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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

देवदूत प्रार्थना में पोप : जब हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं, वे हमें नहीं रोकते

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने इस बात पर जोर दिया कि जब हम येसु से आग्रहपूर्वक प्रार्थना करते हैं तो वे हमें नहीं रोकते, और उन्होंने निमंत्रण दिया कि हम ख्रीस्त के साथ व्यक्तिगत संबंध को मधुर बनाते हुए विश्वास में सुदृढ़ बनें।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार, 20 अगस्त 23 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

संत पापा ने सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए कहा, “आज का सुसमाचार पाठ इस्राएल से बाहर की एक कनानी स्त्री से येसु की मुलाकात का वर्णन करता है। (मती.15:21-28) वह उनसे अपनी बेटी को मुक्त करने हेतु आग्रह करती है जो अपदूत के वश में है। लेकिन प्रभु उसपर ध्यान नहीं देते। इसपर वह जिद्ध करती है और शिष्य येसु से निवेदन करते हैं कि वे उसकी बात मान लें ताकि वह रूक जाए। लेकिन येसु एक उदाहरण देते हुए स्पष्ट करते हैं कि उनका मिशन सिर्फ इस्राएल के बच्चों के लिए है। वे कहते हैं, “बच्चों की रोटी लेकर पिल्लों के सामने डालना ठीक नहीं।” इसपर स्त्री उत्तर देती है, “जी हाँ प्रभु! फिर भी स्वामी की मेज से गिरा हुआ चूर पिल्ले खाते ही हैं।” तब येसु खुश होकर कहते हैं, “नारी तुम्हारा विश्वास महान है, तुम्हारी इच्छा पूरा हो” और उसी क्षण उसकी बेटी अच्छी हो गई।” (26-28)

संत पापा ने येसु के व्यवहार पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम देखते हैं कि येसु अपने व्यवहार को बदल लेते हैं; उस महिला के विश्वास की ताकत ने उन्हें बदल दिया।”

आगे संत पापा ने विश्वासियों का ध्यान दो प्रमुख आयामों - येसु में बदलाव और महिला का विश्वास - पर चिंतन किया।

येसु में बदलाव

संत पापा ने गौर किया कि येसु अपना उपदेश सिर्फ चुने हुए लोगों को दे रहे थे। हालांकि बाद में पवित्र आत्मा कलीसिया को दुनिया के अंतिम छोर तक भेजेंगे। लेकिन अभी जो हो रहा है उसे हम एक पूर्वानुमान कह सकते हैं। इस कनानी स्त्री की घटना में ईश्वर के कार्य की सार्वभौमिकता प्रकट होती है। येसु उस महिला को जो चुने हुए लोगों में से नहीं थी, ध्यान लेने लगते हैं। महिला की अर्जी को सुनने के बाद वे अपनी योजना में बदलाव लाते हैं; उसकी परिस्थिति को समझते हुए, वे अधिक सहानुभूतिपूर्ण और दयालु हो जाते हैं।

संत पापा ने कहा, “ईश्वर ऐसे ही हैं। वे प्रेम हैं और जो प्रेम करता, वह अपने स्थान पर कठोर बना नहीं रह सकता बल्कि द्रवित एवं प्रभावित होता है। वह अपनी योजनाओं में परिवर्तन लाता है। और हम ख्रीस्तीय जो ख्रीस्त का अनुकरण करना चाहते हैं, हम बदलाव लाने के लिए आमंत्रित किये जाते हैं।” हमारे संबंधों में और साथ ही साथ हमारे विश्वास के जीवन में, कितना अच्छा होता, यदि हम कनानी स्त्री के साथ येसु के व्यवहार के समान, विनम्र होते, सचमुच ध्यान देते, सहानुभूति रखते एवं दूसरों की अच्छाई के लिए कोमल बनते।

येसु के साथ खुली बातचीत

नारी के विश्वास की येसु ने प्रशंसा की और उसे “महान” कहा। (28) शिष्यों के अनुसार, उस नारी में महानता इस बात में थी कि वह जिद्दी थी, जबकि येसु उसके विश्वास को देखते हैं। संत पापा ने कहा, “यदि हम उस महिला के विश्वास को देखते हैं।" तो हम पायेंगे कि वह एक विदेशी, एक दीनहीन महिला थी, जो शायद इस्राएल की धार्मिक नीतियों और नियमों को नहीं जानती थी।” 

उसका विश्वास किस चीज से बना था? उसके पास अवधारणाओं का नहीं बल्कि कर्मों का खजाना है - कनानी महिला करीब आती है, साष्टांग प्रणाम करती है, जिद करती है, येसु के साथ खुलकर बातचीत करती है, सिर्फ उनसे बात करने के लिए हर मुसिबत लांघ जाती है। संत पापा ने जोर देते हुए कहा, “यही विश्वास का ठोस रूप है, जो धार्मिक स्तर पर नहीं है लेकिन प्रभु के साथ एक व्यक्तिगत संबंध है। इस महिला का विश्वास धार्मिक वीरता से नहीं, बल्कि आग्रह से भरा है; शब्दों से नहीं, प्रार्थना से। और जब ईश्वर से प्रार्थना की जाती है तो वे विरोध नहीं करते। यही कारण हैं कि उन्होंने कहा, “मांगो और तुम्हें दिया जाएगा, ढूँढ़ो और तुम पाओगो, खटखटाओं और यह तुम्हारे लिए खोला जाएगा।” (मती. 7:7)

मेरा विश्वास कैसा है?

संत पापा ने चिंतन हेतु आमंत्रित करते हुए कहा, “इन सब के आलोक में, हम अपने आपसे कुछ सवाल पूछें। क्या मैं अपना विचार बदल सकता हूँ? क्या मैं जानता हूँ कि कैसे समझदार और दयालु होना है? अथवा क्या मैं अपनी स्थिति पर अडिग बना रहता हूँ?

मेरा विश्वास कैसा है? क्या मैं विचारों और शब्दों में रूक जाता हूँ? अथवा क्या मैं इसे प्रार्थना एवं कार्य के साथ जीता हूँ? क्या मैं प्रभु से वार्तालाप करना जानता हूँ? क्या मैं उनसे जिद्द करता हूँ? अथवा क्या मैं निर्धारित प्रार्थनाएँ कर संतुष्ट हूँ?

 हमारी माता मरियम हमें उस विश्वास के प्रति खुला बनाये रखे जो अच्छा और ठोस है। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।”

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20 August 2023, 14:09