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खगोल भौतिकी के ग्रीष्म स्कूल के प्रतिभागियों को संबोधित पोप फ्राँसिस का संदेश खगोल भौतिकी के ग्रीष्म स्कूल के प्रतिभागियों को संबोधित पोप फ्राँसिस का संदेश 

युवा खगोलविदों से पोप: 'आश्चर्य की भावना' कभी न खोएँ

वाटिकन बेधशाला में खगोल भौतिकी के ग्रीष्म स्कूल के प्रतिभागियों को संबोधित एक संदेश में, संत पापा ने नए वैज्ञानिक उपकरणों पर चिंतन किया जो नई खगोलीय खोजों को प्रकट करते हैं, पोप ने प्रतिभागियों को हमेशा सत्य के प्रति प्रेम से प्रेरित होने के लिए आमंत्रित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन बेधशाला में खगोल भौतिकी के ग्रीष्म स्कूल के प्रतिभागियों को एक संदेश भेजा है तथा उन्हें आमंत्रित किया है कि जब वे तेजी से परिष्कृत उपकरणों के साथ ब्रह्मांड का निरीक्षण कर रहे हैं वे अपने शोध एवं अपने जीवन में विस्मय करने की चेतना को कभी न खोयें।

पोप फ्राँसिस, जिन्होंने जेमेली अस्पताल में पिछले सप्ताह अपने स्वास्थ्य लाभ के दौरान अपना संदेश लिखा, जहां उनकी पेट की सर्जरी हुई, इस अवसर पर "स्पेकोला वाटिकाना" संकाय सदस्यों को धन्यवाद दिया जो इस अनुभव में प्रतिभागियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।

रोम के कास्तेल गंदोल्फो में आयोजित इस कोर्स को कोविड-19 महामारी के कारण 5 वर्षों बाद पुनः आयोजित किया गया है। कॉर्स की शुरूआत 1986 में युवा खगोलविदों के लिए किया गया था जिसपर संत पापाओं का समर्थन हमेशा बना रहा।

18वाँ ग्रीष्म स्कूल बिग डेटा और मशीन लर्निंग की अवधारणाओं को प्रदर्शित करेगा, और छात्रों को व्यावहारिक डेटा विश्लेषण अनुभव प्रदान करेगा जिसका उपयोग वे अपनी परियोजनाओं के साथ कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, “यह देखते हुए कि कैसे नए जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप जैसे नए वैज्ञानिक उपकरण खगोल भौतिकीविदों को नई खोज करने की संभावना प्रदान करते हैं, हम यह देखना चाहते हैं कि हमारी आंखों के सामने ब्रह्मांड का विस्तार और परिवर्तन कैसे हो रहा है।"

"इन सबसे ऊपर, हम ब्रह्मांड की विशालता, इसकी विस्तृत सीमा और आकाशगंगाओं, सितारों और ग्रहों की आश्चर्यजनक संख्या से हैरान हैं जिनकी पहचान की गई है।"

2000 साल पहले लिखे स्तोत्रकार के शब्दों को याद करते हुए संत पापा ने कहा, “जब मैं तेरे बनाये हुए आकाश को देखता हूँ, तेरे द्वारा स्थापित तारों और चंद्रमा को, तो सोचता हूँ कि मनुष्य क्या है जो तू उसकी सुधि ले? आदम का पुत्र क्या है जो तू उसकी देखभाल करे?” (स्तोत्र 8:5) ब्रह्माण्ड की विशालता मनुष्यों के लिए हमेशा विस्मय का स्रोत रहा है।

उन्होंने लिखा, “21वीं सदी की शुरुआत में युवा विद्वानों के रूप में, आप इस ग्रीष्म स्कूल के दौरान उस विशाल विस्तार में से कुछ को समझने और नए आंकड़े के निरंतर प्रवाह को बेहतर ढंग से पचाने और समझने में सक्षम तरीकों को विकसित करने की तलाश में हैं।”

उपकरण और प्रज्ञा

यह देखते हुए कि कैसे उपकरणों का अधिग्रहण वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड को समझने में मदद करता है, संत पापा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रज्ञा और निपुणता के बिना उनका उपयोग अपर्याप्त है।

पोप ने कहा, "विज्ञान और दर्शन में समान रूप से, हम केवल उन प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने के प्रलोभन में पड़ सकते हैं जिनकी हमें पहले से ही उम्मीद रहती है, और नई एवं अप्रत्याशित खोजों से खुद को आश्चर्यचकित नहीं होने दे सकते हैं।"

"मेरी आशा है कि आप अपने शोध के परिणामों से तब तक संतुष्ट नहीं रहेंगे जब तक कि आपको आश्चर्य का अनुभव न हो।"

और उन्होंने उन युवा खगोलविदों को आमंत्रित किया जो "खगोल विज्ञान की खिड़की के माध्यम से" वास्तविकता का निरीक्षण करते हैं कि वे अन्य खिड़कियों की उपेक्षा न करें जो "अन्य महत्वपूर्ण वास्तविकताओं, जैसे करुणा और प्रेम, वास्तविकताओं को प्रकट करते हैं, जिनको आप इन दिनों बन रहे हैं, दोस्ती के रूप में भी।”

आश्चर्य की भावना

पोप ने संदेश में लिखा "शायद इस ब्रह्मांड के बारे में सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इसमें हमारे जैसे जीव, पुरुष और महिलाएँ शामिल हैं जो इसे आश्चर्य से देखने और "पूछताछ "करने की क्षमता रखते हैं।"

बाईबिल के स्तोत्र ग्रंथ के अध्याय 8 में स्तोत्रकार द्वारा पूछे गये सवालों कि “मानव क्या है जो तू उसकी सुधि ले, आदम का पुत्र क्या है जो तू उसकी देखभाल करे” और उसके बाद तुरन्त कहे गये वाक्य, “तूने उसे स्वर्गदूतों से कुछ ही छोटा बनाया और उसे सम्मान का मुकुट पहनाया”, की याद करते हुए संत पापा ने युवा खगोलविदों को प्रोत्साहन दिया है कि वे अपने शोध एवं अपने जीवन में आश्चर्य की भावना कभी न खोयें।  

अंत में, संत पापा ने उनके लिए कामना की है कि वे सच्चाई के प्रति प्रेम से प्रेरित हों और अपने सामने ब्रह्मांड के प्रत्येक टुकड़े से अचंभित हो सकें।

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20 June 2023, 17:41