खोज

गेल जिराउड और कार्लो पेट्रिनी की एक इतालवी पुस्तक गेल जिराउड और कार्लो पेट्रिनी की एक इतालवी पुस्तक 

संत पापा: पृथ्वी के सीमित संसाधन, मानवता में परिवर्तन जरूरी

संत पापा फ्रांसिस गेल जिराउड और कार्लो पेट्रिनी की एक इतालवी पुस्तक के लिए प्रस्तावना लिखी, जिसका शीर्षक “द टेस्ट टू चेंज। द इकोलॉजिकल ट्रांजिशन एज द पाथ टू हैप्पीनेस” है जो बुधवार को किताबों की दुकानों पर उपलब्ध हुई।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

अच्छाई जो सुंदर प्रतीत होती है अपने साथ वह कारण ले जाती है कि इसे क्यों किया जाना चाहिए। यह पहला विचार है जो कार्लो पेट्रिनी के इस सुंदर संवाद को पढ़ने के बाद मुझ में उत्पन्न हुआ, जिसे मैं वर्षों से जानता और सम्मान करता हूँ, वे एक गैस्ट्रोनोम और सामाजिक कार्यकर्ता हैं जिसे दुनिया जानती है, और एक येसु संघी अर्थशास्त्री गेल जिराउड, जिनके योगदान की मैंने हाल ही में सराहना की है, वे ला चीभीता कथोलिका में, अर्थशास्त्र, वित्त और जलवायु परिवर्तन पर उल्लेखनीय लेख लिखते हैं।

यह संबंध क्यों? क्योंकि इस लेख को पढ़ने से मुझमें सुंदर और अच्छाई का वास्तविक “स्वाद” उत्पन्न हुआ, अर्थात भविष्य की आशा, सच्चाई का स्वाद है। इस आदान-प्रदान में दो लेखक, वैश्विक स्थिति के संबंध में एक प्रकार का “तर्कशील व्यख्यान” को सामने लाते हैं : एक ओर, वे आर्थिक-खाद्य मॉडल के एक तर्कपूर्ण और सम्मोहक विश्लेषण की चर्चा करते हैं जिसमें हम डूबे हुए हैं, एक लेखक की प्रसिद्ध परिभाषा में, “सब चीजों की कीमत जानता है और किसी को महत्व नहीं देता” दूसरी ओर, वे हमें कई रचनात्मक उदाहरण, अनुभव, सामान्य घर और आम लोगों की देखभाल की विलक्षण कहानियाँ प्रस्तुत करते हैं जो पाठक को हमारे समय में अच्छाई और विश्वास के अवलोकन में मदद करती है। उसकी आलोचना करता जो गलत है, सकारात्मक स्थितियों की कहानियां: एक दूसरे के साथ, एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं।

मैं एक महत्वपूर्ण तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराना चाहूँगा- इन पृष्ठों में पेट्रिनी और जिराउड, एक 70 वर्षीय कार्यकर्ता, दूसरा 50 वर्षीय अर्थशास्त्र के प्रध्यापक, अर्थात दो वयस्क, नई पीढ़ियों में विश्वास और आशा के कारणों को पाते हैं। आमतौर पर हम वयस्क युवा लोगों के बारे में शिकायत करते हैं,“अतीत” निश्चित रूप से वर्तमान से बेहतर था, और जो हमारे बाद आए हैं वे हमारी उपलब्धियों को बर्बाद कर रहे हैं। इसके बदले, हमें ईमानदारी से यह स्वीकार करना चाहिए कि ये युवा हैं जो परिवर्तन को मूर्त रूप देते हैं जिसकी हमें निष्पक्ष रूप से आवश्यकता है। ये वे हैं, जो विश्व के विभिन्न भागों में हमें बदलने का आहृवान करते हैं। हम जीवन शैली को बदलें, जो पर्यावरण विनाशी है। पृथ्वी के संसाधनों के साथ संबंधों को बदलें, जो अनंत नहीं हैं। नई पीढ़ियों के प्रति अपने विचारों को बदलें जिनका भविष्य हम चुरा रहे हैं। और वे न केवल हमसे कहते हैं, वे ऐसा कर रहे हैं: सड़कों पर उतर रहे हैं, वे एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था से असहमत हैं जो गरीबों के लिए अनुचित है और पर्यावरण का शत्रु है, वे आगे बढ़ने के नए रास्ते तलाश रहे हैं। और वे इसकी शुरू हर दिन करते हैं: वे भोजन, परिवहन, खपत के बारे में जिम्मेदारी पूर्ण चुनाव करते हैं।

युवा हमें इन सारी चीजों की शिक्षा दे रहे हैं। वे कम उपभोग करना और पारस्परिक संबंधों को अधिक अनुभव करने का चुनाव कर रहे हैं, वे पर्यावरण और सामाजिक सम्मान के सख्त नियमों का पालन करते हुए उत्पादित वस्तुओं को खरीदने में सावधानी बरतते हैं; वे परिवहन के सामूहिक या कम प्रदूषणकारी साधनों का उपयोग करने में  विचारशील होते हैं। मेरे लिए, इन व्यवहारों का व्यवहारिक होना, सांत्वना और आत्मविश्वास का कारण बनता है। पेट्रिनी और जिराउड अक्सर युवा आंदोलनों का उल्लेख करते हैं, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, जलवायु न्याय और सामाजिक न्याय की मांगों को आगे ले चलते हैं: हमें इन दो पहलुओं को हमेशा एक साथ रखने की आवश्यकता है।

दोनों लेखक सतत आर्थिक विकास के लिए परिचालन मार्गों की ओर इशारा करते हैं और आज प्रचलित समृद्धि की आलोचना करते जो अपने में धुंधली है। जिसके अनुसार जीडीपी एक मूर्ति है जिसके लिए सहचर्य जीवन के हर पहलू की बलि दी जाती है: पर्यावरण का सम्मान, अधिकारों का सम्मान, मानवीय गरिमा का सम्मान। मैं इस बात से बहुत प्रभावित था जहाँ गेल जिराउड ने उस तरीके का पुनर्निर्माण किया जहाँ ऐतिहासिक रूप से जीडीपी ने खुद को, देश की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य के मापदण्ड हेतु अपने को एकमात्र स्वरूप स्थापित किया है। वे कहते हैं कि यह नाजी युग के दौरान हुआ था और इसका संदर्भ हथियार का उद्योग था: हम कह सकते हैं कि जीडीपी की उत्पत्ति 'युद्ध' से हुई है। यही कारण है कि गृहिणियों के काम को कभी महत्व नहीं दिया गया, क्योंकि उनके कार्य युद्ध में मददगार नहीं होते। इस आर्थिक दृष्टिकोण से छुटकारा पाना कितना जरूरी है, इसका एक और प्रमाण, जो अर्थव्यवस्था के मानवीय पक्ष को तुच्छ समझता है, लाभ की वेदी पर निरपेक्ष मानदंड स्वरूप इसे बलि चढ़ता है।

इस पुस्तक का स्वरूप भी दोगुना रोचक है। पहला, क्योंकि यह संवाद स्वरुप प्रस्तुत किया गया है। यह कुछ ऐसा है जिसपर जोर देना महत्वपूर्ण है। यह मुकाबला करना है जो हमें समृद्ध बनाता है, यह पदों पर अड़े रहना नहीं है। यह वार्ता है जो विकास का अवसर उत्पन्नन करता है, न कि कट्टरवाद जो नवीनता के मार्ग को रोकती है। यह वाद-विवाद है जो हमें परिपक्व करता है, न कि यह भ्रामक निश्चितता जहाँ हम सोचते हैं कि हम हमेशा “सही” हैं। यहाँ तक जब हम सत्य की खोज की खोज करते हैं। धन्य पियरे क्लेवेरी, ओरान के धर्माध्यक्ष, शहीद, ने कहा: “आपके पास सत्य नहीं है, और मुझे दूसरों की सच्चाई की आवश्यकता है”। संत पापा लिखते हैं-: ख्रीस्तीय जानता है कि वह सत्य पर विजय प्राप्त नहीं करता है, बल्कि यह वह है जो सत्य द्वारा “विजय” प्राप्त करता है, जो कि स्वयं मसीह है। इसलिए मेरा दृढ़ विश्वास है कि संवाद, मुकाबला और मिलन का अभ्यास आज सबसे जरूरी है जो नई पीढ़ी को बचपन से सिखाया जाना चाहिए, ताकि खुद की संकीर्णता में बंद व्यक्तित्व के निर्माण को स्वयं के विश्वास से बढ़ावा न मिले।

दूसरा, दो वार्ताकार - संपादक द्वारा बुद्धिमानी से अनुप्रेरित किया गया है- विभिन्न दृष्टिकोणों और सांस्कृतिक उत्पत्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं: कार्लो पेट्रिनी, जो खुद को एक अज्ञेयवादी के रूप में परिभाषित करते हैं और जिनके साथ मुझे पहले ही एक अन्य पाठ के लिए संवाद करने का आनंद मिला है; जो गेल जिराउड, येसु संघी हैं। लेकिन यह वस्तुगत तथ्य उन्हें एक गहन और रचनात्मक बातचीत करने से नहीं रोकता है जो हमारे समाज और हमारे ग्रह के लिए एक प्रशंसनीय भविष्य का घोषणापत्र बनता है।

एक आस्तिक और नास्तिक बातें करते और मिलते हैं, भले ही वे अलग-अलग पदों से हों, अलग-अलग पहलुओं पर जिन्हें हमारे समाज को स्वीकार करना चाहिए ताकि दुनिया का भविष्य संभव हो सके, संत पापा ने लिका कि यह एक बात है जो मुझे अच्छी लगती है। यह और बेहतर लगता है, क्योंकि दो वार्ताकारों के बीच विचार-विमार्श में, हम येसु के एक शब्द को स्पष्ट रूप से प्रकट होता देखते हैं, जो सुसमाचारों में नहीं बल्कि जिसे हम प्रेरित चरित में पाते हैं- “लेने की अपेक्षा देने में अधिक आनंद है।” हां, क्योंकि दो वार्ताकार उपभोक्ता की अधिकता और बर्बादी को समकालीन जीवन की बुराई स्वरूप देखते हैं, और परोपकारिता और बंधुत्व में एक साथ रहने हेतु स्थायी और शांतिपूर्ण सच्ची स्थितियों की पहचान करते हैं, वे साबित करते हैं कि येसु का दृष्टिकोण फलदायी है और सभी नर और नारियों के लिए जीवन का एक स्थल है। उनके लिए जिनके पास विश्वास की क्षितिज है और उनके लिए जिनके पास नहीं है। मानव भाईचारा और सामाजिक मित्रता, मानवशास्त्रीय आयाम, जिसका जिक्र मैंने विश्व पत्र, फ्रातेल्ली तुत्ती में  किया, व्यक्तिगत, सामुदायिक और राजनीतिक स्तर पर हमारे संबंधों के लिए ठोस और परिचालन का आधार बनता है।

विचार का क्षितिज जिस पर पेट्रिनी और जिराउड अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, वास्तव में, महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्थिति है जिसमें हम खुद को उस “अर्थव्यवस्था की संतान” स्वरूप पाते हैं, जो “अर्थव्यवस्था को मारती है” और जिसके कारण पृथ्वी की पीड़ा और दुनिया के गरीबों की पीड़ा का सामना करना होता है। सूखे, पर्यावरणीय आपदाओं, जलवायु के कारण जबरन पलायन जैसी खबरें जिन्हें हम प्रतिदिन सुनते हैं – उनके प्रति उदासीन नहीं रह सकते हैं: ऐसा होता तो हम उस सुंदरता के विनाश में भागीदार होंगे जो ईश्वर हमें सृष्टि में देना चाहते हैं जिससे हम घिरे हुए हैं। और इससे भी बढ़कर क्योंकि वह “सुन्दर अच्छा” उपहार जिसे निर्माता ने पानी और धूल, नर और नारी को बनाया है, नष्ट हो जाएगा। आइए हम इसका सामना करें: लापरवाह आर्थिक विकास जिसके लिए हमने जलवायु असंतुलन पैदा किया है जो सबसे गरीब लोगों के कंधों पर भारी पड़ रहा है, विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका में। हम उन लोगों के लिए दरवाजे कैसे बंद कर सकते हैं जो पलायन कर रहे हैं और पलायन करेंगे, अस्थिर पर्यावरणीय परिस्थितियां, हमारे अत्यधिक उपभोक्तावाद के प्रत्यक्ष परिणाम?

मैं विश्वास करता हूँ कि यह पुस्तक एक अनमोल उपहार है, क्योंकि यह हमें एक व्यक्ति, समुदाय और संस्थागत स्तर पर एक मार्ग और इसका  अनुसरण करने की ठोस संभावना दिखाती है: पारिस्थितिक एक क्षेत्र को प्रस्तुत कर सकती है जिसमें हम सभी, भाई-बहनों के रूप में, आम घर की देखभाल कर सकते हैं, इस बात पर दांव लगा सकते हैं कि कम चीजों का सेवन करके और अधिक व्यक्तिगत संबंधों को जी कर हम अपनी खुशी के द्वार में प्रवेश करेंगे।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

18 May 2023, 17:22