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संत पापाः ईश्वर गुप्त रुप में कार्य करते हैं

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत चार्ल्स दे फौकॉल्ड के जीवन की चर्चा करते हुए विश्वासियों को सुसमाचार के प्रति उत्साही बने रहने की प्रेरणा दी।

वाटिकन सिटी

संत पापा ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आइए हम सुसमाचार की घोषणा पर कुछ ख्रीस्तीयों के साक्ष्य से अपने को रूबरू करें। आज मैं एक उस व्यक्तित्व के बारे में जिक्र करूँगा जिन्होंने येसु और उनके द्ररिद लोगों को अपने जीवन का जुनून बना लिया। मैं संत चार्ल्स दे फौकॉल्ड के बारे में कहता हूँ जिन्होंने “ईश्वर की गहरी अनुभूति में अपने को सभों के लिए एक भाई बना लिया।”  

चार्ल्स दे फौकॉल्ड के जीवन का रहस्य

उनके जीवन का रहस्य क्या थाॽ एक युवा के रुप में अपने को ईश्वर से दूर रखने के उपरांत जहाँ वे सिर्फ मौज मस्ती के सिवाय किसी अन्य बातों में विश्वास नहीं करते थे, उन्होंने पापस्वीकार में ईश्वर की क्षमा को स्वीकार किया और अपने जीवन के रहस्य को अपने एक अख्रीस्तीय मित्र को बतलाया। वे लिखते हैं, “मैंने अपने हृदय को नाजरेत के येसु के लिए दे दिया है।” चार्ल्स इस भांति हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि सुसमाचार प्रचार का प्रथम चरण येसु को अपने हृदय का केन्द्र-बिन्दु बनाना है। यह अपने को पूरी तरह से उनके लिए समर्पित करना है। यदि ऐसा नहीं होता तो हम इसे अपने जीवन के द्वारा प्रकट नहीं कर सकते हैं। इसके विपरीत हम अपने बारे में, हमारे दल, एक नौतिकता या उससे भी बढ़कर निश्चित नियमों के बारे में बातें करने लगते है, हम येसु, उनके प्रेम, उनकी दया की बातें नहीं करते हैं।

ख्रीस्तविहीन हमारी गतिविधियाँ

संत पापा ने कहा कि मैं इसे कुछ नये गति-विधियों में देखता हूँ जो उभर कर आ रहे हैं- वे मानवता के संबंध में अपने विचारों की चर्चा करते हैं, वे अपनी आध्यात्मिकता की बातें करते और अपने में यह अनुभव करते हैं कि वे सही मार्ग में हैं...लेकिन हम येसु के बारे में बातें क्यों नहीं करते हैंॽ वे बहुत सी चीजों के बारे में, संगठन, आध्यात्मिक यात्राओं के बारे में कहते लेकिन वे येसु के बारे में बातें करना नहीं जानते हैं। उन्होंने इन दो सवालों के अनुरूप व्यक्तिगत रुप में चिंतन का आहृवान किया- “क्या येसु मेरे हृदय के क्रेन्द-विन्दु में हैंॽ क्या मैं येसु के प्रति आकर्षित हूँॽ”

सुसमाचार प्रचार प्रेम से प्रेरित

संत चार्ल्स के साथ ऐसी बातें थीं, इस हद तक कि वे येसु की ओर आकर्षित होते और उनका अनुसरण करने की चाह रखते हैं। अपने पापस्वीकार सुनने वाले पुरोहित की सलाह पर, वे पवित्र भूमि की यात्रा करते हैं और उन स्थानों की भेंट करते हैं जहाँ येसु उनके स्वामी ने निवास किया और चले-फिरे। विशेषरुप से उन्होंने नाजरेत में इस बात का अनुभव किया कि उन्हें येसु ख्रीस्त के विद्यालय अनुरुप जीवन निर्माण करने की जरूरत है। उन्होंने येसु के संग अपने एक गहरे संबंध का अनुभव किया, वे सुसमाचार के अध्ययन में एक लम्बा समय व्यतीत करते, और अपने को उनके छोटे भाई के रुप में देखते हैं। येसु को जानना उनमें एक चाह उत्पन्न करती है कि वे उन्हें दूसरों को बतलायें। संत पापा ने कहा कि ऐसा सदैव हमारे साथ होता है। जब हममें से कोई येसु के बारे में अधिक जानता तो उसके हृदय में उनके बारे में दूसरों को बतलाने की एक चाह उत्पन्न होती है। मरियम का एलिजबेद के संग भेंट के संबंध में वे चर्चा करते हुए कहते हैं “मैं अपने को दुनिया के लिए दिया है... मुझे दुनिया में ले चलो।” हाँ, लेकिन यह कैसे होता हैॽ वैसे ही जैसे मरियम को हम उनकी भेंट के रहस्य में पाते हैं,“शांति में, उदाहरण के द्वारा, जीवन के द्वारा।” भाई चार्ल्स लिखते हैं, “जीवन के द्वारा, क्योंकि “हमारे सम्पूर्ण जीवन से सुसमाचार की घोषणा करनी है।” संत पापा ने कहा कि बहुत बार हमारा जीवन दुनियादारी के बारे में घोषित करता है, यह मूर्खतापूर्ण बातों, विचित्र चीजों को व्यक्त करता है। वे हमें कहते हैं, “नहीं, हमारे सम्पूर्ण जीवन के द्वारा सुसमाचार की घोषणा हो।”

हमारी शक्ति का स्रोत कौन हैॽ

इस भांति वे अपने को एक सुदूर प्रांत में स्थापित करते जिससे वे गुप्त रुप में सुसमाचार को घोषित कर सकें, वे नाजरेत के जीवनानुसार अपने जीवन को गरीबी और गुप्त रुप में जीते हैं। वे सहारा के मरूस्थल में, अख्रीस्तीयों के बीच ऐसा करते हैं। वे एक भाई और एक मित्र की तरह वहाँ जाते और दीनता में येसु ख्रीस्त का साक्ष्य देते हैं। चार्ल्स येसु को गुप्त रुप में कार्य करने देते हैं, इस बात पर विश्वास करते हुए कि “यूख्रारिस्तीय जीवन” सुसमाचार को घोषित करता है। वास्तव में, वे यह विश्वास करते हैं कि ख्रीस्त प्रथम सुसमाचार प्रचारक हैं। और इस भांति प्रार्थनामय जीवन के द्वारा वे येसु के चरणों में, संदूक के सामने दर्जनों घंटे व्यतीत करते हैं। वे इस बात पर विश्वास करते हैं कि सुसमाचार की शक्ति उनमें वास करती है और वे अनुभव करते हैं कि येसु उन्हें सुदूर प्रांत में रहने वाले भाइयों के निकट लायेंगे। संत पापा ने कहा कि मैं स्वयं को पूछता हूँ क्या हम यूख्रारिस्त की शक्ति पर विश्वास करते हैंॽ क्या हमारा दूसरों के पास जाना, हमारी सेवा, आराधना में शुरू होती और अपनी पूर्णतः को प्राप्त करती हैॽ उन्होंने कहा कि मैं इस बात से अश्वस्त हूँ कि हमने आराधना के अर्थ को खो दिया है- हमें इसकी शुरूआत समर्पित लोगों, धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मबहनों से करने की जरुरत है। संदूक के सामने “समय नष्ट करना” आराधना के अर्थ को पुन स्थापित करेगा।

ख्रीस्तीय एक प्रेरित है

संत पापा ने कहा, “चार्ल्स दे फौकॉल्ड लिखते हैं, “हर ख्रीस्तीय एक प्रेरित है।” वे अपने एक मित्र को याद दिलाते हैं, कि “एक लोकधर्मी को पुरोहितों के निकट रहने की जरूरत है, उन बातों को देखने के लिए जिसे एक पुरोहित नहीं देखता है, जो करूणा के साथ, हर किसी की भलाई के लिए, स्नेह के साथ हमेशा अपने को देने हेतु तैयार रहता है।” धर्मी लोकधर्मी जो ऊपर जाने की चाह नहीं रखते बल्कि येसु ख्रीस्त के प्रेम से प्रेरित होकर पुरोहित को इस बात को समझने में मदद करते हैं कि वह कोई अधिकारी नहीं वरन एक मध्यस्थ, एक पुरोहित है। पुरोहितों के लोकधर्मियों की कितनी जरुरत है जो अपने विश्वास के कारण हमारे साथ रहने और अपने साक्ष्य से हमारी मदद करते हैं। चार्ल्स वाटिकन द्वितीय महासभा की बातों का पूर्वाभास देते हुए सुसमाचार की घोषणा हेतु लोकधर्मियों की महत्व पर प्रकाश डालते हैं। लेकिन हम कैसे इस सहभागिता का विकास कर सकते हैंॽ वैसे ही जैसे चार्ल्स ने किया- झुककर पवित्र आत्मा के कार्य का स्वागत करते हुए, जो सदैव नये रुपों में कार्य करने के तरीकों को प्रकट करते हैं, जहाँ हम मिलते, सुनते और वार्ता करते हैं, सहयोगिता और विश्वास में बने रहते और सदैव कलीसिया तथा पुरोहितों के संग एकता बनाये रहते हैं।

नम्रता, कोमलता और निकटताः ख्रीस्तीय कार्यशैली

संत चार्ल्स दे फौकॉल्ड जो हमारे समय के एक प्रेरित हैं, उन्होंने सुसमाचार का साक्ष्य अपनी नम्रता में प्रस्तुत किया, वे अपने को “विश्व बंधु” की तरह व्यक्त करते और सभों का स्वागत करते हैं। वे हमें सुसमाचार प्रचार हेतु नम्रता की शक्ति को व्यक्त करते हैं। हम इस बात को न भूलें की निकटता, करूणा, विनम्रता ये ईश्वरीय कार्य शैली हैं। वे सदैव हमारे निकट रहते और करूणा तथा निम्रता से हमारे संग पेश आते हैं। हम ख्रीस्तीयों का साक्ष्य ऐसा ही होना चाहिए। संत चार्ल्स सभों के संग अपनी अच्छाई और येसु की अच्छाई से मिलते थे। वास्तव में, वे कहा करते थे कि “वे दूसरों के सेवक हैं जो उनसे बेहतर हैं।” येसु की अच्छाई ने उन्हें सबों के संग मित्र भाव से पेश आने को प्रेरित किया। उनमें धीरे-धीरे भ्रातृत्व की भावना, समावेशन और दूसरों की संस्कृति को प्रशंसा भरी निगाहों से देखने की प्रवृत्ति जागी। अच्छाई अपने में सरल है जो हमें सरल इंसान बनने का आहृवान करती है, जो मुस्कुराने से नहीं डरते हैं। अपनी मुस्कान के माध्यम भाई चार्ल्स ने सुसमाचार का साक्ष्य दिया। उन्होंने कभी धर्मपरिवर्तन नहीं कराया। सुसमाचार प्रचार साक्ष्य के द्वारा होता है धर्मपरिवर्तन के द्वारा नहीं, जहाँ हम दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अतः हम, संत पापा ने कहा, स्वयं से पूछें कि क्या हम अपने में और दूसरों के लिए ख्रीस्तीय खुशी, नम्रता, कोमलता और निकटता को लाते हैं।

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18 October 2023, 14:02