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वाटिकन में बुधवारीय आम दर्शन समारोह के समय,  03.05.2023 वाटिकन में बुधवारीय आम दर्शन समारोह के समय, 03.05.2023  (ANSA)

बच्चों की रक्षा महानतम चुनौतियों में से एक, सन्त पापा फ्राँसिस

वाटिकन में, शुक्रवार को, नाबालिगों की सुरक्षा के लिए गठित परमधर्मपीठीय आयोग के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि बच्चों की रक्षा कलीसिया के समक्ष प्रस्तुत महानतम चुनौतियों में से एक है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 5 मई 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में, शुक्रवार को, नाबालिगों की सुरक्षा के लिए गठित परमधर्मपीठीय आयोग के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि बच्चों की रक्षा कलीसिया के समक्ष प्रस्तुत महानतम चुनौतियों में से एक है।

कलीसिया के समक्ष प्रस्तुत चुनौती

सन्त पापा ने कहा, "कुछेक पुरोहितों द्वारा नाबालिगों का यौन शोषण और कलीसियाई अधिकारियों द्वारा इसका खराब प्रबंधन हमारे समय में कलीसिया के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहा है।" उन्होंने कहा, "युद्ध, भूखमरी और दूसरों की पीड़ा के प्रति उदासीनता हमारी दुनिया में भयानक समस्याएं हैं,  फिर भी यौन शोषण का संकट कलीसिया के लिए विशेष रूप से गंभीर है, क्योंकि यह कलीसिया को ईश्वर की मुक्तिदायी योजना को पूरी तरह से गले लगाने से वंचित करता और गवाही देने की उसकी क्षमता को कम करता है।"

सन्त पापा ने कहा कि इस बुराई को रोकने और इसके पीड़ितों की सहायता करने के लिए सही ढंग से कार्य करने में विफलता ने ईश्वरके प्रेम की हमारी गवाही को दूषित कर दिया है। पश्चाताप में हम न केवल हमारे द्वारा की गई ग़लतियों के लिये क्षमा मांगते हैं, बल्कि उस अच्छे के लिए भी जो हम करने में विफल रहे हैं।

सन्त पापा ने कहा कि आज कोई भी ईमानदारी से यह दावा नहीं कर सकता कि वह कलीसिया में होनेवाले यौन शोषण की वास्तविकता से अप्रभावित है। इस बहुआयामी मुद्दे को संबोधित करने के लिये, "मैं नाबालिगों की सुरक्षा के लिए गठित परमधर्मपीठीय आयोग के सदस्यों को तीन सिद्धांतों को ध्यान में रखने और उन्हें क्षतिपूर्ति की आध्यात्मिकता के हिस्से के रूप में मानने के लिए आमंत्रित करता हूँ।"

तीन सिद्धान्त, दृढ़ रहें

सर्वप्रथम, सन्त पापा ने कहा कि जहाँ लोगों के जीवन को क्षति पहुँची है, हमसे अपेक्षा की जाती है कि हम ईश्वर की सृजनात्मक शक्ति को ध्यान में रखकर निराशा से आशा और मृत्यु से जीवन को ऊपर उभारें। उन्होंने कहा कि यौन शोषण के परिणामस्वरूप होनेवाली क्षति की भयानक भावना, कभी-कभी इस बोझ को सहन करने के लिए बहुत भारी लग सकती है।

इस तथ्य के प्रति उन्होंने ध्यान आकर्षित कराया कि अपनी विफलता के लिए शर्म की भावना को साझा करनेवाले कलीसियाई अधिकारियों को विश्वसनीयता की क्षति सहनी पड़ी है, और सुसमाचार-प्रचार की हमारी क्षमता को नुकसान पहुंचा है। तथापि, हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि प्रभु ईश्वर जो हर युग में नवजीवन का संचार करते हैं, वे नबी एज़ेकियल के अनुसार, सूखी हड्डियों में भी प्राण फूँक सकते हैं।  

सन्त पापा ने कहा कि हालांकि आगे का रास्ता कठिन, बोझिल और बहुत अपेक्षा रखनेवाला हो, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप रुके नहीं; संपर्क करते रहें, उन लोगों में विश्वास जगाने की कोशिश करते रहें जिनसे आप मिलते हैं और जो आपके साथ इस सामान्य कारण को साझा करते हैं। दृढ़ बने रहें और आगे बढ़ते रहें!

दूसरा सिद्धान्त, टुकड़ों को वापस जोड़ें

सन्त पापा ने कहा कि यौन शोषण ने न केवल कलीसिया में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में कई घाव खोले हैं। कई पीड़ित लोग वर्षों पहले हुए दुर्व्यवहार के प्रभावों को झेलना जारी रख रहे हैं। यौन दुराचार के परिणाम पीड़ित लोग पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चों, भाइयों और बहनों, दोस्तों और सहकर्मियों के बीच ख़ुद को टूटा हुआ महसूस करते हैं, क्योंकि दुर्व्यवहार की कपटी प्रकृति लोगों के दिलों और उनके रिश्तों में तबाही और विभाजन पैदा करती है।

सन्त पापा ने कहा, "हमारा जीवन विभाजित रहने के लिए नहीं है, जो टूटा है वह टूटा नहीं रहना चाहिए। हमारे जीवन का हर हिस्सा आपस में जुड़ा हुआ है, और विश्वास का जीवन इस विश्व को भावी विश्व से जोड़ता है। सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है। येसु मसीह ने अपने पिता से जो मिशन प्राप्त किया वह यह सुनिश्चित करना है कि कुछ भी और कोई भी खोया नहीं है, इसलिये मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि जहां जीवन टूट गया है, आप टुकड़ों को वापस जोड़ने में मदद करें, इस आशा का परित्याग कभी न करें कि जो टूटा है उसकी मरम्मत की जा सकती है।"

तीसरा सिद्धान्त, नम्र व्यवहार 

तृतीय, सन्त पापा ने कहा, मैं आपको एक ऐसे दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ जो स्वयं ईश्वर के प्रति सम्मान और दया को दर्शाता है। अमेरिकी कवयित्री माया एंजेलो ने एक बार लिखा था: "मैंने सीखा है कि लोग भूल जाएंगे कि आपने क्या कहा, लोग भूल जाएंगे कि आपने क्या किया, लेकिन लोग यह कभी नहीं भूलेंगे कि आपने उन्हें कैसा महसूस कराया"।

गलातियों को प्रेषित सन्त पौल के पत्र को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा, इसलिए अपने कार्यों में "आप नम्रतापूर्वक व्यवहार करें, बिना किसी शिकायत के एक दूसरे के बोझ को उठाएं, लेकिन यह सदैव ध्यान में रखें कि कलीसिया के लिए क्षतिपूर्ति का यह क्षण भविष्य में मुक्ति के इतिहास का मार्ग प्रशस्त करेगा।" उन्होंने कहा, "हम यह कदापि न भूलें कि दुःख के घाव पुनर्जीवित ख्रीस्त के शरीर पर बने रहे किन्तु पीड़ा या शर्म के स्रोत के रूप में नहीं, बल्कि दया और परिवर्तन के संकेत के रूप में। अब समय आ गया है कि पिछली पीढ़ियों को हुए नुकसान की मरम्मत की जाए और उन लोगों को जो अभी भी भुगत रहे हैं।

सन्त पापा ने कहा, "सभी की गरिमा, सही आचरण और स्वस्थ जीवन शैली के लिए सम्मान को, लोगों की संस्कृति या आर्थिक और सामाजिक स्थिति से परे, एक सार्वभौमिक नियम बनना चाहिए। विश्वासियों की सेवा में कलीसिया के सभी पुरोहितों को इस नियम का सम्मान करना चाहिए, और बदले में उन्हें समुदाय के सदस्यों से सम्मान और गरिमा मिलना चाहिए।"

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05 May 2023, 11:22