खोज

सन्त फ्राँसिस को समर्पित महागिरजाघर, असीसी, इटली सन्त फ्राँसिस को समर्पित महागिरजाघर, असीसी, इटली  (AFP or licensors)

सन्त फ्राँसिस का नियम एक दिशा सूचक है

असीसी के सन्त फ्राँसिस के "नियम" की स्थापना के आठवें शतवर्ष के उपलक्ष्य में ज़ेडज़िस्लाव जोज़ेफ़ किजस की नई पुस्तक "ब्रुलिकांते दी वीता" की प्रस्तावना में, सन्त पापा फ्राँसिस ने "साझा पथ" प्रशस्त करने में इसकी वर्तमान प्रासंगिकता पर ज़ोर दिया है।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 28 जुलाई 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): असीसी के सन्त फ्राँसिस के "नियम" की स्थापना के आठवें शतवर्ष के उपलक्ष्य में ज़ेडज़िस्लाव जोज़ेफ़ किजस की नई पुस्तक "ब्रुलिकांते दी वीता" की प्रस्तावना में, सन्त पापा फ्राँसिस ने "साझा पथ" प्रशस्त करने में इसकी वर्तमान प्रासंगिकता पर ज़ोर दिया है।

सन्त पापा ने लिखा कि "हर किसी के भाई" असीसी के सन्त फ्रांसिस, 800 साल पहले अपने शिष्यों को एक ही लक्ष्य की ओर एक साथ चलने का नियम देना चाहते थे: परित्यक्त लोगों के पीड़ित शरीर में मौजूद येसु मसीह का आलिंगन करना और उनका चुम्बन करना।

ज़ेडज़िस्लाव जोज़ेफ़ किजस द्वारा इतालवी में लिखी गई "ब्रुलिकांते दी वीता" अर्थात् जीवन से भरपूर नई पुस्तक  की प्रस्तावना में सन्त पापा फ्रांसिस ने सन् 1223 में असीसी के सन्त फ्रांसिस द्वारा स्थापित जीवन के नियम पर एक चिन्तन प्रस्तुत किया है।

येसु के पदचिन्हों पर  

सन्त पापा ने लिखा कि सन्त फ्राँसिस के नियम का प्राण और केन्द्र येसु ख्रीस्त एवं उनका सुसमचार है। सन्त फ्राँसिस इसमें स्पष्ट करते हैं कि येसु एकमात्र स्वामी है और उन्हीं के पदचिन्हों पर चलना सच्चे ख्रीस्तानुयायी का दायित्व है।

असीसी के सन्त फ्राँसिस को सन्त पापा "मानव जीवन के शिल्पकार" के रूप में परिभाषित करते हैं क्योंकि उन्होंने अपने साथियों के जीवन को "आनन्द और प्रेम की परिपूर्णता की ओर" अग्रसर किया था। उन्होंने लिखा कि सन्त फ्राँसिस "विवेक में एक कारीगर" भी हैं, जैसा कि तीन साथियों की किंवदंती ने गवाही दी है कि कैसे "उन्होंने  प्रार्थना पर बल दिया ताकि प्रभु ईश्वर उन्हें उनकी बुलाहट की ओर इंगित करें।"

नियम की सरलता

सन्त पापा ने नियम में निहित "सादगी और सरलता" की सराहना की, जिसका पालन "हर कोई अपने मूल स्थान और संस्कृति की विविधता को त्यागे बिना कर सकता है।" सन्त पापा ने लिखा, "स्वागत करने, सुनने और संरक्षण देने की कला विशेष स्थितियों और बहुत विशिष्ट आवश्यकताओं में जीवन की खपरैलों को नहीं तोड़ती, जिसमें भाईचारे और स्वागत करने वाला नियम, विभिन्न और विविध रंगों के साथ, एक सुंदर मोज़ेक बन सकता है।"

सन्त पापा ने प्रस्तावना में लिखा कि सुसमाचार से ही सन्त फ्राँसिस ने "सीमाओं के परे" समुदायों के लिए निर्धारित उदार नियम की "ताकत और सुगंध" को आकर्षित किया।

नियम की अवधारणा

सन्त पापा फ्रांसिस ने नियम की अवधारणा को "एक बाधा" के रूप में नहीं, बल्कि "एक कम्पास के रूप में चित्रित किया जो व्यक्ति का मार्गदर्शन करता और सदैव साथ देता है।" सन्त पापा ने लिखा कि नियम दिल और दिमाग दोनों को "हमारी मानवता को विकसित करने तथा ईश्वर और दूसरों के साथ संबंध विकसित करने" का आग्रह करता है, साथ ही शनैः शनैः "प्यार से आमंत्रित किये जाने और प्यार करने की खुशी लाता है।"

उन्होंने लिखा, नियम "पवित्रआत्मा की शक्ति है जो हमें उन सभी चीज़ों के परित्याग हेतु प्रोत्साहित करती है जो हम पर दबाव डाल सकती हैं।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

28 July 2023, 11:24