लाओदाते देऊम, सन्त पापा फ्राँसिस के साथ वैज्ञानिक भी जुड़े
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): पर्यावरण संकट पर सन्त पापा फ्राँसिस के नवीन विश्व पत्र लाओदाते देऊम के साथ विश्व विख्यात वैज्ञानिक, संस्कृति जगत के प्रतिनिधि और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण के मुद्दों में शामिल विशेषज्ञ भी जुड़ गये हैं।
नोबेल पुरस्कार विजेता जोर्जो परीज़ी का कहना है कि पर्यावरण को स्थिर बनाने के लिये अधिक उन्नत देशों से कम धनी देशों में संसाधनों का बड़े पैमाने पर स्थानांतरण आवश्यक है और जब तक युद्ध जारी हैं, इन मुद्दों पर राष्ट्रों के बीच एकजुटता बहुत मुश्किल है।
गुरुवार 05 अक्टूबर को वाटिकन उद्यान में सन्त पापा फ्राँसिस का नवीन विश्व पत्र लाओदाते देऊम पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिसमें सन्दर्भ और शब्दों के बीच सामंजस्य को बरकरार रखते हुए विश्व व्यापी जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण के ह्रास की ओर एक बार फिर ध्यान आकर्षित कराया गया है।
आमंत्रित शिक्षाविदों, विद्वानों, कार्यकर्ताओं, नागरिक समाज और संस्कृति जगत के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से उक्त दस्तावेज़ पर सहमति व्यक्त की, जो आठ साल पहले प्रकाशित विश्वपत्र लाओदातो सी को एकीकृत करते हुए, संस्थानों और राष्ट्रों को जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों का सामना करने के लिये तत्काल प्रतिबद्धता हेतु प्रेरित करता है।
जोर्जो परीज़ी
इस सन्दर्भ में भौतिक विज्ञान विशेषज्ञ नोबेल पुरस्कार विजेता प्राध्यपक जोर्जो परीज़ी का कहना है कि युद्धों की मौज़ूदगी में मानवीय एकात्मता अत्यधिक मुश्किल है। लाओदातो देऊम की प्रस्तुति के अवसर पर अपना व्याख्यान देते हुए उन्होंने सन्त पापा फ्राँसिस के नवीन विश्वपत्र की सराहना की, जिसे वे पहले से भी आज कहीं अधिक "आवश्यक" मानते है।
सन्त पापा की तरह ही, पारीज़ी मानते हैं कि दूसरों की तुलना में सबसे कमज़ोर लोग ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अधिक पीड़ित हैं। उन्होंने इस तथ्य पर सन्तोष व्यक्त किया कि सन्त पापा फ्राँसिस वैश्विक भागीदारी की तात्कालिकता तथा निष्पक्ष और सहायक तरीके से आगे बढ़ने को रेखांकित करते हैं: उनका कहना है कि "इस विनाशकारी तथ्य को सफलतापूर्वक रोकने के लिए सभी के अथक प्रयास की आवश्यकता है।"
परीज़ी "अधिक उन्नत देशों से कम अमीर देशों में संसाधनों के बड़े पैमाने पर हस्तांतरण" को लागू करने के महत्व पर ज़ोर देते हैं। इस संबंध में, वे अफ्रीका का उदाहरण देते हुए कहते हैं: "हम अफ्रीकी आबादी से फोटोवोल्टाईक पैनल बनाने के लिए संसाधनों की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। उन क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत लाने में सक्षम होने के लिए हमें एक वैश्विक योजना की आवश्यकता है।"
इसके अलावा, वे इन अंचलों में शैक्षिक माहौल, विशेषकर महिला शिक्षा में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं, जिससे यह जागरूकता पैदा हो सके कि पर्यावरण संरक्षण एक आवश्यक सामूहिक मुद्दा है।
लाओदातो देऊम की चेतावनी
सन्त पापा फ्राँसिस के अनुसार, हम जिस "ब्रेकिंग पॉइंट" अर्थात् "अत्यंत तनावग्रस्त स्थिति" की ओर लगातार बढ़ रहे हैं, प्रोफेसर परीज़ी उसकी पहचान "रूस के साथ सशस्त्र संघर्ष और चीन के साथ आर्थिक संघर्ष" में करते हैं। वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह अवधारणा सच है कि "यदि युद्ध होते हैं तो एकजुट मानवता मुश्किल है"।
भौतिक विज्ञानी प्राध्यापक परीज़ी कहते हैं, "दुबई में कॉप 28 बेहद महत्वपूर्ण है। सन्त पापा फ्रांसिस ने जो रेखांकित किया है उस पर ध्यान केन्द्रित कर अनुकूल समझौते करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, "आशा कभी नहीं मरती तथापि, मैं निश्चित रूप से एक बेहद कठिन स्थिति देख रहा हूं।" "रूस के साथ हमारा युद्ध और चीन के साथ व्यापार युद्ध अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के संदर्भ में कुछ भी अच्छा नहीं दर्शाता है।"
इस तथ्य पर उन्होंने बल दिया कि पर्यावरण सम्बन्धी संकट मात्र तकनीकी समस्या नहीं है, यह एक राजनैतिक और सामाजिक समस्या है जिसके लिये सभी की सूझ-बूझ, स्वार्थ के परित्याग, उदारता और एकात्मता की नितान्त आवश्यकता है।
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