रूस और यूक्रेन का बातचीत के लिये तैयार होना ज़रूरी, सन्त पापा
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 27 मई 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): स्पानीभाषी अमरीकी टेलेविज़न चैनल तेलेमुन्दो के साथ बातचीत में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि यूक्रेन में जारी युद्ध को रोकने तथा शांति की स्थापना के लिये यह ज़रूरी है कि रूस और यूक्रेन परस्पर बातचीत के लिये तैयार होवें।
शांति के लिये सम्वाद ज़रूरी
वाटिकन के निकटवर्ती रोम के अगस्टीनियन संस्थान के एक कक्ष में गुरुवार, 25 मई को पत्रकार जूलियो वाक्वेरो के साथ बातचीत में सन्त पापा ने इंगित किया कि केवल सम्वाद संघर्ष का समाधान हो सकता है, उन्होंने कहा, "शांति उस दिन प्राप्त होगी जिस दिन वे एक दूसरे से बात करने में सक्षम होंगे, या तो उन दोनों के द्वारा या दूसरों के माध्यम से।"
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ सन्त पापा फ्राँसिस की हाल की बैठक और उसके बाद मीडिया में छाई ये अटकलें कि उन्हें बिचौलियों की आवश्यकता नहीं है से सम्बन्धित एक प्रश्न के उत्तर में सन्त पापा ने स्पष्ट किया कि उक्त "बैठक में इस प्रकार की कोई बात नहीं थी।" सन्त पापा ने बताया कि ज़ेलेंस्की ने "उनसे उन बच्चों की देखभाल का आग्रह किया है जिन्हें बलात रूस ले जाया गया था।"
सन्त पापा ने कहा, "वे मध्यस्थता का इतना सपना नहीं देख रहे हैं, क्योंकि वास्तव में यूक्रेन की स्थिति पूरे यूरोप एवं संयुक्त राज्य अमरीका के साथ मिलकर बहुत अधिक मज़बूत है। उन्होंने कहा कि वे अपने बच्चों की नियति के प्रति चिन्तित हैं और उन्हें घर वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके लिये उन्हें कहीं से भी मदद की ज़रूरत है।
पत्रकार के यह पूछने पर कि रूस द्वारा अधिकृत यूक्रेनी भूमि की वापसी शांति स्थापना के लिये यह ज़रूरी है तो इसके उत्तर में सन्त पापा ने कहा, "यह एक राजनीतिक समस्या है।"
आप्रवास का मुद्दा
आप्रवास के मुद्दे पर बोलते हुए सन्त पापा ने इसे 'गम्भीर समस्या' निरूपित किया जिसके लिए उन्होंने एक ऐसी रणनीति की आवश्यकता को दोहराया जो उन देशों के विकास और स्थिरता को बढ़ावा दे सके जहां से लोग पलायन करते हैं।
अफ्रीका महाद्वीप के बारे में उन्होंने कहा, "एक बार, एक महिला, एक महान राजनेता, ने कहा कि अफ्रीका में मदद करके अफ्रीकी आप्रवास की समस्या को अफ्रीका में ही हल किया जाना चाहिए। लेकिन, दुर्भाग्यवश, अफ्रीका विदेशी राष्ट्रों की ओर से चलाई जा रही एक सामूहिक अचेतन ड्राइव का गुलाम है, जिसके अनुसार अफ्रीका का शोषण वाजिब है।" उन्होंने कहा, "अफ्रीका को भीख देने के बजाय उसे ऊपर उठाने और स्वतंत्र बनाने के लिए काम किया जाना चाहिये।"
दक्षिण सूडान के प्रति संत पापा फ्राँसिस ने अपनी निकटता व्यक्त की, जहाँ उन्होंने पिछले फरवरी में दौरा किया था। पश्चिम के धनी राष्टों को फटकार बताते हुए उन्होंने कहा, "विदेशी शक्तियों ने तुरंत अपने उद्योगों को वहां लगाया, किन्तु यह देश को विकसित करने के लिए नहीं, बल्कि उनका शोषण करने के लिये है।"
सन्त पापा ने कहा कि इस प्रकार की गुलामी और शोषण के दौर को रोकने के लिये ऐसी रणनीति की आवश्यकता है जो उन देशों में धारणीय विकास और स्थायित्व को बढ़ावा दे सके, जहाँ से लोग पलायन कर अन्यत्र शरण के लिये बाध्य होते हैं।
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