पोप फ्राँसिस : ख्रीस्तीय, भाईचारा को अपनाने के लिए बुलाये गये हैं
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 7 सितम्बर 2023 (रेई) : पोप फ्राँसिस ने वाटिकन पब्लिशिंग हाउस, लाइब्रेरिया एदिट्रिचे वातिकाना और एदित्सियोनी ई/ओ द्वारा प्रकाशित फ्राँसीसी लेखक एरिक-इम्मानुएल श्मित की पुस्तक "द चैलेंज ऑफ जेरूसलम - ए जर्नी टू द होली लैंड" का उपसंहार लिखा है।
पोप के संदेश को इताली काथलिक समाचार पत्र अभेनीरे में पहले ही प्रकाशित किया जा चुका है।
संत पापा ने अपने पत्र की शुरुआत श्री श्मित को यह बतलाते हुए किया है कि उनकी पुस्तक पढ़ने से उनके मन में, 2014 में पवित्र भूमि की अपनी तीर्थयात्रा की याद दिलायी, जब संत पापा पॉल षष्ठम और ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के आध्यात्मिक गुरू कुस्तुनतूनिया के तत्कालीन प्राधिधर्माध्यक्ष अथनागोरस के बीच ऐतिहासिक मुलाकात की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए, उन्होंने तीर्थयात्रा की थी।
उन्होंने याद किया कि इस घटना ने "सदियों से विभाजित और अलग हुए ख्रीस्तियों के बीच मेल-मिलाप की यात्रा में एक नया चरण चिह्नित किया, और वास्तव में, येसु की भूमि में, इसे एक नई दिशा मिली।"
'कहाँ से ये सब शुरू हुआ'
पोप फ्राँसिस ने बताया कि पुस्तक में जहाँ, "काव्यात्मक तीव्रता के साथ," उन स्थानों का जिक्र हैं, विशेषकर, बेथलेहम, पवित्र कब्र, गेथसेमेनी बारी, जहाँ उन्होंने दौरा किया था, उनकी खूब याद आयी।
पुरानी यादों के साथ, पोप ने यह सोचने की भावना भी व्यक्त की कि "ये सब कहाँ से शुरू हुआ", क्योंकि लेखक उन स्थानों को याद करते हैं जहाँ येसु का प्रारंभिक जीवन शुरू हुआ और वे बढ़े।
पोप ने स्वीकार किया है कि पुस्तक के अन्य पहलुओं ने उन्हें "चुनौती दी", और, यात्रा वृतांत को दिए गए शीर्षक, "द चैलेंज ऑफ जेरूसलेम" की जांच करते हुए तर्क दिया कि हम सभी को "मानव भ्रातृत्व की" चुनौती का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने यहूदी, ख्रीस्तीय और इस्लाम धर्मों के लिए येरूसालेम के महान महत्व को याद किया, यह देखते हुए कि यह "कोई संयोग नहीं" था कि 2014 में अपनी प्रेरितिक यात्रा पर, वे अर्जेंटीना के अपने मित्र, रब्बी अब्राहम स्कोर्का और अर्जेंटीना के मुस्लिम प्रतिनिधि उमर अब्उद से मिले।
भाई होने का आह्वान
उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट रूप से यह प्रकट करना चाहता था कि विश्वासियों को भाई और पुल-निर्माता कहा जाता है, दुश्मन या युद्ध-निर्माता नहीं।" "हमारी बुलाहट भाईचारा के लिए है, क्योंकि हम एक ही ईश्वर की संतान हैं।"
पोप ने आगे कहा, "येरूसालेम आज भी दुनिया के सामने जो चुनौती पेश करता है, वह बिल्कुल यही है, "हर इंसान के दिल में, एक मानव परिवार में एक-दूसरे को भाई के रूप में देखने की इच्छा जगाना।"
इसी "चेतना" और "जागरूकता" के साथ, पोप फ्राँसिस ने अपने उपसंहार में लिखा, "क्या हम एक संभावित भविष्य का निर्माण करने में सक्षम होंगे, विनाश और नफरत के हथियारों को शांत कर पायेंगे, और दुनिया भर में शांति की मीठी सुगंध फैलाएंगे, जिसे ईश्वर अथक रूप से हमें देते हैं।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here