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सन्त पापा फ्राँसिस रोम के अगस्टीनियन संस्थान में, 25.05.2023  सन्त पापा फ्राँसिस रोम के अगस्टीनियन संस्थान में, 25.05.2023   (ANSA)

कवि, लेखक और निर्देशक अपनी ज़िम्मेदारियोँ को वहन करें

रोम स्थित ला चिविल्ता कातोलिका पत्रिका एवं अमरीका के जॉर्ज टाऊन विश्वविद्यालय द्वारा "वैश्विक सौंदर्यशास्त्र और काथलिक कल्पना" विषय पर संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन में भाग लेनेवाले विश्व के कवियों, लेखकों, पटकथा लेखकों एवं निर्देशकों ने शनिवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 27 मई 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): रोम स्थित ला चिविल्ता कातोलिका पत्रिका एवं अमरीका के जॉर्ज टाऊन विश्वविद्यालय द्वारा "वैश्विक सौंदर्यशास्त्र और काथलिक कल्पना" विषय पर संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन में भाग लेनेवाले विश्व के कवियों, लेखकों, पटकथा लेखकों एवं निर्देशकों ने शनिवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना।  

काव्य कल्पना और काथलिक प्रेरणा

सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्वास एवं वर्तमान जीवन के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों पर चिन्तन किया। विश्व से काव्य कल्पना और काथलिक प्रेरणा पर चिन्तन हेतु विश्व के विभिन्न भागों से एकत्र कवियों, लेखकों, पटकथा लेखकों और निर्देशकों से सन्त पापा ने कहा कि विगत दिनों आपने उन तरीकों पर विचार किया है कि विश्वास किस तरह समकालीन जीवन को चुनौती देता है और इस तरह से जीवन के अर्थ की प्यास का प्रत्युत्तर देता है।

अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए सन्त पापा ने कहा कि उन्होंने दान्ते, ब्लोय, दोस्तोव्स्की और अनेक अन्य कवियों एवं लेखकों की कृतियों को पसन्द किया है और विशेष रूप से आर्जेन्टीना में साहित्य के शिक्षक रहते समय अपने छात्रों के साथ जो अनुभव पाये थे वे वास्तव में अर्थगर्भित सिद्ध हुए हैं।

सन्त पापा ने कहा कि उन लेखकों के शब्दों ने उन्हें स्वतः को, विश्व को तथा लोगों को समझना सिखाया, और इससे भी अधिक उनके शब्दों ने उन्हें मानव मन को समझने में उनकी मदद की। साथ ही उनके व्यक्तिगत जीवन, विश्वास और उनकी प्रेरिताई के अर्थ को समझने में उनकी मदद की है।  

साहित्य करता चिन्तन का आग्रह   

सन्त पापा ने कहा कि साहित्य हृदय में चुभनेवाले एक काँटे के सदृश है, यह हमसे चिन्तन का आग्रह करता है और जीवन के अर्थ को समझने की यात्रा पर निकलने के लिये अग्रसर करता है। सन्त पापा ने कहा हमारे पास दो आँखें हैं, एक आँख से हम जो सामने है उसे देखते हैं और दूसरी आँख से हम वह सबकुछ देख लेते हैं जिसका हम सपना देखते हैं। इसी प्रकार लेखक और कवि भी उन स्थितियों का वर्णन करते हैं जिसकी लोग आकाँक्षा रखते हैं, जिसका वे सपना देखते हैं, ताकि विश्व को एक बेहतर स्थल बनाया जा सके।  

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार लेखक और कवि मानव आत्मा की "बेचैनी" की आवाज भी हैं। वे भली प्रकार जानते हैं कि कलात्मक प्रेरणा न केवल सांत्वना देने वाली होती है, बल्कि वह बेचैन करने वाली भी होती है, क्योंकि यह जीवन की सुंदर और दुखद वास्तविकताओं, दोनों को प्रस्तुत करती है। सन्त पापा ने कहा कि लेखकों एवं कवियों की इस क्रिया में ज़बरदस्त कलात्मक और राजनीतिक शक्ति है; यह हमारे समक्ष अतीत और वर्तमान की वास्तविकता को प्रस्तुत करती है, यह युद्धों की, समाज के भीतर संघर्षों की, हममें से प्रत्येक के भीतर स्वार्थ का विवरण प्रस्तुत करती और हमारे मनोमस्तिष्क को झिन्झोड़ कर रख देती है।

सन्त पापा ने कहा कि यहाँ न केवल सामाजिक आलोचना की बात है, बल्कि आत्मा के गहरे संघर्षों, निर्णय लेने की जटिलता, हमारे मानव अस्तित्व के अंतर्विरोधों की भी बात है। अस्तु, कवियों, कहानीकारों, फिल्म निर्माताओं और कलाकारों के रूप में आपका दायित्व है कि आप मानव एवं समाज की सेवा में वह सबकुछ को लिखें जो मानवता के अनुभव हैं, उसके सपनों का आप विवरण करें, उसकी आशाओं और आकाँक्षाओं को आप आवाज़ दें और इस प्रकार लोगों के बीच एकात्मता, सद्भाव और सौंदर्य को प्रोत्साहन प्रदान करें।

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27 May 2023, 11:37