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येसु के शिष्य धर्मसंघ की सदस्याएं सन्त पापा फ्राँसिस के संग येसु के शिष्य धर्मसंघ की सदस्याएं सन्त पापा फ्राँसिस के संग 

येसु के शिष्य धर्मसंघ के तीर्थयात्रियों से सन्त पापा फ्राँसिस

विश्व के पाँचों महाद्वीपों में विभिन्न कल्याणकारी सेवाओं के माध्यम से उपस्थित, "यूखारिस्त में येसु के शिष्य" नामक धर्मसंघ की धर्मबहनों ने, धर्मसंघ की शताब्दी के उपलक्ष्य में रोम की तीर्थयात्रा कर, शुक्रवार को, सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 25 अगस्त 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): विश्व के पाँचों महाद्वीपों में विभिन्न कल्याणकारी सेवाओं के माध्यम से उपस्थित, "यूखारिस्त में येसु के शिष्य" नामक धर्मसंघ की धर्मबहनों ने, धर्मसंघ की शताब्दी के उपलक्ष्य में रोम की तीर्थयात्रा कर, शुक्रवार को, सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।   

येसु की विनीत सेविकाएं

धर्मबहनों का अभिवादन करते हुए सन्त पापा ने विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में शिक्षा, चिकित्सा तथा अन्य उदारतापूर्ण कार्यों के लिये धर्म संघ की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होने स्मरण किया कि यूखारिस्त में येसु के शिष्य नामक धर्मसंघ की स्थापना का लक्ष्य ग़रीब लोगों के विनीत सेवक बनना, उनके प्रयासों को साझा करने में सहायक होना और उनकी मानवीय और धार्मिक मुक्ति को बढ़ावा देने में भविष्यवक्ता बनना था। उन्होंने कहा कि उनके जीवन के केंद्र में यूखारिस्त था, जो कि "प्रेम का संस्कार, एकता का संकेत, दान का बंधन है" जैसा कि द्वितीय वाटिकन महासभा हमें सिखाती है।

सन्त पापा ने कहा, प्रेम, एकता और दान; आराधना तथा सेवा, यानी मनुष्य और समाज में पाप से उत्पन्न घावों और रिक्तियों को कोमलता से भरना, येसु के सामने घुटने टेकना और लंबे समय तक वहां रहना, यही आपकी जीवन चर्या है जिसकी मैं सराहना करता हूँ, क्योंकि आपके जीवन के द्वारा आप अन्यों को मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।  

सन्त पापा ने कहा कि आपके धर्मसंघ की साहसी महिलाओं की प्रार्थनाओं ने वास्तव में विश्व के सभी महाद्वीपों में  एक सकारात्मक शक्ति उत्पन्न की है, जो अपने-अपने क्षेत्रों में सभी अपेक्षाओं से कहीं अधिक भौतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मुक्ति के कार्यों को शुरू करने और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित हुए हैं।

धर्मसंघ की सराहना

धर्मसंघ के कार्यों की सराहना करते हुए सन्त पापा ने कहा कि उक्त धर्मसंघ ने अपने कार्यों द्वारा परिवारों और पल्ली समुदायों के विश्वास और उनकी प्रतिबद्धता को फिर से जागृत किया है। विभिन्न स्तरों पर स्कूलों की स्थापना कर उन्होंने कई लोगों, पुरुषों और महिलाओं, युवाओं, वयस्कों और बुजुर्गों में भक्ति और अपनी गरिमा की भावना को फिर से जागृत किया है। साथ ही बहुत बार और बहुत लंबे समय तक अमानवीय जीवन स्थितियों, आसपास की दुनिया की अवमानना ​​और उदासीनता से उत्पीड़ित होने के बावजूद वे अपने मिशन के प्रति वचनबद्ध रहीं। सन्त पापा ने कहा कि उन्होंने एक अलग "युद्ध" छेड़ दिया है: ग़रीबी और अन्याय के खिलाफ युद्ध; उन्होंने एक अलग तरह महामारी फैलाई है: प्रेम की महामारी।

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25 August 2023, 11:32