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अस्मस्निष्ट पुरोहितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस अस्मस्निष्ट पुरोहितों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

पोप : युद्ध यूरोप में नागरिक और धार्मिक संतुलन को खतरे में डाल रहा है

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को वाटिकन में अस्मस्निष्ट पुरोहितों से मुलाकात की तथा उनकी प्रेरिताई पर ध्यान देते हुए तीर्थयात्राओं से लेकर मीडिया के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और मध्य पूर्व में उनकी सेवा के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

धर्मसंघ की 34वीं महासभा के लिए रोम में एकत्रित प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने, महासभा की विषयवस्तु की ओर ध्यान आकृष्ट किया। महासभा की विषयवस्तु है, “ईश्वर का राज्य निकट आ गया है।” संत पापा ने गौर किया कि उनके धर्मसमाजी जीवन की एक मुख्य प्रेरिताई है, ईश्वर के राज्य के निकट आने का एक बहुत ही ठोस रूप में साक्ष्य देना” और इसलिए यह हरेक व्यक्ति एवं पूरे विश्व के लिए एक आशा है।”

पोप ने अस्मस्निष्ट पुरोहितों को जोर देते हुए कहा, "आप जहां भी हों, जिन लोगों के पास आप भेजे गए हैं, उनके साथ आपकी निकटता से आप (स्वर्ग) राज्य के चिन्ह हैं।"

काम से केवल सामीप्य नहीं

उन्होंने आगे बताया कि यह निकटता स्वाभाविक रूप से कार्यों के माध्यम से प्रकट होती है, जो धर्मसमाज एवं कलीसिया की प्रेरितिक गतिविधियों से जुड़ी है जिनमें धर्मसमाज अपना योगदान दे रहा है, लेकिन, पोप ने आगे कहा, "कार्यों से परे, यह अपने आप को लोगों के करीब बनाना है, उन लोगों से शुरू करते हुए जिन्हें एक सहायक और भ्रातृत्वपूर्ण उपस्थिति की सबसे अधिक आवश्यकता है, जो उन्हें दिखाता है कि ईश्वर का राज्य उनके करीब है, इसे आपके माध्यम से और आपकी प्रेरिताई के साक्ष्य के माध्यम से महसूस कर सके।"

तीर्थयात्राएँ और मीडिया के प्रति प्रतिबद्धता

इस संबंध में, पोप फ्रांसिस ने पुरोहितों के दो विशेष उपलब्धियों का उल्लेख किया। पहला तीर्थयात्रा की प्रेरिताई, जिसकी शुरुआत लूर्द की तीर्थयात्रा से होती है, "जिसका उत्साह आपने सुदूर देशों, लैटिन अमेरिका तक फैलाया है"। इस संबंध में, संत पिता ने अपने बचपन की याद की जब बोयनस आयरिस में असम्पस्निस्ट बहनों ने लूर्द की तीर्थयात्रा का आयोजन किया था। पोप ने कहा, "बचपन में...यह एक सितारे की तरह था जिसका हमें अनुसरण करना था...मुझे यह अच्छी तरह से याद है..."।

पोप ने आगे कहा, दूसरी उपलब्धि, मीडिया के प्रति उनकी प्रतिबद्धता है, "जिसे आप आज सभी महाद्वीपों में विकसित कर रहे हैं, विविध प्रकार की जनता के लिए, यहां तक कि जो कलीसिया से दूर हैं।"

संघर्ष के दौरान एक प्रेरिताई

पोप फ्रांसिस ने व्यक्त किया कि वे इस प्रेरिताई को धर्मसमाजियों के लिए "ऐतिहासिक रूप से सबसे तीक्ष्ण" समय में लोगों के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। उन्होंने कहा, "यह एक वास्तविक चुनौती है", "चल रहे संघर्षों के कारण गंभीर संकट के इस युग में यह और भी अधिक जरूरी है।"

पोप ने कहा, “मैं आपको इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ, मध्य पूर्व में जहां ईसाइयों की दुर्दशा खतरे में है, और पूर्वी यूरोप में, जहां यूक्रेन में युद्ध क्षेत्र के नागरिक और धार्मिक संतुलन को खतरे में डालता है। संत पापा ने बुल्गारिया में बीजान्टिन संस्कार के छोटे काथलिक चर्च के प्रति उनकी वफादार प्रतिबद्धता के लिए परमधर्मपीठ की ओर से कृतज्ञता व्यक्त की, जो उन पर भरोसा कर रहा है। रूढ़िवादी, साथ ही इस्लाम और यहूदी धर्म के साथ बातचीत का उनका लंबा अनुभव, जो चर्च के लिए अनमोल है; यह आपको, आज पहले से कहीं अधिक, शांति की सेवा में एकता और साम्य का शिल्पकार बनाए।"

इसके बाद पोप फ्रांसिस ने असेम्प्शनिस्ट की महासभा के उद्देश्य का वर्णन किया, जो "आनेवाले छह वर्षों के लिए आपके कार्यों की व्यापक रेखाओं को परिभाषित करना" है। इस मिशन को ध्यान में रखते हुए, संत पापा ने उपस्थित लोगों को अपनी प्रार्थनाओं और अपने विश्वास का आश्वासन दिया कि "आप सर्वोत्तम शक्तियों का निवेश करने में सक्षम होंगे" और विशेष रूप से दुनिया के दक्षिण के देशों से "जो, आपके संस्थान में कई अन्य लोगों की तरह, उत्तर में अब घट रहे संसाधनों पर कब्ज़ा कर रहे हैं"।

"तीन गुना प्यार" प्रेम विकसित करें

संत पापा ने कहा, "अपने आपमें और अपने आस-पास उस 'तीन गुने प्रेम' को विकसित करने से न डरें जिसे फादर [इमैनुएल] डी'अल्ज़ोन", जो धर्समाज के संस्थापक थे, उन्होंने सिखाया था: ख्रीस्त से प्रेम, कुँवारी मरियम से प्रेम और कलीसिया से प्रेम।"

उन्होंने कहा, इस तरह उनके प्रवचन को करीब लाते हुए, आप अपने कारिज्म के प्रति विश्वस्त होंगे और इसे जीवन में लाने के लिए ऐसे तरीके खोजेंगे जो विश्वसनीय और नवीन हों"।

संत पापा ने अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन देते हुए उनसे कहा, "पुराने और नये, प्यारे भाइयों, आप मेरी प्रार्थनाओं और मेरे विश्वास पर भरोसा कर सकते हैं"। अंत में, पोप फ्रांसिस ने उपस्थित सभी पुरोहितों को उनकी प्रेरिताई की शुभकामनाएँ दीं।

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22 June 2023, 17:34