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संत पापा फ्राँसिस  संत पापा फ्राँसिस   (AFP or licensors)

युद्धग्रस्त विश्व में संत पापा फ्राँसिस की शांति की अपील

जैसा कि हम शांति के लिए प्रार्थना, उपवास और तपस्या का दिन मनाते हैं, विशेष रूप से पवित्र भूमि में, हम विभिन्न अवसरों को याद करते हैं जब संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तियों को भाईचारे के उपहार के लिए प्रार्थना करने के लिए आध्यात्मिक रूप से प्रेरित किया है, क्योंकि वे युद्ध को मानवता के लिए "एक हार" के रूप में निंदा करना जारी रखते हैं।"

वाटिकन न्यूज़

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2023 : अपने परमाध्यक्षीय कार्यकाल के पूरे दस वर्षों में, संत पापा फ्राँसिस ने बार-बार विश्वासियों और अन्य धर्मों के लोगों से शांति के अनमोल उपहार के लिए प्रार्थना और उपवास के दिन समर्पित करने का आह्वान किया है।

उपवास और प्रार्थना: एक संयोजन जहां एक दूसरे को पारस्परिक रूप से भोजन देता है, जीवन की दिनचर्या में एक विराम पैदा करता है और एक ऐसे आसन को प्रोत्साहित करता है जो स्वीकार्यता के लिए खुला है।

जो लोग उपवास और प्रार्थना करते हैं वे स्वैच्छिक कमजोरी की स्थिति का अनुभव करते हैं जो निरस्त्रीकरण का एक रूप है; दूसरों की पीड़ा के बारे में जागरूकता जो सहानुभूति और भाईचारे को उत्तेजित करती है; अभाव की भावना जो आत्म-केंद्रितता पर काबू पाती है और हमें संघर्ष के बजाय दूसरों के साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित करती है।


सीरिया में शांति के लिए प्रार्थना: हथियारों का शोर बंद करें (7 सितंबर 2013)

2012 में, सीरिया में गृह युद्ध कट्टरपंथी हो गया था: विद्रोही ताकतों में एक चरमपंथी सलाफिस्ट घटक शामिल हो गया था, और संघर्ष फैल गया था। 7 सितंबर 2013 को, संत पापा फ्राँसिस ने घोषणा की जिसे हम आज "प्रिय सीरियाई राष्ट्र, मध्य पूर्व, पूरी दुनिया में शांति के लिए प्रार्थना और उपवास के पहले दिन के रूप में याद करते हैं!"

संत पेत्रुस स्क्वायर में जागरण प्रार्थना के दौरान, हजारों लोगों ने अपने विचारों को उसी क्षेत्र की ओर मोड़ दिया जो आज भी विनाश, पीड़ा और मृत्यु के परिणाम भुगत रहा है।

संत पापा ने याद किया कि ईश्वर की दुनिया एक ऐसी दुनिया है जहाँ हर कोई दूसरे के लिए, दूसरे की भलाई के लिए ज़िम्मेदार महसूस करता है। लेकिन जब सद्भाव टूट जाता है, तो एक कायापलट होता है: जिस भाई की देखभाल की जानी चाहिए और प्यार किया जाना चाहिए वह लड़ने, मारने के लिए प्रतिद्वंद्वी बन जाता है।

फिर उन्होंने इस तथ्य की निंदा की कि "हमने अपने हथियारों को बढ़ा लिया है, हमारा विवेक सो गया है, और हम खुद को सही ठहराते है।" उन्होंने दुखी मन से कहा , “हिंसा और युद्ध केवल मृत्यु की ओर ले जाते हैं, वे मृत्यु की बात करते हैं! ...युद्ध हमेशा शांति की विफलता का प्रतीक है, यह हमेशा मानवता की हार है।''

दक्षिण सूडान और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य: हिंसा को ना कहें (23 फरवरी 2018)

यह चालीसा का पहला शुक्रवार था। संत पापा और रोमन कुरिया ने दक्षिण सूडानी और कांगो के लोगों के लिए उपवास और प्रार्थना के एक विशेष दिन के रूप में अपने आध्यात्मिक साधना का समापन किया था। संत पापा फ्राँसिस को अपनी बहुप्रतीक्षित प्रेरितिक यात्रा करने में पांच साल लगे, लेकिन इन दोनों देशों के लिए संत पापा की चिंता शांति के बीज बोने के निमंत्रण में पहले से ही व्यक्त की जा रही थी, जहां गृह युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता ने मौत, असुरक्षा और आतंक मचा रखा है।

प्रार्थना और उपवास के दिन का आह्वान करते हुए, संत पापा ने ख्रीस्तियों और सभी धर्मों के लोगों को "हिंसा को ठोस रूप से 'नहीं' कहने" के उचित तरीके खोजने के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि “हिंसा के माध्यम से प्राप्त जीत झूठी जीत है; जबकि शांति के लिए काम करना सभी के लिए अच्छा है!”

उन्होंने महिलाओं और बच्चों की सामूहिक हत्या की निंदा की और कहा, "यहां युद्ध अपना सबसे भयानक चेहरा दिखाता है।" फिर उन्होंने प्रार्थना की कि प्रभु शासकों में "एक ऐसी भावना पैदा करें जो वार्ता और बातचीत के माध्यम से शांति प्राप्त करने में नेक, ईमानदार, दृढ़ और साहसी बन सकें।"

आम भलाई के लिए लेबनान का पुनर्निर्माण (4 सितंबर 2020)

बेरूत शहर के बंदरगाह पर विस्फोट की त्रासदी के एक महीने बाद, संत पापा फ्राँसिस ने एकजुटता के संकेत के रूप में, 4 सितंबर को देवदारों की भूमि पर उपवास और प्रार्थना के एक सार्वभौमिक दिन का आह्वान किया, जो कि देवदार की भूमि लेबनान को समर्पित है।

2 सितंबर को आम दर्शन समारोह में इस दिन की घोषणा करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने 1989 में संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के शब्दों को याद किया: "लेबनान को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता है।" इस मामले में, भले ही कोई संघर्ष नहीं चल रहा था, देश की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिरता खतरे में थी। यह देखते हुए कि सहिष्णुता, सम्मान, सह-अस्तित्व और बहुलवाद ने लेबनानी समाज को आकार दिया है, जिससे यह क्षेत्र अद्वितीय बन गया है,  संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "देश और दुनिया की भलाई के लिए, हम इस विरासत को खोने की अनुमति नहीं दे सकते।"

उन्होंने लेबनानी लोगों को आशा जारी रखने और फिर से शुरुआत करने के लिए आवश्यक ताकत खोजने के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही, संत पापा ने राजनेताओं और धार्मिक नेताओं से आह्वान किया कि वे पुनर्निर्माण के काम में ईमानदारी और खुलेपन के साथ खुद को प्रतिबद्ध करें, सभी पक्षपातपूर्ण हितों को अलग रखें और आम भलाई और राष्ट्र के भविष्य की ओर ध्यान दें।

बुरी तरह प्रताड़ित अफ़ग़ान लोगों के लिए अपील (29 अगस्त 2021)

दो साल पहले अगस्त के आखिरी रविवार के देवदूत प्रार्थना में, अफगानिस्तान में चरम संकट पर, संत पापा फ्राँसिस ने "प्रार्थना और उपवास करने" की अपील की थी। प्रार्थना और उपवास, प्रार्थना और तपस्या करने का यही क्षण है।” संत पापा ने कहा कि एशियाई देश, जो तालिबान की सत्ता में हिंसक वापसी के साथ भयानक सप्ताह का सामना कर रहा है, ईश्वर से दया और क्षमा मांगें। "मैं गंभीरता से बात कर रहा हूँ," उन्होंने उस बिंदु को स्पष्ट करते हुए कहा कि जब हम दृढ़ विश्वास के साथ प्रार्थना और उपवास करते हैं तो यह प्रभावी होता है इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

इसलिए किसी खास तारीख की घोषणा नहीं की गई थी जिसमें इस तरह से इकट्ठा होना था, लेकिन ईश्वर के लोगों को कहा किया गया था ताकि खुद को संकट का सामना कर रही आबादी के प्रति उदासीन न दिखाया जाए।

यूक्रेन में शांति: ईश्वर चाहते हैं कि हम भाई बनें, दुश्मन नहीं (2 मार्च 2022)

संत पापा फ्राँसिस ने 23 फरवरी 2022 के आम दर्शन समारोह में प्रार्थना की, "शांति की रानी दुनिया को युद्ध के पागलपन से बचाए," जब यूक्रेन में स्थिति विशेष रूप से खतरनाक हो गई थी। संत पापा का आह्वान था कि देश में शांति के लिए प्रार्थना और उपवास के बैनर तले 2 मार्च को राख बुधवार मनाया जाए।

हालाँकि, उनके शब्द दुखद रूप से भविष्यसूचक थे: संत पापा की अपील के अगले दिन, रूसी सेना ने यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर आक्रमण शुरू कर दिया। संत पापा ने कहा, हमारे ईश्वर शांति के ईश्वर हैं, युद्ध के नहीं;, ''वे सभी के पिता हैं, केवल कुछ के ही नहीं और वे चाहते हैं कि हम भाई बनें, दुश्मन नहीं।'' "मैं प्रार्थना करता हूँ कि इसमें शामिल सभी पक्ष ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचें जो लोगों को और अधिक पीड़ा पहुंचाए, राष्ट्रों के बीच सह-अस्तित्व को अस्थिर करे और अंतरराष्ट्रीय कानून को बदनाम करे।"

इसके बाद और भी कई हृदय विदारक अपीलें आयेंगी। और ईश प्रजा अभी भी दया, मनपरिवर्तन और मेल-मिलाप के लिए विनती करने से नहीं थकती।

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27 October 2023, 16:14