खोज

इटली के राष्ट्रपति सरजियो मात्तारेल्ला इटली के राष्ट्रपति सरजियो मात्तारेल्ला   (ANSA)

इटली के राष्ट्रपति मात्तारेल्ला को पौल षष्टम पुरस्कार

वाटिकन में, सन्त पापा फ्रांसिस ने सोमवार 29 मई को, इटली के राष्ट्रपति सेरजियो मात्तारेल्ला को सन्त पापा पौल षष्टम अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर सन्त पापा ने राष्ट्रपति मात्तारेल्ला की उपस्थिति के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया तथा पौल षष्टम संस्था एवं ब्रेश्या धर्मप्रान्त द्वारा पापा मोन्तीनी के अनमोल स्मृति में लिखी गई कृतियों की सराहना की।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 मई 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में, सन्त पापा फ्रांसिस ने सोमवार 29 मई को, इटली के राष्ट्रपति सेरजियो मात्तारेल्ला को सन्त पापा पौल षष्टम अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर सन्त पापा ने राष्ट्रपति मात्तारेल्ला की उपस्थिति के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया तथा पौल षष्टम संस्था एवं ब्रेश्या धर्मप्रान्त द्वारा पापा मोन्तीनी के अनमोल स्मृति में लिखी गई कृतियों की सराहना की।  

राजनीति का लक्ष्य परोपकार हो

सन्त पापा ने कहा कि यह सन्त पापा पौल षष्टम के अथक कार्यों का ही परिणाम था कि द्वितीय वाटिकन महासभा ने लोकधर्मियों एवं आम विश्वासियों की भूमिका को रेखांकित किया और उनके धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर प्रकाश डाला। वास्तव में, लोकधर्मी, बपतिस्मा के आधार पर, "इस शताब्दी में, अर्थात्, दुनिया के सभी क्षेत्रों में व्यक्तिगत नौकरियों और मामलों में, परिवारिक और सामाजिक जीवन की सामान्य परिस्थितियों में एक सच्चे मिशन के सम्पादन हेतु आमंत्रित किये गये हैं, और इन व्यवसायों में राजनीति सबसे प्रमुख है, जो "परोपकार का उच्चतम रूप" है।

सन्त पौल षष्टम के शब्दों का स्मरण दिलाकर उन्होंने कहा कि सन्त पापा पौल षष्टम कहते थे कि जिनके पास सार्वजनिक सत्ता है उन्हें खुद को "अपने हम वतन नागरिकों के नौकरों के रूप में, अपने उच्च पद को निस्वार्थता और अखंडता के साथ" ग्रहण करना चाहिये। हालांकि, उन्होंने कहा कि हम अच्छी तरह जानते हैं कि यह कितना कठिन है और कैसे, हर युग में, यहाँ तक कि सर्वोत्तम राजनीतिक व्यवस्थाओं में भी, व्यापक प्रलोभन और सत्ता के माध्यम से सेवा करने के बजाय सत्ता का दुरुपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट है कि आसन पर चढ़ना कितना आसान है और दूसरों की सेवा में स्वयं को लगाना कितना कठिन है!

राष्ट्रपति मात्तारेल्ला के सेवाभाव का प्रशंसा

सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त ने स्वयं सेवा करने और दूसरों के लिए सब कुछ अर्पित करने की कठिनाई को स्वीकार किया। उन्होंने इस यथार्थ को उदासी से स्वीकार किया कि प्रायः "जो राष्ट्रों के शासक माने जाते हैं, वे उन पर हावी हो जाते हैं और उनके नेता उन पर अत्याचार करते हैं"। तथापि, उन्होंने तुरंत अपने अनुयायियों से कहा: "तुम्हारे बीच, हालांकि, ऐसा नहीं है; क्योंकि तुममें से जो कोई बड़ा होना चाहता है वह पहले दूसरों का सेवक बने।" सन्त पापा ने कहा कि येसु मसीह के इसी आदेश के बाद से ख्रीस्तीय धर्म की महानता सेवा में निहित है।

सन्त पापा ने कहा, मुझे यह कहना पसन्द है कि "जो सेवा करने के लिए नहीं जीते उन्हें जीने की जरूरत नहीं है", और मेरा मानना ​​है कि आज राष्ट्रपति सरजियो मात्तारेल्ला को सन्त पौल षष्टम पुरस्कार प्रदान करना वास्तव में सेवा के मूल्य और सम्मान का समारोह मनाने का एक सुअवसर है, जो जीवन जीने की उच्चतम शैली और अन्यों की अपेक्षाओं को ख़ुद से पहले रखने का एक महान आदर्श हैं।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

29 May 2023, 11:15