खोज

कार्डिनल परोलिन : विश्व युवा दिवस से पोप फ्राँसिस को बड़ी उम्मीद

पोप फ्राँसिस की पुर्तगाल में प्रेरितिक यात्रा के पूर्व वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने कहा है कि विश्व युवा दिवस, युवाओं के लिए येसु के निकट आने का एक महत्वपूर्व अवसर है। उन्होंने फातिमा में पोप फ्राँसिस की यात्रा को बीमारों के करीब रहने और शांति के लिए प्रार्थना करने का समय बताया।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 1 अगस्त 2023 (रेई) : पोप फ्राँसिस की पुर्तगाल में प्रेरितिक यात्रा के पूर्व वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने कहा है कि विश्व युवा दिवस, युवाओं के लिए येसु के निकट आने का एक महत्वपूर्व अवसर है। उन्होंने फातिमा में पोप फ्राँसिस की यात्रा को बीमारों के करीब रहने और शांति के लिए प्रार्थना करने का समय बताया।

लिस्बन की यात्रा करनेवाले युवा, पोप फ्राँसिस के साथ 37वाँ विश्व युवा दिवस मनाने का इंतजार कर रहे हैं, जो कोविड-19 महामारी के बाद पहली बार होगा। पोप इस चेतना के साथ पुर्तगाल के लिए रवाना हो रहे हें कि सभी "मुलाकातें प्रभावशाली हैं, जिनमें कुछ लोगों के जीवन को बदलने की भी ताकत है।"

इन शब्दों के साथ, कार्डिनल पारोलिन ने वाटिकन मीडिया के साथ पोप के विचारों के बारे में अपनी अंतर्दृष्टि साझा की, जब पोप विश्वास के इस महान उत्सव के लिए दुनियाभर से आए युवाओं से मिलने, उन्हें सुनने और उनसे बात करने की तैयारी कर रहे हैं। संत पापा फ्राँसिस 2 से 6 अगस्त तक पुर्तगाल की राजधानी में रहेंगे, यह उनकी 42वीं अंतर्राष्ट्रीय प्रेरितिक यात्रा होगी।

वाटिकन राज्य सचिव उन सभी लोगों से भी आग्रह करते हैं जो इस उत्सव में शारीरिक रूप से भाग लेने में सक्षम नहीं होंगे कि वे भी इसमें "शामिल और प्रमुख पात्र के रूप में महसूस कर सकें" और बताते हैं कि प्रेरितिक यात्रा के दौरान फातिमा में पाँव रखने की योजना, पोप फ्राँसिस की बीमारों और पीड़ित लोगों के करीब रहने तथा शांति के लिए प्रार्थना करने की इच्छा से उत्पन्न हुई है।

प्रश्न: महामहिम, पुर्तगाल, लिस्बन में पोप फ्राँसिस विश्व युवा दिवस के युवाओं के साथ समय बिताएंगे। वे इस मुलाकात के लिए कैसे तैयारी कर रहे हैं?

संत पापा को लिस्बन में इस आगामी विश्व युवा दिवस से कई उम्मीदें हैं, और पहले से ही कई वीडियो संदेशों में उन्होंने युवाओं को इस तीर्थयात्रा में शामिल होने और सबसे बढ़कर, प्रार्थना में इस कलीसियाई कार्यक्रम की तैयारी करने के लिए आमंत्रित किया है। पोप उन सभी युवाओं के लिए प्रार्थना करते हैं जो इन दिनों लिस्बन के लिए दृढ़ विश्वास और चेतना के साथ निकल चुके हैं, कि इन मुलाकातों में, इन सभाओं में महान शक्ति है, यहां तक कि कुछ लोगों के जीवन को बदलने की ताकत भी है। उन्होंने हाल ही में कहा, "ऐसे दिवस से लोग बढ़ते हैं !" इसलिए संत पापा अगले विश्व युवा दिवस की तैयारी बड़ी आशा के साथ कर रहे हैं और युवाओं को भी इसी तरह का अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

प्रश्न: विश्व युवा दिवस संत जॉन पॉल द्वितीय के अंतर्ज्ञान से उपजा है। 2023 में इस सम्मेलन के क्या मायने हैं?

मैं कहूँगा कि संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की पसंद निस्संदेह एक भविष्यसूचक, एक भविष्यसूचक अंतर्ज्ञान थी, जिसने युवा लोगों के साथ जाने, उनके साथ सुसमाचार का प्रचार करने, ख्रीस्त के साथ उनकी मुलाकात को सुविधाजनक बनाने के लिए कलीसिया की इच्छा का संकेत दिया; यह एक संकेत था कि कलीसिया विश्व स्तर पर अपने युवा प्रेरिताई के प्रति तेजी से प्रतिबद्ध महसूस कर रहा था, कि वह युवा लोगों की चिंताओं और परेशानियों, उनकी आशाओं और इच्छाओं, उनकी अपेक्षाओं के प्रति हमेशा 'अनुकूल' था, ख्रीस्त से मुलाकात करने के परिप्रेक्ष्य में, जो मार्ग, सत्य, जीवन है।

इसलिए, मुझे ऐसा लगता है कि यह भविष्यसूचक अंतर्ज्ञान हमारे वर्तमान समय में भी अपनी पूरी प्रासंगिकता के साथ प्रकट हो रहा है। यह भविष्यसूचक अंतर्ज्ञान वर्तमान समय में अपनी सारी प्रासंगिकता बरकरार रखता है क्योंकि इसका उद्देश्य युवा पीढ़ियों के प्रति कलीसिया की प्रतिबद्धता की पुष्टि करना है। एक ऐसी दुनिया में, जो गहन परिवर्तन के दौर से गुजर रही है, जो कोविड महामारी के दुखद अनुभव से गुजरी है और जो कई संघर्षों का सामना कर रही है, आज, पूरे ग्रह पर, युवाओं के लिए येसु ख्रीस्त के चेहरे का दर्शन करना पहले से कहीं अधिक आवश्यक है, उनके उद्धार के वचन को जानने और उनके शिष्य बनने के लिए। अतः विश्व युवा दिवस अभी भी युवा लोगों के लिए सुसमाचार प्रचार का एक महत्वपूर्ण साधन और अवसर है।

इसके अलावा, इसमें सार्वभौमिक भाईचारे का एक पहलू भी है जो इस तथ्य से उत्पन्न होता है कि विभिन्न देशों से आनेवाले और विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और जीवनशैली वाले ये युवा एक-दूसरे से मिल सकते हैं और अपने अनुभवों को साझा कर सकते हैं, साथ ही अपने उपहारों का आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।

इसलिए, हमें आभारी होना चाहिए कि यह अनुभव 40 वर्षों से जारी है और आज इसके पास युवाओं के जीवन को प्रभावित करने का एक बड़ा मौका है।

प्रश्न: कलीसिया आज युवाओं से क्या सीख सकती है?

मेरा मानना है कि कलीसिया विश्वास के प्रचार, पूरे विश्व में विश्वास के हस्तांतरण के लिए बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। और मेरा मानना है कि कलीसिया के इस कार्य में युवाओं के पास हमें बताने के लिए कुछ है।

आज की दुनिया में, ऐसे कई लोग हैं जो येसु ख्रीस्त को नहीं जानते हैं या शायद उन्होंने उन्हें अस्वीकार कर दिया है, ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जिन्होंने विश्वास खो दिया है और ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कि ईश्वर हैं ही नहीं। पोप ने पीढ़ियों के बीच विश्वास के हस्तांतरण में इस दरार के बारे में अक्सर बात की है, यह समझाते हुए कि कलीसिया से मोहभंग महसूस करना और काथलिक परंपरा के साथ पहचान बनाये नहीं रखना कुछ हद तक सामान्य है। ऐसे माता-पिता की संख्या बढ़ रही है जो अपने बच्चों को बपतिस्मा नहीं देते हैं, जो उन्हें प्रार्थना करना नहीं सिखाते हैं या जो अन्य धार्मिक समुदायों में जाते हैं (ईजी 70)।

स्थिति, जिसके बारे में हमें जागरूक होना चाहिए और जिस पर हमें विचार करना चाहिए, उन युवाओं के अस्तित्व को करीब से छूती है जो अपने भीतर कई सवाल, कई शंकाएँ और कई प्रश्न रखते हैं जिनका वे नहीं जानते कि कैसे जवाब दिया जाए। इसलिए, युवा लोग कलीसिया से जो मांग करते हैं वह यह है कि कलीसिया अपनी प्रेरितिक प्रेरणा को नवीनीकृत करे और, बिना किसी डर के, प्रेरितिक और मिशनरी बदलाव के उस मार्ग पर चले जैसा कि संत पापा चाहते हैं। रचनात्मक होना आवश्यक है, साहस और सही भाषा ढूँढ़ना जरूरी है जिसके द्वारा येसु ख्रीस्त को आज के युवाओं के सामने, उनकी पूरी ताजगी में, उनकी पूरी सामयिकता में, इस तरह प्रस्तुत किया जा सके कि आज के युवा भी, जिनके पास अतीत के अपने साथियों की तुलना में अलग संवेदन शीलताएं, शैली, काम करने के तरीके हैं, वे उनका सामना कर सकें और विश्वास के गहरे अनुभव को जी सकें एवं विश्वास के इस गहन अनुभव से इसे अपने सभी साथियों के साथ साझा करने की इच्छा पैदा हो। इसलिए, यह निमंत्रण है कि हम अपनी चारदीवारी के भीतर चुप न रहें, बल्कि युवाओं के प्रति वास्तव में मिशनरी बनें और उन्हें विश्वास की इस यात्रा में और अधिक निकटता से शामिल करें।

प्रश्न: विश्व बहुत सारे संकटों से गुजर रहा है: युद्ध, गरीबी, उदासीनता, परित्याग, स्वार्थ, धर्मनिरपेक्षता... क्या युवा इन चुनौतियों से पार पा सकते हैं?

हाँ, और मेरा मानना है कि संकेत हमें संदेश में मिलता है जिसमें संत पापा ने विश्व युवा दिवस के लिए युवाओं को संबोधित किया है, जहाँ वे हमारी माता मरियम को प्रस्तुत करते हैं, जो दूत संदेश के बाद, उठी और शीघ्रता से चल पड़ी (लूका1:39) अपनी चचेरी बहन एलिज़ाबेथ, की मदद करने के लिए। यहां, माता मरियम सबसे बढ़कर  युवाओं को निकटता और मुलाकात का रास्ता दिखाती है। और मेरा मानना है कि जब युवा निकटता और मुलाकात के इन रास्तों पर चलते हैं, तो उनमें हमारे समाज की कई चुनौतियों का सामना करने और हल पाने तथा उसे दूर करने में मदद करने की क्षमता होती है।

मेरे मन में ऐसे कई युवाओं का साक्ष्य है, जो माता मरियम की तरह, अपनी सुख-सुविधाएँ त्यागने और खुद को जरूरतमंद लोगों के करीब रखने से नहीं डरते हैं। वे अपने आप में बंद नहीं होते, बल्कि अपनी प्रतिभा, अपनी योग्यता, अपनी क्षमता का उपयोग करते हैं। उन्होंने जो प्राप्त किया है उसे दूसरों को देते हैं, और उन विकल्पों की खोज करते हैं जिनसे दुनिया में अच्छाई बढ़ सके। मेरा मानना है कि यही वह योगदान है जिसको युवा हमारे समय की बड़ी चुनौतियों के बीच दे सकते हैं।

प्रश्न: फातिमा को विश्व युवा दिवस कार्यक्रम में जोड़ा गया है। माता मरियम के तीर्थस्थल की इस यात्रा का क्या महत्व है?

यह एक महत्वपूर्ण यात्रा है जिसमें संत पापा उन युवाओं से मिलेंगे जो बीमार हैं और उनके साथ रोजरी माला प्रार्थना करेंगे। एक विशेष क्षण होगा। मुझे लगता है कि पोप तीन चरवाहे बच्चों के लिए माता मरियम के संदेश को दोहराना चाहते हैं जिसको उन्होंने 1917 में दिया था। उनके शब्द सांत्वना के शब्द थे, युद्धग्रस्त दुनिया में आशा के शब्द, जो उस वास्तविकता से बहुत अलग नहीं थी जिसे हम आज अनुभव कर रहे हैं। हमारी माता मरियम ने चरवाहे बच्चों को आमंत्रित किया, और उनके माध्यम से दुनिया में शांति प्राप्त करने के लिए सभी लोगों को, रोजरी माला विन्ती बड़े विश्वास के साथ करने के लिए आमंत्रित किया था।

इसलिए, पोप फ्राँसिस, जो संघर्षों से प्रभावित लोगों की पीड़ा को हमेशा अपने दिल में रखते हैं, विश्व युवा दिवस के दौरान फातिमा तीर्थ की इस यात्रा के साथ, हमें हिम्मत न हारने और प्रार्थना एवं रोजरीमाला विन्ती को करते रहने के लिए कहते हैं।

प्रश्न: आप उन अनेक युवाओं से क्या कहना चाहेंगे जो चाहते हुए भी लिस्बन नहीं जा पायेंगे?

हाँ, हम जानते हैं कि जब विश्व युवा दिवस लिस्बन में हो रहा है तो वहाँ "लोको" कार्यक्रम भी होंगे और मीडिया के माध्यम से विश्व युवा दिवस का अनुसरण करना संभव होगा। जो लोग विभिन्न कारणों से लिस्बन नहीं जा सकते, उन्हें मैं पोप और पुर्तगाल में रहनेवाले उनके साथियों के साथ आध्यात्मिक रूप से एकजुट होने और दूर से ही सही, उनके साथ प्रार्थना करके इस अनुभव को गहराई से जीने के लिए आमंत्रित करता हूँ। इस प्रकार उन्हें भी लिस्बन में विश्व युवा दिवस का जीवंत हिस्सा होने का एहसास करना चाहिए!

मैं यह कहकर अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा, जैसा कि संत पापा ने कहा था, विश्व युवा दिवस "आतिशबाज़ी" नहीं हैं, अर्थात, उत्साह, शायद बहुत उत्साह के क्षण, जो अपने आप में बंद रहते हैं: उन्हें आम युवा प्रेरिताई में एकीकृत किया जाना चाहिए, इसलिए, प्रत्येक विश्व युवा दिवस को उन धर्मप्रांतों और पल्लियों के लिए सबसे बढ़कर प्रेरितिक कार्य होना चाहिए, जिन्हें विश्व युवा दिवस की तैयार करने के लिए बुलाया जाता है, उसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। मेरा मानना है कि इस समय सभी युवाओं को, यहां तक कि वे जो लिस्बन में शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते हैं, उन्हें इसमें शामिल और पूरी तरह से मुख्य पात्र के रूप में महसूस करना चाहिए।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

01 August 2023, 16:32