संत पापाः हमारी मित्रता मजबूत रहे
दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, गुरूवार, 11 मई 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन के प्रेरितिक भवन में कॉप्टिक ऑथोडॉक्स प्राधिधर्माध्यक्ष तावाद्रोस द्वितीय से व्यक्तिगत मुलाकत की और मित्रता की प्रतिबद्धता को मजबूत किया।
संत पापा फ्रांसिस ने इस मिलन पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह प्रभु का बनाया दिन है हम आनंद और खुशी मनायें। उन्होंने आज से 50वर्ष पूर्व प्राधिधर्माध्यक्ष शेनौउदा तृतीय का वाटिकन आगमन की याद की जिनकी आगवानी संत पापा पौलुस 6वें ने की थी। संत पापा फ्रांसिस ने जुबली वर्ष में इस ऐतिसहासिक मिलन के लिए प्राधिधर्माध्यक्ष का आभार व्यक्त किया।
कृतज्ञता के भाव
अपने इस मिलन संबोधन में संत पापा ने हृदय में अधीरता और एकता की भावना को धारण करते हुए भविष्य की ओर निगाहें फेरने की बात कहीं, “हम संत पौलुस की तरह पूछें, और कितनी दूर जाना बाकी हैॽ” इस क्रम में हमें विशेषकर अपने जीवन के निराशा भरे क्षणों के लिए भी ईश्वर को धन्यवाद देते हुए, उन क्षणों के लिए खुशी मानने की आवश्यकता है जिन्हें हमने एक साथ चलते हुए पूरा किया है। उन्होंने कहा कि हमें आगे देखते हुए एकता में बने रहने हेतु ईश्वर से कृपा मांगने की जरुरत है।
संत पापा फ्रांसिस ने इस मिलन को कृतज्ञता और निवेदन की संज्ञा दी। कलीसिया के पूर्ववर्ती अधिकारियों की याद करते हुए उन्होंने कहा कि 9 से 13 मई 1973 का मिलन, दो चरवाहों का प्रथम मिलन एक ऐतिहासिक मिलन था। “10 मई, 1973 की ख्रीस्तीय सामान्य उद्घोषणा पर हस्ताक्षर करने के लिए धन्यवाद, जो बाद में अन्य पूर्वी ऑर्थोडक्स कलीसियाओं के साथ इस तरह के समझौतों की एक आधारशिला बनी।”
इतिहास का ऐतिहासिक क्षण
संत पापा ने उस ऐतिहासिक क्षण की याद करते हुए आगे कहा कि उस बैठक ने काथलिक कलीसिया और कॉप्टिक ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के बीच अंतरराष्ट्रीय संयुक्त आयोग का निर्माण किया जो सन् 1979 में काथलिक कलीसिया और कॉप्टिक ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के बीच एकता की खोज हेतु मार्गदर्शन का कार्य किया। संत पापा जोन पौलुस द्वितीय और प्राधिधर्माध्यक्ष शेनौउदा तृतीय ने इस शब्दों की पुष्टि के साथ इस पर हस्ताक्षर किये कि “जिस एकता की हम कल्पना करते हैं, उसका मतलब दूसरे का अवशोषण या दूसरे पर प्रभुत्व हासिल करना नहीं है। यह हर किसी की सेवा में है जिससे वे ईश्वर से प्राप्त विशिष्ट उपहारों को बेहतर ढंग से जीने के योग्य बनें।”
इस मिश्रित आयोग ने इस भांति काथलिक कलीसिया और पूर्वी ऑथोडॉक्स कलीसियाओं के पूरे परिवार के बीच एक फलदायी ईशशास्त्रीय वार्ता के मार्ग को प्रशस्त किया, जिसके फलस्वरुप 2004 में काहिरा में पहली बैठक आयोजित की गई, जिसकी मेजबानी प्राधिधर्माध्यक्ष शेनौऊदा ने की। संत पापा फ्रांसिस ने इस धार्मिक संवाद की प्रतिबद्धता के लिए कॉप्टिक ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के प्रति धन्यवाद के भाव प्रकट किये।
मित्रता की यादें
संत पापा ने कहा कि जैसा कि देखा जा सकता है, हमारे पूर्वजों के पूर्ण एकता प्रयास ने कलीसिया की यात्रा में सदैव फल उत्पन्न किये हैं।। यह 1973 की बैठक की स्मृति में भी है जिसके फलस्वरुप आप 10 मई 2013 को मेरे परमाध्यक्षीय कार्यकाल की शुरुआत के कुछ सप्ताह बाद मुझ से मिले थे। यह अवसर, हर 10 मई को “कॉपटिक और काथलिकों के बीच दोस्ती का दिन” स्वरूप देखा जाता है, जो हमारी कलीसियाओं में समय-समय पर मनाया जाता रहा है।
मित्रता के संबंध में संत पापा ने आठवीं शताब्दी के प्रसिद्ध कॉप्टिक आइकन की याद दिलाई जहाँ ईश्वर मित्र के कंधें पर अपने हाथ रखते हैं। इस निशानी को कभी-कभी “मित्रता की निशानी” कहा जाता है क्योंकि यह ईश्वर की चाह को व्यक्त करता है जो एक मित्र की भांति हमारे साथ चलना चाहते हैं। इसी तरह, हमारी कलीसियाओं के बीच मित्रता की जड़ें येसु ख्रीस्त के सभी शिष्यों के जुड़ी हैं, जिन्हें वे स्वयं “मित्र” कहते हैं, जैसे उन्होंने एम्माऊस की राह में किया।
संत पापा ने कहा कि मित्रता की इस यात्रा में हम शहीदों के साथ भी हैं, जो इस बात की गवाही देते हैं कि “इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिए अपने प्राण दे” (यो. 15:13)। “15 फरवरी, 2015 को लीबिया में मारे गए कॉप्टिक शहीदों के अवशेष रुपी अनमोल उपहार हेतु आभार व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। इन शहीदों को न केवल पानी और आत्मा में, बल्कि रक्त में भी बपतिस्मा मिला।” आज प्राधिधर्माध्यक्ष की सहमति से, मैं यह घोषित करता हूँ कि इन 21 शहीदों को रोमन मार्टिरोलॉजी में आध्यात्मिक एकता के संकेत स्वरूप शामिल किया जाएगा जो हमारे लिए दो कलीसियाओं के बीच एकता को व्यक्त करते हैं।
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