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विश्व युवा दिवस में संत पापा विश्व युवा दिवस में संत पापा  (AFP or licensors)

संत पापाः दुनिया के समुद्र में आगे बढ़ें

पुर्तगाल की अपनी प्रेरितिक यात्रा के प्रथम चरण में संत पापा फ्रांसिस ने पुर्तगाली कलीसिया के प्रेरितों को संबोधित किया।

वाटिकन सिटी

पुर्तगाल, बुधवार, 02 अगस्त 2023 (रेई):  संत पापा फ्रांसिस ने पुर्तगाल की अपनी प्रेरितिक यात्रा के प्रथम दिन, पुर्तगाल के कलीसियाई अगुवों से मुलाकात की और उन्हें अपने संदेश में दुनिया रूपी समुद्र में आगे बढ़ने का आहृवान किया।  

संत पापा ने इस प्रेरितिक यात्रा पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह केवल विश्व युवा दिवस के अनुभव तक सीमित रहना नहीं है बल्कि यह आप सभों के संग कलीसियाई यात्रा, आप की चुनौतियों और आशाओं में सहभागी होना है। युवाओं के संग, आज शाम की जागरण प्रार्थना में सहभागिता हमें ईश्वर के प्रेरितिक सपने और कलीसिया तथा मानव समाज के प्रति हमारे कार्यों को खुशी और उदारता में आलिंगन करने हेतु मदद करेगा।

ईश्वर बुलाते और बचाते हैं

संत पापा ने पुर्तगाल की भौगोलिक सुन्दरता के संदर्भ में येसु ख्रीस्त के प्रथम शिष्यों के बुलावे की ओर ध्यान इंगित कराते हुए कहा कि यहाँ का प्राकृतिक सौदर्य गलीलिया झील के तट पर प्रथम शिष्यों के बुलाये जाने की याद दिलाती है जिस पर मैं चिंतन करना चाहूँगा। ईश्वर ने हमें बुलाया और हमें बचाया है जो हमारे कार्य के अनुरूप नहीं बल्कि उनकी कृपा का फल है। इसे हम प्रथम शिष्यों के जीवन में पाते हैं। यहाँ हम विपरीत चीजों को देखते हैं, मछुवारे नाव छोड़कर अपने जालों की सफाई करते हैं जिससे वे अपने घरों को लौट सकें, जबकि येसु नाव में सवार होते और उन्हें मछली पकड़ने हेतु जाल डालने को कहते हैं।

येसु की चाह निकटता प्रदान करना

संत पापा ने कहा कि येसु नाव छोड़कर जाते हुए मछुवारों को देखते और रोकते हैं। ठीक इसके पहले हम येसु को अपने गृह-निवास, नाजरेत के प्रार्थना में उपदेश देता हुआ पाते हैं लेकिन उनके अपने ही उन्हें मार डालने की कोशिश करते और उन्हें शहर से बाहर निकाल देते हैं (लूका. 4.28-30)। ऐसा होने पर वे अपने कार्यों को नगर की गलियों में शुरू करते हैं जहाँ नर-नारियाँ प्रतिदिन अपने कार्यों को कर रहे होते हैं। येसु ईश्वर की निकटता को लोगों के जीवन की विभिन्न परिस्थितियों, उनके कार्य और आशा, असफलता और उनकी कमजोरियों में लाने की चाह रखते हैं, जैसे कि हम विशेषकर मछुवारों के जीवन में पाते हैं जो रात भर मेहनत करने पर भी कुछ नहीं पाते हैं। येसु, सिमोन और उसके साथियों की ओर सहानुभूतिपूर्ण निगाहों से देखते हैं जो अपने में थके-मांदे और निराश खाली हाथ अपने घर लौटते की स्थिति में हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि कलीसियाई यात्रा में हम ऐसा ही अनुभव करते हैं जब हम अपने जालों को खाली पाते हैं। यह प्राचीन रीति के देशों में असामान्य बात नहीं है जहाँ हम सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों में बढ़ोतरी के कारण, ईश्वर और विश्वास के प्रति लोगों में एक उदासीनता को पाते हैं। इस भांति निराशा के कारण हम अपने नावों को छोड़कर पीछे लौटने की परीक्षा में पड़ जाते हैं। लेकिन ऐसा करने के बदले हमें चाहिए कि हम अपने संघर्ष और आंसूओं को खुले हृदय के साथ ईश्वर के पास विश्वास में लायें जो हमारी हाथों को सदैव पकड़ते तथा हमें ऊपर उठने में मदद करते हैं।

येसु का प्रवेश

संत पापा ने कहा कि शिष्य नाव से उतर कर अपने जालों को धोते हुए जाने ही वाले होते कि येसु नाव में चढ़ते और उन्हें मछली पकड़े को जाल डालने हेतु कहते हैं। इस भांति वे हमारे जीवन में उस समय प्रवेश करते जब हम अकेलेपन और मुसीबत की घड़ी में होते हैं जिससे हम पुनः नयी शुरूआत कर सकें। “वे हमारे जीवन के किनारे में खड़े होते और हमारी आशा को नवीन करते हैं जैसे कि उन्होंने सिमोन और दूसरों के साथ किया” (लूका.5.4)। उन्होंने कहा कि हम निश्चित ही कठिन परिस्थिति में जीवनयापन कर रहे हैं लेकिन कलीसिया के रुप में येसु हमें कहते हैं, “क्या तुम अपनी नाव छोड़कर निराशा में डूबना चाहते होॽ” क्या तुम केवल अपने अतीत में बने रहने की चाह रखते होॽ या क्या तुम पुनः उत्साह में मछली पकड़ने हेतु अपने जाल डालोगेॽ ऐसा कहते हुए वे हमारी “बेचैनी” को सुसमाचार प्रचार हेतु उत्साह में बदलते हैं। बेचैनी अपने में एक अच्छी बात है जिसमें हम एक अथाह उत्साह रूपी सागर को पाते हैं जो हमें किनारे से चलते हए विश्व को जीतने हेतु नहीं अपितु उसे सुसमाचार के आनंद से भरने को प्रेरित करता है। संत पापा ने महान प्रेरित पुरोहित अंतोनियो भीयेरा को उद्धृत करते हुए कहा कि ईश्वर ने आपको छोटे देश में जन्म दिया है लेकिन समुद्र की ओर निहारते हुए वे आप को सारी दुनिया के लिए मरने को कहते हैं। हम अपने जालों को पुनः फेंकने और आशा में सारी दुनिया का आलिंगन करने को बुलाये गये हैं। “यह हमारे लिए रुकने और छोड़ने, अपनी नाव को किनारे खींच कर लाने या पीछे देखने का समय नहीं है।” हम भय के कारण वर्तमान स्थिति से न भागें या अतीत की बातों और चीजों में सुरक्षा न लें। यह ईश्वर के द्वारा दिया हुआ कृपा का समय है हम साहस के साथ सुसमाचार प्रचार और प्रेरिताई के समुद्र में आगे बढ़ें। इस संदर्भ में सुसमाचार से प्रेरित संत पापा ने तीन मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला।

गहरे समुद्र में जाना

उन्होंने कहा कि अपने जाल पुनः डालने हेतु हमें निराशा और निष्क्रयता, अपनी उदासी, संशय और विडम्बना के किनारों का परित्याग करते हुए आगे बढ़ने की जरुरत है। अपनी पराजय से विश्वास में बढ़ने हेतु हमें ऐसा करना है जैसे कि सिमोन ने रात भर कड़ी मेहनत के बाद पुनः यह कहते हुए किया, “आप के कहने पर मैं जाल डालूँगा” (लूका.5.5)। अपने को रोज दिन ईश्वर के हाथों और वचनों में समर्पित करने हेतु हमारे लिए उनके वचन केवल काफी नहीं हैं हमें प्रार्थना करने की भी जरुरत है। केवल आराधना के माध्यम ही हम सही अर्थ में सुसमाचार प्रचार के स्वादिष्ट जुनून को पुनः अपने लिए पाते हैं। केवल ऐसा करने के द्वारा हम अपनी पुरानी यादों और गलतियों से बाहर निकलते हुए साहस के साथ दुनियादारी या आदर्शों के बिना, सभों के बीच सुसमाचार प्रचार की एक गहरी चाह में प्रवेश करते हैं। संत पापा ने लिस्बन के संत जोन ब्रिटो की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने सालों पहले कठिनाइयों के मध्य भारत की यात्रा की। उन्होंने वहाँ की वेशभूषा के अनुरूप अपने को ढ़ाल लिया और लोगों को येसु के बारे में बतलाया। हम भी अपने जालों को फेंकते हुए सभों के संग वार्ता करने हेतु बुलाये गये हैं चाहे हमारे लिए इसमें जोखिम ही क्यों न हो। युवाओं की भांति जो पूरी दुनिया से यहाँ आये हैं हमें भी भयविहीन आगे बढ़ने की जरुरत है। वास्तव में, हमें खुले समुद्र और तूफानों से नहीं डरना है क्योंकि येसु हमसे मिलने आते और हमें कहते हैं,“ढ़रस रखो, डरो मत, मैं ही हूँ” (मत्ती.14.27)।

प्रेरितिक सेवा में सहभागिता

संत पापा ने कहा कि येसु पेत्रुस को गहरे समुद्र में जाने का कार्यभर सौंपते और दूसरों को भी जाल डालने को कहते हैं। पेत्रुस के नेतृत्व में दूसरे जाल फेंकते हैं। ऐसे करने के द्वारा वे बड़ी मात्रा में मछली पकड़ते हैं। वे अकेले ऐसा नहीं करते बल्कि दूसरों को अपनी सहायता हेतु बुलाते हैं। वे एक नहीं बल्कि दोनों नावों को मछलियों से भर देते हैं। “एक” हमारे लिए अकेलेपन, अपने में डूबे रहने, आत्म-निर्भरता को व्यक्त करता है जबकी “दो” संबंध को व्यक्त करता है। कलीसिया एक धर्मसभा, एकता है जहाँ हम एक दूसरों की सहायता करते हुए मिलकर यात्रा करते हैं। कलीसिया रूपी नाव में हरएक के लिए एक स्थान होना है, जहाँ सभी बपतिस्मा प्राप्त अपने जाल फेंकने, व्यक्तिगत रुप में सुसमाचार प्रचार हेतु अपने को संलग्न करने के लिए बुलाये जाते हैं। यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है, विशेष कर पुरोहितों और समर्पित जनों के संबंध में जिनकी संख्या अपने में कम है जबकि उनके  प्रेरितिक कार्य अत्याधिक हैं। यद्यपि हम इसे एक अवसर के रुप में देख सकते हैं जहाँ हम भातृत्वमय उत्साह और प्रेरितिक सृजनात्मकता को लोकधार्मियों के संग साझा कर सकते हैं। प्रथम शिष्यों का जाल हमारे लिए कलीसिया की निशानी को प्रस्तुत करता है जहाँ हम मानव, आध्यात्मिक और प्रेरितिक “संबंधों के तंत्र” को पाते हैं। जहाँ वार्ता, सह-उत्तरदायित्व और सहयोगिता का कमी होती वहाँ कलीसिया बूढ़ी हो जाती है। संत पापा ने कहा कि धर्माध्यक्ष पुरोहितों के बिना और पुरोहित लोकधर्मियों के बिना न रहें, एक पुरोहित अपने दूसरे पुरोहित भाइयों के बिना न रहे, वहीं हम सभी एक कलीसिया की भांति एक दूसरे से सदैव जुड़े रहें। कलीसिया में हम एक दूसरे की सहायता और सहयोग करते हुए भातृत्व की नींव का निर्माण करें। संत पापा ने पुर्तगाल के लोकधर्मियों को मित्रता और बहुमूल्य चमकते हुए पत्थरों की नींव कहा जिसमें सुसमाचार को चलने की जरुरत है, इसमें एक पत्थर की कमी सहज ही महसूस की जा सकती है। “हमें ईश्वर की सहायता से कलीसिया का निर्माण करने की जरुरत है”।

मनुष्य के मछुवारे बनें

येसु अपने शिष्यों को दुनिया के समुद्र में जाने की प्रेरिताई प्रदान करते हैं। धर्मग्रँथ में समुद्र बहुधा हमारे लिए बुराइयों और विपत्तियों के रुप में प्रकट की जाती है जिन्हें हम अपने में नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। अतः नर और नारियों के पकड़ने का अर्थ उन्हें गिरे हुए स्थानों से उठते हुए उन स्थान में स्थापित करना है जो उनका है। हमें उन्हें उन बुराइयों से बचाना है जो उन्हें भयभीत करता है, यह उन्हें हर तरह की मृत्यु से बचाना है। सुसमाचार मृत्यु की घाटी में जीवन की घोषणा है, अंधेरे में प्रकाश लाना है। इस अंधकार को हम पुर्तगाल के वर्तमान समाज में भी पाते हैं। संत पापा ने कहा कि हमें ऐसा मालूम होता है कि हमने जोश, सपने देखने के साहस, चुनौतियों का सामना करने की शक्ति और भविष्य के प्रति विश्वास को खो दिया है। अतः हम शंकाओं और अनिश्चित अर्थव्यवस्था, एक छिछली सामाजिक छवि और आशा की कमी में जीवनयापन करते हैं। कलीसिया के रुप में हमें पानी में उतरते हुए सुसमाचार रुपी जाल फेंकने का आहृवान किया जाता है जिससे हम लोगों को नया जीवन प्रदान कर सकें। हम बहुसांस्कृतिक समाज में सुसमाचार का खुलापन लाने हेतु बुलाये गये हैं विशेष कर युवाओं को ईश्वर के निकट लाने हेतु। हमें टूटे परिवारों और घालय संबंधों को ख्रीस्त के प्रेम से पोषित करना है। हमें उदासी और प्राणनाशक स्थिति में खुशी लाने की जरुरत है। आइए हम पुर्तगाल की कलीसिया को उन सभी लोगों के लिए एक “सुरक्षित बंदरगाह” स्वरूप बनायें जो जीवन में कठिनाइयों, जहाज़ों की तबाही और तूफ़ान का सामना करते हैं।

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02 August 2023, 17:20