खोज

नये कार्डिनलों का दल नये कार्डिनलों का दल 

संत पापाः कार्डिनलमंडल मुधर संगीत का स्रोत बनें

संत पापा फ्रांसिस ने कार्डिनलमंडल का विस्तार करते हुए 21 नये नये कार्डिनलों को कार्डिनलमंडल में सम्मिलित किया जिसकी संख्या अब कुल मिलकर 247 हो गई है।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने नये कार्डिनलों को कार्डिनलमंडल में शामिल करने के क्रम में कलीसिया की उत्पत्ति पर ध्यान आकर्षित कराया और सुसमाचार प्रचार हेतु आश्चर्य और कृतज्ञता के भाव का रसास्वादन करने का आहृवान किया।

संत पापा ने इस समारोह के संबंध में और विशेषकर नये नियुक्त कार्डिनलों के बारे में विचार करते हुए कहा, प्रिय भाइयो, आप जो कार्डिनल बनने वाले हैं, यह मुझे प्रेरित चरित पुस्तिका के एक पद की याद दिलाती है। यह एक मूलभूत पद है जो पेंतेकोस्त कलीसिया के बपतिस्मा से संबंधित है। लेकिन मेरे विचार मुख्य रुप से येरुसालेम में रहने वाले यहूदियों के द्वारा कहे गये एक वाक्य पर केन्द्रित हैं, उन्होंने कहा, हम “पारथी, मेदी और एलामीती” इत्यादि हैं। लोगों की यह लम्बी सूची मुझे कार्डिनलों के संबंध में विचार उत्पन्न करती है जो विश्व के विभिन्न भागों से हैं, और यही कारण है मैंने धर्मग्रंथ के इस पद का चुनाव किया।

आश्चर्य की भावना

इस पद पर मनन-चिंतन करते हुए मैं एक तरह से गुप्त “आश्चर्य” के बारे में चिंतन करता हूँ जहाँ हम आश्चर्य में खुशी को पाते जो मुझे पवित्र आत्मा के विनोद को समझने में मदद करता है।       

“यह आश्चर्य क्या हैॽ” हम प्रेरितों के संबंध में यह साधारणतः इस सच्चाई से जुड़ी हुई है कि पेन्तेकोस्त के इस पद को पढ़ते हुए हम अपने को प्रेरितों के रुप में पाते हैं। ऐसा होना स्वभाविक है। वे जो पारथी, मेदी और एलामीती” तथा अन्य जो मुझमें कार्डिनलों के संबंध में विचार उत्पन्न करता है, वे प्रेरितों के समुदाय से संबंधित नहीं थे। वे अंतिम व्यारी के बाहर थे, वे “भीड़” के अंग थे जो वायु की आवाज सुन कर “जमा” हुए। सभी प्रेरितगण “गलीलिया निवासी” थे, जबकि लोग जो वहाँ जमा हुए थे वे दूसरे देशों के थे, जैसे कि हमारे समय में हम धर्माध्यक्षों और कार्डिनलों को पाते हैं।

कलीसिया की उत्पत्ति

इस तरह का भूमिका में बदलाव हमें रूक कर चिंतन करने हेतु अग्रसर करता है, जब हम गहराई से इन बातों पर चिंतन करते तो यह हमारे लिए एक अति दिलचस्प दृष्टिकोण को प्रकट करता है, जिसे मैं आप सबों के संग साझा करना चाहूँगा। यह हमें अपने ऊपर चीजों को लेने का आहृवान करता है- जहाँ मैं सर्वप्रथम अपने को रखता हूँ, उन यहूदियों का अनुभव जो पेन्तेकोस्त में ईश्वरीय उपहार के माध्यम अपने को नयकों के रुप में पाते हैं, जहाँ पवित्र आत्मा के बपतिस्मा में हम एक पवित्र, काथलिक और प्रेरितिक कालीसिया के जन्म को पाते हैं। संत पापा ने इस बिन्दु को संक्षेपित करते हुए,“सुसमाचार प्राप्त करने के उपहार को आश्चर्यजनक रुप में पुनः “अपनी भाषाओं में” खोजना” कहा, जैसे की यहूदियों ने कहा। संत पापा ने कहा कि यह कृतज्ञतापूर्ण हृदय से अपने बीच में सुसमाचार प्रचार के बारे में विचार करना और दूसरे लोगों की ओर आकर्षित होते हुए, मुक्ति विधान के रहस्य को घोषित और स्वागत करना है, यह हमारे लिए कलीसिया के जन्म घोषित करता है। माता कलीसिया जो अपने में एक और काथलिक है विभिन्न भाषाएं बोली है।

हमारा अस्तित्व

प्रेरित चर्चा में ईश वचन हमें इस बात पर चिंतन करने का आहृवान करता है कि “प्रेरित” होने के पहले, पुरोहित, धर्माध्यक्ष और कार्डिनल बने के पूर्व हम अपने को “पारथियों, मेदियों और एलामीतियों” इत्यादियों के रुप में पाते हैं। और यह सुसमाचार के अनुरूप हमें मिली कृपा के लिए आश्चर्य में कृतज्ञता के भाव उत्पन्न करता है। संत पापा ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है हमें इस बात को नहीं भूलना है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुआ कहा कि हमारे लोगों के इतिहास में, उनके जीवन में पवित्र आत्मा ने येसु ख्रीस्त के रहस्य को जो मर गये और जी उठे आश्चर्यजनक रुप में संचारित किया है। यह हमारे लिए “हमारी मातृ-भाषा” में, हमारे नाना-नानियों और हमारे माता-पिता, धर्मप्रचारकों, पुरोहितों और धर्मबंधुओं के मुख से आया। हममें से हर कोई ठोस रुप में उन आवाजों और चेहरों को याद कर सकते हैं। विश्वास को हम अपनी स्थानी भाषा में माताओं और दादा-दादियों के द्वारा प्रसारित होता पाते हैं।

वास्तव में, हम अपने में सुसमाचार प्रचारक तक बने रहते हैं जब हम आश्चर्य और कृतज्ञता के भाव का रसास्वादन करते हैं क्योंकि यह एक उपहार के रुप में हमारे बीच बना रहता है, जिसे सदैव हमारी यादों और विश्वास में नवीन करने की आवश्यकता है।

पेन्तेकोस्त ईश्वर का सृजनात्मक कार्य

संत पापा ने कहा कि पेन्तोकोस्त हमारे बपतिस्मा की भांति अतीत की कोई घटना नहीं है, बल्कि या ईश्वर का सृजनात्मक कार्य है जिसे वे सदैव हमारे लिए करते हैं। कलीसिया और उसका हर सदस्य सदैव इस रहस्य को जीता है। वह “अपने नाम से अलग” नहीं जीती, पुरातात्विक विरासत के अनुसार एकदम ही नहीं जीती, चाहे वह कितनी भी कीमती और महान क्यों न हो। कलीसिया और हर बपतिस्मा प्राप्त पवित्र आत्मा के कार्य द्वारा ईश्वरीय जीवन को जीता है। हमारा यह कार्य जिसे हम अभी सम्पादित कर रहे हैं अपने में अर्थपूर्ण होता है जब हम इसे विश्वास के दृष्टिकोण से देखते हैं। आज ईश वचन के आधार पर हम इस सत्य को समझ सकते हैं, आप नये कार्डिनलगण विश्व के विभिन्न स्थानों से आये हैं, और वही आत्मा जिन्होंने आप के मध्य सुसमाचार प्रचार को फलहित किया है आप में अपनी बुलाहट और प्रेरितिक कार्य को कलीसिया में और कलीसिया के लिए नवीकृत करते हैं।

कार्डिलनमंडल सुमधुर संगीत बनें

आश्चर्य से उत्पन्न इस मंथन को संत पापा ने नये कार्डिनलों के लिए एक निशानी, वाध्य-मण्डल (ऑर्केस्ट्रा) के उदाहरण स्वरुप व्यख्या करते हुए कहा कि कार्डिनलमंडली अपने में एक सुमधुर संगीत का समिश्रण होने को बुलाई गई है जिसमें हम कलीसिया की एकता और सिनोडलिटी के प्रतिनिधित्व को पाते हैं, यह इसलिए नहीं कि हम सिनोड की पूर्वसंध्या में हैं बल्कि इसलिए क्योंकि वाध्य-मण्डल की लक्षणा हमारे लिए कलीसिया की विशेषता को खास रुप में आलोकित करती है।

संत पापा ने कहा की एक सिम्फनी की उत्पत्ति कुशल रचना में होती है जहाँ हम विभिन्न तरह के वध्ययंत्रों को पाते हैं जो कभी अकेले, तो कभी दूसरे के साथ मिलकर अपना सहयोग देते हैं। विविधता हमारे लिए जरूरी है यह अपरिहार्य है। यद्यपि हर आवाज को एक सामान्य रुप में होने की जरुरत है। यही कारण है कि पारस्परिक रुप में हमें एक-दूसरे को सुनने की आवश्यकता है। यदि कोई केवल अपने को ही सुनता तो चाहे वह कितना भी उत्कृष्ट क्यों न हो सिम्फनी के लिए लाभदायक नहीं होता है। वह ऐसा प्रतीत होगा मानों वह अकेला बज रहा हो, मानो वही केवल हो। इसके आलावे हमें वाध्य-मण्डल संचालक की जरुर है जिसे सबसे अधिक सुनने की आवश्यकता है, वहीं उसका उत्तरदायित्व यह है कि वह हर व्यक्ति में सर्वोत्म सृजनात्मक निष्ठा का विकास करे, उसका कार्य निष्ठा में किया जा रहा हो, साथ ही सृजनात्मकता जिससे अद्वितीय संगीत उत्पन्न किया जा सके।

चिंतन, वाध्य-मण्डल का स्वरुप

संत पापा ने कहा कि हमें अपने को वाध्य-मण्डल के रुप में देखना और चिंतन करना बेहतर होगा, जिससे हम संगीतमय और सिनोडल कलीसिया हो सकें। उन्होंने कार्डिनमंडली से कहा कि पवित्र आत्मा हमारे नायक हैं हमारे आंतिरक गुरू जो हमारे साथ चलते हैं। वे हममें विभिन्नता और एकता उत्पन्न करते हैं। वे स्वयं में एकता हैं। हम अपने को उनके नम्र और सशक्त निर्देशन में और कुंवारी मरियम के कृपामयी संरक्षण में समर्पित करते हैं। 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

30 September 2023, 16:09