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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

देवदूत प्रार्थना में पोप : एक पापी के उद्धार की उम्मीद हमेशा

रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व पोप फ्राँसिस ने इस बात पर चिंतन किया कि हमें किस तरह अपने व्यवहार की जिम्मेदारी लेने चाहिए और अपनी कमजोरियों के लिए ईश्वर और खुद के प्रति ईमानदार रहना चाहिए।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार, 30 सितंबर 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 30 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

संत पापा ने कहा, “आज, सुसमाचार पाठ दो बेटों के बारे में बात करता है। उनके पिता उन्हें अंगूर के बगीचे में काम करने के लिए जाने को कहते हैं।”(मती. 21:28-32) पहला बेटा तुरंत "हाँ" में उत्तर देता है, लेकिन नहीं जाता है। इसके विपरीत, दूसरा बेटा पहले तो इंकार करता है, लेकिन फिर दो बार सोचता और चला जाता है।

भ्रष्ट होने की अपेक्षा पापी होना अच्छा

संत पापा ने कहा, “इन दोनों के व्यवहार को क्या कहा जा सकता है?” मन में पहली बात आती है कि काम करने जाने के लिए त्याग और तपस्या करनी पड़ती है। यह स्वभाविक रूप से नहीं आती, जानने की उस सुंदरता के साथ भी नहीं कि वे पुत्र और उत्तराधिकारी हैं।

लेकिन यहाँ समस्या अंगूर के खेत में काम करने जाने के उनके विरोध से उतनी जुड़ी नहीं है जितनी कि उनके पिता और स्वयं के प्रति उनकी ईमानदारी, या इसकी कमी से। दोनों बेटों में से कोई भी बेदाग व्यवहार नहीं करता : पहला झूठ बोलता और दूसरा ईमानदार रहता लेकिन गलती करता है। आइए, पहले बेटे को देखें, जो "हाँ" तो कहता, लेकिन काम पर नहीं जाता है। वह पिता की इच्छा पूरी करना नहीं चाहता लेकिन बहस करना या विवाद में पड़ना नहीं चाहता, इसलिए अपने को “हाँ” में छिपाता है, एक झूठी तत्परता दिखता है। अपने आलस्य को ढंकने की कोशिश करता है और कुछ समय के लिए अपने चेहरे को बचा लेता है। वह बिना किसी संघर्ष के जीना चाहता है, लेकिन अपने पिता को धोखा देता है और उनके साथ छल करता है। इस तरह से उनका अनादर करता है जो उसके "नहीं" में जवाब देने से भी बदतर है। इस तरह का व्यवहार करनेवाले व्यक्ति के साथ समस्या यह है कि वह पापी नहीं है, बल्कि भ्रष्ट है क्योंकि वह बिना किसी ईमानदार बातचीत या प्रतिक्रिया (फीडबैक) को स्वीकार किए, सहज से अपनी अवज्ञा को छिपाने और ढंकने के लिए झूठ बोलता है।

अपने व्यवहार के लिए जिम्मेदारी लेना

दूसरा बेटा जिसने “नहीं” में जवाब दिया, लेकिन काम करने गया वह ईमानदार है। वह पूर्ण नहीं है, लेकिन ईमानदार है। उसके लिए निश्चय ही अच्छा होता कि वह “हाँ” में जवाब देता। जो नहीं हुआ, लेकिन कम से कम वह अपनी अनिच्छा स्पष्ट रूप से और, एक निश्चित अर्थ में, साहसपूर्वक दिखाता है। अर्थात्, वह अपने व्यवहार की जिम्मेदारी लेता है और दिन के उजाले में कार्य करता है। इस बुनियादी ईमानदारी के साथ, वह खुद से तब तक सवाल करता है जब तक कि उसे समझ नहीं आ जाता कि उसने गलती की है और अपने कदम वापस ले लेता है।

संत पापा ने कहा, “हम कह सकते हैं कि वह पापी है, लेकिन वह भ्रष्ट नहीं है। एक पापी के लिए सदैव मुक्ति की उम्मीद रहती है; लेकिन, भ्रष्टों के लिए यह अधिक कठिन है। वास्तव में, उसकी झूठी "हाँ", उसके सुरुचिपूर्ण लेकिन पाखंडी मुखौटे और उसके झूठे दिखावे, जो आदत बन गए हैं, एक मोटी "रबर की दीवार" की तरह हैं, जिसके पीछे वह अपनी अंतरात्मा की शंकाओं से पर्दा उठाता है।

चिंतन

आइए, अब हम स्वयं को देखें और इन सबके आलोक में स्वयं से कुछ प्रश्न पूछें।

जब एक ईमानदार और उदार जीवन जीने, अपने आप को पिता की इच्छा के प्रति समर्पित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, तो क्या मैं हर दिन "हाँ" कहने को तैयार हूँ, भले ही इसकी कीमत चुकानी पड़े? और जब मैं असफल होता हूँ, तो क्या मैं अपनी कठिनाइयों, अपनी असफलताओं, अपनी कमजोरियों के प्रति ईश्वर के समक्ष ईमानदार होता हूँ? जब मैं कोई गलती करता हूँ, तो क्या मैं पश्चाताप करने और अपने कदम पीछे खींचने को तैयार हूँ? या क्या मैं दिखावा करता हूँ कि सब कुछ ठीक है और जीवनभर मुखौटा पहने रहता हूँ, सिर्फ अच्छा और नेक दिखने की चिंता करता हूँ? अंततः, क्या मैं भी हर किसी की तरह पापी हूँ, या मुझमें कुछ भ्रष्ट प्रवृतियाँ है?

तब माता मरियम से प्रार्थना करते हुए संत पापा ने कहा, “पवित्रता का दर्पण माता मरियम हमें ईमानदार ख्रीस्तीय बनने में मदद करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

 

 

 

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01 October 2023, 13:58