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संत पापा फ्रांसिस और उनके  मित्र रब्बी स्कोर्का संत पापा फ्रांसिस और उनके मित्र रब्बी स्कोर्का  

विश्वास और मानवाधिकार में संघर्ष नहीं

स्लोवाकिया में ट्रनावा विश्वविद्यालय के ईशशास्त्र विभाग ने, अर्जेंटीना के लेखक और बायोफिजिसिस्ट रब्बी अब्राहम स्कोर्का को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की, संत पापा फ्रांसिस ने अपने लंबे समय के दोस्त को बधाई देने और अंतर्धार्मिक संवाद के लिए उनकी प्रतिबद्धता की यादगारी में एक पत्र भेजा।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार,11 मई 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने मित्र रब्बी स्कोर्का को उनकी डॉक्टरेट की उपाधि और अंतरधार्मिक वार्ता हेतु प्रतिबद्धता हेतु बधाई के पत्र प्रेषित किये।

बुधवार को जारी एक पत्र में, संत पापा फ्रांसिस ने अर्जेंटीना के रब्बी अब्राहम स्कोर्का को बधाई दी, जिन्हें येसु संघियों द्वारा संचालित स्लोवाकिया के ट्रनावा विश्वविद्यालय के ईशशास्त्र संकाय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया। उन्होंने यहूदी-ख्रीस्तीय और अंतरधार्मिक वार्ता के साथ-साथ विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिये हैं।

समारोह के दौरान पढ़े गए संदेश में, उनकी 42  वर्षों की शैक्षणिक और शैक्षणिक गतिविधि में सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए, संत पापा ने अपने मित्र की प्रतिबद्धता के लिए आभार व्यक्त किये। वे “दो पीढ़ियों के रब्बी होने के साथ-साथ ही काथलिक और प्रोटेस्टेंट ईशशास्त्री, ईशशास्त्र के अकादमिक पहलुओं का पूरी तरह से सम्मान करते हैं।”

ख्रीस्तीय और यहूदियों के खुला संबंध

संत पापा ने रब्बी स्कोर्का को लिखा,  “मैंने भी आपके मित्रता और ज्ञान के उपहार का अनुभव किया है, जिसके लिए मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूं।” संत पापा फ्रांसिस “2021 में स्लोवाकिया की प्रेरितिक यात्रा और ब्रातिस्लावा में रिबेने स्क्वायर में यहूदी समुदाय के साथ की गई बैठक की याद करते हुए ये बातें कहीं, जहां कई काथलिक भी मौजूद थे” – संत पापा ने कहा, ऐसी घटनाएँ “फलदायी पारस्परिक संबंधों के लिए विकास का द्वार खोलती हैं।”

उन्होंने “यहूदी के दर्दनाक इतिहास की याद करते हुए  ट्रनावा विश्वविद्यालय द्वारा उच्च शैक्षणिक सम्मान की मान्यता के महत्व पर भी ध्यान आकर्षित कराया। संत पापा ने कहा कि वे स्लोवाक विश्वविद्यालय में अपने रब्बी मित्र की उपस्थिति को “इतिहास में एक नए अध्याय का स्वागत की निशानी स्वरूप देखते हैं, जिसकी हमारे विश्व को सख्त जरूरत है।”

विश्वास और मानव सम्मान को सच्चाई में जीना

संत पापा ने कहा कि सदियों से विश्वास को अक्सर राजनीतिक या आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्त का साधन बनाया गया है, जो केवल धार्मिक मूल्यों की प्रशंसा को कम करने का काम कर सकता है।

उन्होंने कहा कि स्कोर्का ने “हमेशा इस बात पर जोर देने की कोशिश की है कि किसी भी धार्मिक परंपरा को प्रामाणिक रूप से जीना और मानवाधिकारों का सम्मान करना संघर्ष में नहीं होना चाहिए।”

“आपने सही ढंग से यह दिखाने की कोशिश की है कि विश्वास के लोग सभी स्थितियों में मानवाधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और उन्हें हर परिस्थिति में ऐसा करना चाहिए।”

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11 May 2023, 18:13