पोप : ख्रीस्तीय, मुस्लिम, हम भ्रातृत्व एवं प्रतिष्ठा की दुनिया में बढ़ें
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
अंतरधार्मिक वार्ता के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग एवं प्रिंस एस हसन बिन तायेब के नेतृत्व में अंतर आस्था अध्ययन के लिए शाही संस्थान के सदस्यों से बृहस्पतिवार को मुलाकात की, जो एक संगोष्ठी में भाग ले रहे हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य है ईसाई अरब विरासत का संरक्षण और विकास। संत पापा ने रेखांकित किया कि यह 6वीं बैठक है जो अंतरधार्मिक वार्ता के रास्ते पर निरंतरता और दृढ़ता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह निष्ठापूर्ण मित्रता को दर्शाता है जो आगे बढ़ रहा है। यह भाईचारा का रास्ता है जिसपर प्रतिभागी आगे बढ़ना चाहते हैं।
धर्मों के बीच समानताएँ
संगोष्ठी की विषयवस्तु है, "ईसाई धर्म और इस्लाम के बीच रचनात्मक समानताएँ"। संत पापा ने गौर किया कि किस तरह हम सभी एक लम्बी श्रृंखला से जुड़े हुए हैं : मुलाकात और दोस्ती के खूबसूरत और चुनौतीपूर्ण रास्ते पर हमसे पहले कई लोग आए, कुछ लोग हमारा अनुसरण करेंगे, जैसा कि हम आशा और प्रार्थना करते हैं, कि भाईचारे की भावना ही लोगों के बीच संबंधों की नींव है।
संत पापा ने अपने सम्बोधन में जॉर्डन के राजा अबदुल्लाह द्वितीय की सराहना की एवं अपना आभार व्यक्ति किया जो न केवल अपने देश के ख्रीस्तीय समुदाय पर ध्यान देते हैं बल्कि मध्यपूर्व के ख्रीस्तीयों का भी ख्याल रखते हैं, खासकर “युद्ध और हिंसा के समय में।”
विरासत की सुरक्षा
संत पापा ने कहा, “अंतरधार्मिक अध्ययन के लिए शाही संस्थान के मुख्य उद्देश्यों में से एक है अरब ईसाई विरासत का संरक्षण और विकास"। उन्होंने कहा, “इस संबंध में मैं अपना आभार व्यक्त करता हूँ क्योंकि यह न केवल कल और आज के ईसाई नागरिकों को लाभान्वित करता, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में इस विरासत की रक्षा और अभिसरण भी करता है, जो जातीयताओं, धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं में बहुत विविध और समृद्ध है।
एक अच्छा जीवन जीने की प्रतिबद्धता
अपने सम्बोधन के अंत में संत पापा फ्राँसिस ने याद दिलाया कि संवाद का अभ्यास और प्रचार करने के लिए ईमानदारी और आपसी सम्मान की शैली की आवश्यकता होती है यदि इसे फलदायी होना है, और इसके लिए "अभिसरण और भिन्नता दोनों के बारे में जागरूकता" की जरूरत होती है। उन्होंने सभी के लिए करुणा की बात की तथा कहा कि “मौत के साथ सब कुछ समाप्त नहीं होता, बल्कि एक दूसरा जीवन है, अनन्त जीवन, जहाँ हम अपने कार्यों का हिसाब देंगे और पुरस्कार या दण्ड पायेंगे।”
अंततः संत पापा ने कहा कि एक अच्छे जीवन के लिए हमारी प्रतिबद्धता, ईश्वर को महिमा और उन सभी को आनन्द प्रदान करता है जो इस पृथ्वी की तीर्थयात्रा में हमसे मुलाकात करते हैं।
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