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संत पापाः मत्तेयो रिच्ची एक जोशीले महान प्रेरित

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में इतालवी महान येसु संघी मत्तेयो रिच्ची के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्हें एक सामंजस्यपूर्ण व्यक्तित्व कहा।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

हम प्रेरितिक उत्साह पर अपनी धर्मशिक्षा माला जारी रखते हैं अर्थात यह येसु ख्रीस्त की घोषणा है जिसे हम ख्रीस्तियों को करनी है। हमने संत फ्रांसिस जेवियर, संत पौलुस के महान प्रेरितिक जोश के बारे में जिक्र किया है। आज मैं एक इतालवी, मत्तेयो रिच्ची के प्रेरितिक उत्साह की चर्चा करना चाहूँगा, जो प्रेरिताई हेतु चीन गये।  

प्रेरितिक जोश 

माचेराता में जन्मे, उन्होंने मारके के येसु समाजी स्कूल में अपनी पढ़ाई के बाद येसु संघ में प्रवेश किया। प्रेरितों के जीवन से प्रेरित और प्रभावित, अन्य युवाओं की भांति वे सुदूर पूर्वी प्रांत में प्रेरिताई हेतु भेजे जाने को इच्छुक थे। संत फ्रांसिस के प्रयास उपरांत अन्य पच्चीस येसु समाजियों ने चीन में प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन वे असफल रहे। लेकिन रिच्ची औऱ उनके एक मित्र ने इसके लिए अपने को बेहतरीन रुप में तैयार किया। वे सावधानी पूर्वक चीनी भाषा और वहाँ की परंपारओं का अध्ययन किया और अंततः वे चीन के दक्षिण भाग में अपने को स्थापित करने में सफल हुए. इसके लिए उन्हें अठारह साल लगे, पेकिंग पहुँचने के पहले उन्होंने चार चरणों में चार अलग-अलग शहरों का दौरा किया, जो उनका केन्द्र था। अपने धैर्य और निष्ठा में, अविचलित विश्वास से प्रभावित मत्तेयो रिच्ची बहुत सारी कठिनाइयों और खतरों, अविश्वास और विरोधों पर विजय हासिल करते हैं। संत पापा ने कहा कि उस समय में चलना या घुड़सवारी करते हुए दूरियों को तय करना...और निरंतर आगे बढ़ते जाना, मत्तेयो रिच्ची के लिए उत्साह का स्रोत क्या थाॽ उत्साह उन्हें कहाँ ले चलाॽ

कार्य शैली

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि जितनों से उनकी मुलाकात हुई उन्होंने उनके संग सदैव वार्ता और मित्रता के मार्ग  अपनाये, और इस भांति उन्होंने ख्रीस्तीय विश्वास की घोषणा हेतु अपने लिए कई द्वार खोले। चीनी भाषा में उनका पहला कार्य “मित्रता पर व्यख्यान” था, जो बहुत ही प्रसिद्ध रहा। चीनी जीवन और संस्कृति में प्रवेश करने हेतु उन्होंने सर्वप्रथम बौद्ध धर्मालम्बियों की भांति चांदी-सा वेशभूषा धारण किये जिसका उपयोग उस देश में किया जाता था। लेकिन उन्होंने इस बात को बेहतर रुप में समझा कि सबसे अच्छा तरीका जीवन शैली और शिक्षा के वस्त्र धारण करना है, जैसे कि विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण साक्षरता के वस्त्र धारण करते हैं। इस भांति उन्होंने उनके पौराणिक गंथों का गहन अध्ययन किया जिससे ईसाई धर्म को कन्फ्यूशियस ज्ञान और चीनी समाज के रीति-रिवाजों में सकारात्मक संवाद करते हुए प्रस्तुत किया जा सके। यह हमारे लिए वह मनोभाव है जहाँ हम अपने को दूसरों की संस्कृति के अनुरूप ढ़ाल लेते हैं।

विद्वत्ता

उनकी उत्कृष्ट वैज्ञानिक तैयारी ने शिक्षित पुरुषों में रुचि और प्रशंसा जगाई। उन्होंने अपनी शुरूआत विख्यात विश्व के मानचित्र से की जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ, उन्होंने विभिन्न महादेशों को रेखांकित किया, जिसके फलस्वरुप चीनियों के लिए पहली बार, चीन के बाहर उनकी सोच की व्यापक वास्तविकता प्रकट हुई। अपनी विद्वत्ता में वे इस बात को अच्छी तरह समझ गये कि विश्व चीन से अधिक विस्तृत है। लेकिन रिच्ची और उनके प्रेरितिक अनुयायियों के गणितीय और खगोलीय ज्ञान ने भी पश्चिम और पूर्व की संस्कृति और विज्ञान के बीच एक उपयोगी वार्ता स्थापित की। इसे एक अति सुखद समय के रुप में देखा गया, जहाँ वार्ता और मित्रता का विकास हुआ। वास्तव में, मत्तेयो रिच्ची के कार्य अपने में कभी भी संभव नहीं होते यदि उनके चीनी मित्रों ने उनका सहयोग नहीं किया होता जैसे कि प्रसिद्धि चिकित्सक “डा. पावलो” और “डा. लियोन।”

मानवीय गुण

संत पापा फ्रांसिस ने कहा, यद्यपि, विज्ञान के क्षेत्र में रिच्ची की ख्याति,सुसमाचार की घोषणा हेतु उनकी गहरी उत्साह को धूमिल न करे। संवाद हेतु अद्वितीय ज्ञान, वैज्ञानिकों के साथ, वे आगे बढ़ते गये और अपने विश्वास, सुसमाचार का साक्ष्य दिया। वैज्ञानिक आधार पर वार्ता की विश्वासनीयता ने उन्हें ख्रीस्तीय विश्वास और नौतिकता को अधिकार के साथ प्रस्तुत करने का अवसर दिया, जिसकी चर्चा हम उनके प्रमुख्य चीनी कार्य, स्वर्गीय ईश्वर का असल अर्थ, में और अधिक गहराई से पाते हैं। इस सिद्धांत के अलावे, धर्मसंघी जीवन का साक्ष्य, उनके गुण और प्रार्थना- वे प्रेरितिक प्रार्थनामय जीवन व्यतीत करते थे। संत पापा ने कहा,वे उपदेश देने और अपने कार्यों को पूरा करने हेतु गतिशील रहते थे। प्रेरितिक जीवन हेतु यह जरूरी है, करूणा के कार्य, दूसरों की सेवा, नम्रता। अपनी प्रसिद्धि की कामना और धन के प्रति गहरी अरूचि ने बहुतों को उनका अनुयायी और मित्र बन दिया जिन्होंने ख्रीस्तीय विश्वास को आलिंगन किया।

संत पापा ने कहा कि चीनियों ने एक अति कुशाग्र बुद्धि, विवेकी व्यक्तित्व को देखा था जो अपनी वार्ता में विनम्र थे, अतः वहाँ के विश्वासियों ने कहा, “वे जिन बातों को घोषित करते हैं वह सत्य है क्योंकि वह उनके व्यक्तित्व में झलकता है। वह अपने जीवन के द्वारा साक्ष्य देता है।” यही सुसमाचार प्रचारक की निरंतरता है। यही वह बात है जो हम सभी ख्रीस्तियों को जो सुसमाचार के उद्घोषक हैं प्रभावित करता है। यह हमारे साक्ष्य रूपी जीवन की निरंतरता है जो लोगों को आकर्षित करती है। संत पापा ने महान प्रेरितों की ओर देखने और उनका अनुसरण करने का आहृवान किया क्योंकि उनकी बातों और जीवन में हम सामंजस्य को पाते हैं। ख्रीस्तियों के रुप में  हम जो घोषित करते उसे हमें अपने जीवन में जीने की जरूरत है।

अंतिम चाहत  

अपने जीवन के अंतिम क्षणों में, जो उनके अति निकट थे और जिन्होंने उनसे यह पूछा कि वे कैसा अनुभव करते हैं, उन्होंने उत्तर दिया, “वह सोच रहा है कि क्या वह खुशी और आनंद जो उसने अपने अंदर महसूस किया है, क्या वह जाने और ईश्वर का स्वाद लेने हेतु अपनी यात्रा के करीब है, या वह उदासी जहाँ उसे प्रेरिताई में अपने संग रहने वाले साथियों को छोड़ना है जिससे वह बहुत प्यार करता है, और वह सेवा जिसे वह अब भी इस प्रेरिताई में ईश्वर के लिए कर सकता है।” यह वही मनोभाव है जिसे हम संत पौलुस में पाते हैं (फिलि.1.22-24)।

मत्तेयो की मृत्यु पेकिंग में सन 1610 को, 57 वर्षो में हो गई। संत पापा ने कहा कि वे एक ऐसे व्यक्ति रहे जिन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन को प्रेरिताई हेतु समर्पित कर दिया। उनका प्रेरितिक उत्साह हमारे लिए एक आदर्श की भांति है। चीनी लोगों के लिए उनका प्रेम अपने में एक आदर्श है। उनका साक्ष्य भरा, सामंजस्यपूर्ण जीवन उनके  ख्रीस्त जीवन का उदाहरण है। उन्होंने ख्रीस्तीय विश्वास को चीन देश में पहुंचाया। निःसंदेह वे अपने में एक महान वैज्ञानिक हैं, वे महान हैं क्योंकि हम उनमें साहस को देखते हैं। वे महान हैं क्योंकि उन्होंने बहुत सारी पुस्तकें लिखी उससे भी बढ़कर, संत पापा ने कहा कि वे अपनी बुलाहट में सदैव निष्ठावान बने रहें और येसु ख्रीस्त का अनुसरण करने की चाह रखी। उन्होंने कहा, हम अपने में पूछें कि क्या हम सामंजस्य के व्यक्ति हैं या हम थोड़ा इधर-उधर होते हैं। 

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31 May 2023, 12:26