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संत पापा सहायता एजेंसियों से : अपनी ख्रीस्तीय पहचान की उपेक्षा ना करें

संत पापा फ्राँसिस ने लैटिन अमेरिकी कलीसिया सहायता संस्थानों और संगठनों के बीच एक बैठक में प्रतिभागियों को एक संदेश भेजा और उन्हें याद दिलाया कि वे "ख्रीस्तीय धर्म के सार" को कभी भी हल्के में न लें।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 24 जून 2023 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने लैटिन अमेरिका के लिए रोम स्थित पोंटिफिकल कमीशन में कलीसिया सहायता संस्थानों और एजेंसियों के बीच एक बैठक में प्रतिभागियों को संबोधित एक संदेश में लिखा कि लैटिन अमेरिका को "भौगोलिक और अस्तित्व संबंधी परिधियों को बढ़ावा देने" और "समाज में सबसे गरीब और सबसे बहिष्कृत लोगों की जरूरतों का जवाब देने के लिए" एकजुटता की आवश्यकता है।

काथलिक सहायता संगठनों के बीच सहयोग

संत पापा कहते हैं, कि परमधर्मपीठीय आयोग के कार्यों में से एक, "सुसमाचार प्रचार परियोजनाओं को वित्तीय रूप से समर्थन देना," "आपातकालीन स्थितियों से निपटना और अपनी क्षमता के क्षेत्र में कलीसिया के लिए महत्वपूर्ण गतिविधियों को बढ़ावा देना" है।

उन्होंने नोट किया कि ‘प्रेदिकाते एवांजेलुम’ द्वारा लागू किए गए सुधार के तहत उन्होंने कूरिया की नई संरचना के भीतर आयोग की स्थिति को बनाए रखने का फैसला किया, संत पापा पियुस बारहवें ने 1958 में उस अंतर्ज्ञान को संरक्षित किया जब उन्होंने लैटिन अमेरिका के लिए पोंटिफिकल कमीशन की स्थापना की। कई मानवतावादी संगठनों की अपनी प्रकृति और मिशन है और वे काथलिक पहचान साझा करते हैं।

कार्यकुशलता और बड़े हृदय से परे येसु मसीह की उदारता है

संत पापा इस विशिष्टता पर जोर देते हैं, कि इन संगठनों को "अपने काम को किसी भी धर्मनिरपेक्ष मानवतावादी संगठन से अलग करना चाहिए" और एक दैनिक जागरूकता का नेतृत्व करना चाहिए कि ख्रीस्तीय धर्म हमें ईश्वर के प्रेम की निश्चितता देता है जो निरंतर "हमारा मार्गदर्शन करता है और हमारा साथ देता है।"

इसलिए, उन्होंने आगे कहा, "महत्वपूर्ण बात प्रशासनिक दक्षता नहीं है - जिसकी किसी को उम्मीद है, या "सरल मानवीय प्रयास जो उदार हृदय से आता है," बल्कि यह येसु मसीह की उदारता है: "हमारे भाई, जिसने हमें मुक्त किया है; पवित्र आत्मा जो कलीसिया का मार्गदर्शन करती है, सामंजस्य स्थापित करती है और मानवता को उसकी पूर्णता की ओर उन्मुख करती है।

आगे संत पापा फ्राँसिस ने कहा, कि यदि यह मौजूद नहीं है, तो "जो कुछ बचा है वह ठंडी व्यावहारिकता है जो कलीसियाई संस्थानों और उनके सदस्यों का जीवन जटिल बना देती है।"

 

 

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24 June 2023, 15:52