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संत पापाः प्रवासियों का अधिकार, एक चुनाव

संत पापा फ्रांसिस ने 109वीं प्रवासी और शरणार्थी विश्व दिवस के अवसर पर अपने संदेश में प्रवासन के कारणों को उचित रूप में समझने और विश्लेषण करने की मांग की।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी,गुरूवार, 11 मई 2023 (रेई) 109वीं विश्व प्रवासी और शरणार्थी दिवस के अवसर पर संत पापा ने वर्तमान समय के प्रवासी प्रवाह के जटिल कारणों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उनकी स्वतंत्रता का जिक्र किया जिसके फलस्वरुप वे अपनी मातृभूमि से कहीं भी जाने और रहने का चुनाव कर सकते हैं।

प्रवासन करने या रहने की स्वतंत्रता

कुछ साल पहले इतालवी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने प्रवासियों की गतिशीलता के संबंध में “छोड़ने के लिए स्वतंत्र, रहने के लिए स्वतंत्र” शीर्षक से एक पहल करते हुए उनके संग अपनी एकता को प्रदर्शित की थी। इस संदर्भ में संत पापा फ्रांसिस ने पवित्र परिवार के प्रवासन की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा,“पवित्र परिवार का मिस्र प्रवासन एक स्वतंत्र चुनाव का परिणाम नहीं था और न ही इस्रराएल के इतिहास में असंख्य लोगों का प्रवासन”।

उन्होंने कहा कि प्रवासन का निर्णय सदैव स्वतंत्र होना चाहिए यद्यपि बहुत सारी परिस्थितियों में यहाँ तक की आज भी ऐसा नहीं है। आज भी, युद्धों, प्रकृतिक आपदाओं या सम्मानजनक जीविका और समृद्ध जीवन की चाह में हजारों की संख्या में लोगों को प्रवासन का शिकार होना पड़ता है। सन् 2003 में संत पापा योहन पौलुस द्वितीय ने कहा, “प्रवासियों और शरणार्थियों के संबंध में, शांति की स्थिति के निर्माण का अर्थ सर्वप्रथम सभों के अधिकारों की रक्षा हेतु गंभीरता से प्रतिबद्ध होना है जिससे प्रवासन न हो, अर्थात सभों को अपने देश में शांति और सम्मान से रहने का अधिकार मिले”।

निष्ठा हेतु आत्म-मंथन

संत पापा ने कहा कि सतावटों, युद्धों, प्रकृतिक आपदाओं और गंभीर गरीबी तथा भय या निराश के कारण लोगों को प्रवासन का शिकार होना पड़ता है। इन कारणों का अंत करने हेतु हमें एकजुटतता में निष्ठामय तरीके से अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाहन करने की आवश्यकता है। हमारी निष्ठा की शुरूआत आत्म-मंथन से होती है, “हम क्या कर सकते हैं बल्कि हमें किन चीजों के नहीं करने का जरुरत है”। उन्होंने कहा कि हमें हथियारों का उत्पादन, आर्थिक निवेश, लोगों के लिए उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों और हमारे आम निवास पृथ्वी के दोहन को रोकना होगा।

देश के नेताओं का कर्तव्य

संत पापा ने कहा कि प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय का आदर्श आज की स्थिति में बहुत दूर हो गया है। प्रवासन की सच्ची स्वतंत्रता हम सबों से इन बातों की मांग करती है कि हमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना होगा कि सामान्य भलाई की चीजों में सभों की समान हिस्सेदारी हो, लोगों के मौलिक अधिकारों का सम्मान हो और एक समग्र मानव विकास को बढ़वा मिले। केवल ऐसे करने के द्वारा हम हर व्यक्ति को और व्यक्तिगत परिवारों को पूर्ण जीवन का सम्मान प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “इसकी मुख्य जिम्मेदारी देश के नेताओं में आती है जो अच्छी राजनीति के लिए चुने गये हैं, वे जो पारदर्शी, ईमानादारी, दूरदर्शिता, सभों की सेवा और विशेषकर अतिसंवेदनशीलों के लिए कार्य करने को बुलाये गये हैं।” साथ ही, ऐसा करने के लिए उन्हें अपने में सशक्त होने की जरूरत है जिससे वे अपने प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों की सुरक्षा कर सकें और कुछेक के हितों की सेवा करने के उद्देश्य से बाहरी हस्तक्षेप के बचे रहें। वे अपने में अच्छे और सावधानीपूर्वक निर्णयों लें जिससे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को खतरनाक भ्रम या बेईमान से तस्करी का शिकार होने से बचाया जा सके।

जुबली वर्ष 2025 की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदायों इस बात का ध्यान दें कि सभी अपने अधिकार का उपयोग करते हों और लोगों को प्रवासन के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता हों अर्थात सभी को अपने देश में शांति और सम्मान से रहने का अवसर मिले क्योंकि यह मानवीय मूलभूत अधिकार है। हमें इस अधिकार की सुरक्षा हेतु मिलकर अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाहण करने की आवश्यकता है। “दुनिया के संसाधन असीमित नहीं हैं, आर्थिक रूप से गरीब देशों का विकास साझा करने की क्षमता पर निर्भर करता है जिसे हम सभी देशों के बीच उत्पन्न का प्रबंधन करते हुए कर सकते हैं। जब तक इस अधिकार की गारंटी नहीं दी जाती तब तक बहुत से लोगों को एक बेहतर जीवन की तलाश के लिए पलायन करना होगा।”

एक आदर्श समुदाय

करूणा के कार्यों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हमें प्रत्येक प्रवासी की गरिमा के लिए अधिकतम सम्मान दिखाने हेतु बुलाया गया हैं जो हमारे दरवाजों में दस्तक देते हैं। हम जहाँ कहीं भी अपने भविष्य का निर्माण करने की चाह रखते हों, हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि वहाँ एक समुदाय हो जो प्रवासियों का स्वागत, उनकी सुरक्षा, उन्हें बढ़ावा देने और बिना किसी भेदभाव के उन्हें सामाजिक जीवन में एकजुट होने में मदद करता हो। “कलीसिया के रुप हम अपने प्रवासी भाई-बहनों की प्रेमपूर्ण सेवा और देखरेख करने के लिए बुलाये गये हैं। केवल एक साथ चलते हुए हम अधिक दूर तक जा सकते और अपनी यात्रा में की सामान्य लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।”  

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11 May 2023, 16:48