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देवदूत प्रार्थना में पोप : ईश्वर कठिन समय में हमारे साथ होते हैं

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने प्रभु को उनके सामीप्य के लिए धन्यवाद दिया, जो एक पिता की तरह, हमारा हाथ पकड़कर उठाते हैं, जब हम गिर जाते और पुनः उठने में कठिनाई महसूस करते हैं। उन्होंने विश्वासियों को प्रोत्साहन दिया कि वे उनपर भरोसा रखें और प्रेम तथा आशा के भले कार्य करें। पोप ने उन सभी लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट किया जिन्होंने अपनी प्रार्थनाओं द्वारा अस्पताल में उनका साथ दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 18 जून 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 18 जून को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज सुसमाचार पाठ में येसु बारह शिष्यों को नाम लेकर बुलाते और बाहर भेजते हैं। उन्हें भेजते हुए वे सिर्फ एक चीज का प्रचार करने के लिए कहते हैं : “राह चलते यह उपदेश दिया करो – ‘स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।’”(मती. 10:7)

संत पापा ने कहा, “यह वही घोषणा है जिससे येसु ने अपने उपदेश की शुरूआत की।” ईश्वर का राज्य, जो उनके प्रेम की प्रभुता है, वह निकट आ चुका है, वह हमारे बीच आ चुका है। और यह केवल एक संदेश मात्र नहीं है बल्कि जीवन की आधारभूत सच्चाई है।  

निश्चय ही, यदि स्वर्ग के ईश्वर हमारे निकट हैं तो हम इस पृथ्वी पर अकेले नहीं हैं, और कठिनाई में भी हम विश्वास नहीं खोयेंगे। संत पापा ने विश्वासियों से कहा, “ईश्वर दूर नहीं हैं, लेकिन वे एक पिता हैं, वे आपको जानते हैं और प्यार करते हैं; वे आपका हाथ पकड़कर ले चलना चाहते हैं जब आप खड़ी और ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर चलते हैं, जब आप गिरते और पुनः उठने एवं सही रास्ता पकड़ने में कठिनाई महसूस करते हैं।”

उन्होंने कहा, “जब आप खुद में सबसे कमजोर महसूस करते हैं, तब आप उसकी उपस्थिति को और अधिक मजबूती से महसूस कर सकते हैं। वे रास्ता जानते हैं, वे आपके साथ हैं, वे आपके पिता हैं!”

आइये, हम इस छवि पर थोड़ी देर रूकें, क्योंकि ईश्वर की घोषणा कि वे हमारे निकट हैं, हमें निमंत्रण देता है कि हम एक बालक की तरह सोचें, जो अपने पिता का हाथ पकड़कर चलता है। इससे सब कुछ अलग लगता है। बड़ी और रहस्यमयी दुनिया, परिचित और सुरक्षित हो जाती है, क्योंकि बच्चा जानता है कि वह सुरक्षित है। वह डरता नहीं और सीखता है कि कैसे खुलना है: वह अन्य लोगों से मिलता है, नए दोस्त पाता है, खुशी के साथ उन चीजों को सीखता है जो वह नहीं जानता था, और फिर घर लौटता है और जो कुछ उसने देखा है उसे बताता है, जबकि उसके भीतर इच्छा बढ़ती है, बढ़ने और उस काम को करने के लिए जो उसने अपने पिताजी को करते देखा है।

यही कारण है कि येसु यहां से शुरू करते हैं, कि ईश्वर निकट हैं। ईश्वर के करीब रहने से, हम भय पर विजय प्राप्त करते हैं, हम अपने आप को प्रेम के लिए खोलते हैं, हम अच्छाई में बढ़ते हैं और हमें घोषणा करने की आवश्यकता और आनंद महसूस होता है।

संत पापा ने कहा, “यदि हम एक अच्छा शिष्य बनना चाहते हैं, तो हमें बच्चों के समान बनना होगा। हमें ईश्वर की गोद में बैठना और वहाँ से दुनिया को भरोसे और प्रेम से देखना होगा, ताकि हम साक्ष्य दे सकें कि ईश्वर पिता है, कि सिर्फ वे ही हमारे हृदय को बदल सकते हैं और वह आनन्द एवं शांति प्रदान कर सकते हैं जिसको हम अपनी शक्ति से प्राप्त नहीं कर सकते।   

लेकिन, ईश्वर निकट हैं इसकी घोषणा हम कैसे करें? सुसमाचार में येसु हमें सलाह देते हैं कि बहुत सारे शब्दों का उच्चरण करने से नहीं बल्कि प्रभु के नाम पर प्रेम एवं आशा के कार्य करने के द्वारा जैसे : “रोगियों को चंगा करने, मुर्दों को जिलाने, कोढ़ियों को शुद्ध करने, नरक दूतों को निकालने के द्वारा कर सकते हैं। “तुम्हें मुफ्त में मिला है मुफ्त में दे दो।”(मती. 10:8) घोषणा का केंद्रविन्दु यही है : मुफ्त में मिली सेवा का साक्ष्य दो।

संत पापा ने विश्वासियों को चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “हम, जो ईश्वर पर विश्वास करते हैं, जो हमारे नजदीक रहते, क्या हम उन पर भरोसा रख सकते हैं? क्या हम उस बच्चे की तरह जो अपने पिता की बाहों को पकड़ना जानता है, भरोसे के साथ उनकी ओर देखना जानते हैं? क्या हम प्रार्थना में पिता की गोद में बैठना, वचन सुनना, संस्कारों में भाग लेना जानते हैं? और क्या हम उनके निकट होना, क्या हम दूसरों में साहस जगाना, जो पीड़ित हैं, अकेले हैं, जो दूर हैं और यहां तक कि जो शत्रु हैं, उनके भी करीब रहना जानते हैं?

संत पापा ने अपने इलाज के दौरान लोगों के समीप्य एवं प्रार्थना के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, “हाल के दिनों में मैंने बहुत अधिक सामीप्य प्राप्त किया है और इसके लिए मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ एवं आप सभी के प्रति भी आभारी हूँ, आप सभी को मेरा हार्दिक धन्यवाद।”

और अंत में, माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “और अब आइये, अब हम कुँवारी मरियम से प्रार्थना करें, कि वे हमें प्रेम किये गये महसूस करने में मदद दें और एक-दूसरे को भरोसा एवं सामीप्य बांट सकें।”

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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18 June 2023, 19:56