यम से जो, अक्सर ईश्वर के लोगों के भीतर छिपी होती हैं।"
इसलिए संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस प्रांगण में एकत्रित लोगों को आगामी धर्मसभा की बैठकों में भाग लेने वालों को पवित्र आत्मा से "सुनने का उपहार प्रदान करने" के लिए प्रार्थना करने हेतु प्रोत्साहित किया।
मौन और ख्रीस्तीय एकता
संत पापा ने कहा, मौन का अंतिम पहलू "ख्रीस्तीय एकता की यात्रा के लिए आवश्यक है।"
उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए है क्योंकि मौन "प्रार्थना के लिए मौलिक है और ख्रीस्तीय प्रार्थना से शुरू होता है और इसके बिना निष्फल है।"
इस प्रकार, "जितना अधिक हम प्रार्थना में प्रभु की ओर मुड़ते हैं, उतना ही अधिक हम महसूस करते हैं कि वे हमें शुद्ध करते हैं और हमारे मतभेदों से परे हमें एकजुट करते हैं।"
निष्कर्ष
संत पापा फ्राँसिस ने प्रार्थना के साथ अपना संबोधन समाप्त किया कि हम "फिर से चुप रहना सीखें: पिता ईश्वर की आवाज़, येसु की पुकार और आत्मा की आवाज को सुनें।"
उन्होंने कहा, "आइए, हम निवेदन करें, कि धर्मसभा भाईचारे का कैरोस हो, एक ऐसा स्थान जहां पवित्र आत्मा कलीसिया को गपशप, विचारधाराओं और ध्रुवीकरण से शुद्ध करेगा," और "हम ज्योतिषियों की तरह जान पाये कि आराधना कैसे की जाती है" एकता और मौन में ईश्वर के रहस्य ने मनुष्य को बनाया, यह निश्चित है कि हम मसीह के जितना करीब होंगे, हम आपस में उतना ही अधिक एकजुट होंगे।
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