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संत पापाः पवित्र आत्मा हमें भयमुक्त करते हैं

संत पापा फ्रांसिस ने पेन्तेकोस्त पर्व दिवस के अवसर पर स्वर्गीय रानी प्रार्थना के पूर्व दिये गये अपने संदेश में भय का कारण बतलाते हुए पवित्र आत्मा को इसका निदान कहा।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 मई 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में पेन्तेकोस्त महापर्व के दिन स्वर्गीय रानी प्रार्थना हेतु जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज, पेन्तेकोस्त महापर्व का सुसमाचार हमें अंतिम व्यारी की कठोरी में ले चलता है जहाँ शिष्यगण येसु की मृत्यु के बाद शरण लिये हुए थे। पास्का की संध्या को पुनर्जीवित प्रभु उनके दुःख और भय की स्थिति में अपने को उनके बीच प्रस्तुत करते हैं, और उनके ऊपर फूंकते हुए कहते हैं, “पवित्र आत्मा को ग्रहण करो।” इस भांति पवित्र आत्मा के उपहार से येसु अपने शिष्यों में व्याप्त भय को दूर करना चाहते हैं क्योंकि वे भय के कारण द्वार के अंदर बंद थे। वे उन्हें भय से मुक्त करते हैं जिससे वे बाहर निकल कर सुसमाचार का साक्ष्य देते हुए उसकी घोषणा करें। संत पापा ने कहा कि हम उस पवित्र आत्मा पर थोड़ा चिंतन करें जो भय से हमें मुक्त करते हैं।

भय का परिणाम

उन्होंने कहा कि सुसमाचार हमें बतलाता है कि वे “भय के कारण” द्वार के अंदर बंद थे। येसु की मृत्यु ने उन्हें झंकझोर दिया था। उनके सपने टूट गये थे, उनकी आशाएँ बिखर गई थीं। वे भय के मारे अपने में बंद हो गये थे। वे केवल घर के अंदर बंद नहीं थे बल्कि अपने अंदर, अपने हृदय में बंद हो गये थे। संत पापा ने जोर देखते हुए कहा कि वे स्वयं में बंद हो गये थे। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि कितनी बार हम अपने को अंदर से बंद कर लेते हैं। कितनी बार हम अपने जीवन की स्थिति के कारण, व्यक्तिगत परेशानी या पारिवारिक मुसीबत के कारण, उस कठिनाई के कारण जो हमें प्रभावित करता है या उस बुराई के कारण जिसे हम अपनी अगल-बगल पाते हैं, अपने को बंद कर लेते हैं। क्या हम ऐसी परिस्थिति में अपने को धीरे-धीरे खो देते और साहस के अभाव में आगे बढ़ने से रूक जाते हैंॽ और इस तरह हम शिष्यों की भांति, हम अपने को अंदर से बंद कर लेते हैं, जो हमें चिंताओं के भंवरजाल में अवरूध कर देता है।

भय हमें पंगु बनाता है

संत पापा ने कहा प्रिय भाइयो-बहनों, हमारा अपने में यह “बंद होना” तब होता है जब हम अपने मुश्किल के समय में, भय को अपने में हावी होने देते और इसकी ऊंची आवाज को अपने में प्रबल होने देते हैं। अतः यह हमारा भयभीत होना है, भय जिसका सामना करने में हम अपने को असमर्थ पाते हैं, जिसके कारण हम दैनिक जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में अपने को अकेला पाते हैं, हम अपने को जोखिम में पड़ा और अपने को निराश, अपने लिए गलत निर्णयों को लेता हुआ पाते हैं। संत पापा ने कहा कि भय हमारे लिए रोड़ा उत्पन्न करता, हमें पंगु बना देता है। यह हमें अकेला कर देता है, हम दूसरों से भय के बारे में सोच सकते हैं, जो परदेशी हैं, जो हम से भिन्न हैं, जो हम से अलग सोचते हैं। और यहाँ तक कि हम ईश्वर से अपने को भयभीत पाते हैं- वे हमें सजा देंगे, वे हम से नाराज हो जायेंगे... यदि हम इन गलत भयों को अपने जीवन में स्थान देते तो हम अपने को बंद कर लेते हैं, हमारे हृदय के द्वारों को, समाज के द्वारों को, यहाँ तक की कलीसिया के द्वारों को भी। जहाँ भय है, वहाँ सारी चीजें बंद  हो जाती हैं। यह हमारे लिए सहायक नहीं होता है।

पुनर्जीवित येसु भयमुक्त करते हैं

जबकि सुसमाचार हमें पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त के रुप में इसका एक समाधान प्रस्तुत करता है- और वे हमारे लिए पवित्र आत्मा हैं। संत पापा ने कहा कि वे हमें भय के कैदखाने से मुक्त करते हैं। जब प्रेरितों ने पवित्र आत्मा को प्राप्त किया जिसके आने का त्योहार आज हम मनाते हैं वे शिष्यों को अंतिम व्यारी की कोठरी से बाहर निकालते और बाहर दुनिया में  ले जाते हुए, पापों की क्षमा देने और सुसमाचार की घोषणा करने को अग्रसर करते हैं। हम इसके लिए पवित्र आत्मा का धन्यवाद करते हैं क्योंकि वे हमारे बीच से भय को दूर करते और हमारे द्वारों को खोलते हैं। पवित्र आत्मा हमारे संग ऐसा करते हैं, वे हमें ईश्वर के निकट लाते हैं जिससे कि उनके प्रेम से हमारे भय दूर हों, हमारे मार्ग प्रशस्त हों, हमें सांत्वना मिले, हम विभिन्नताओं में एक बने रहें। हम अपने लिए, कलीसिया और पूरी दुनिया के लिए पवित्र आत्मा की मांग करें- एक नया पेन्तेंकोस्त हमारे बीच से भय दूर करे जो हम पर आक्रमण करता है, यह हमारे बीच ईश्वरीय प्रेम की अग्नि प्रज्वल्लित करें। 

अति पवित्र मरियम जो सर्वप्रथम पवित्र आत्मा से पूर्ण रहीं हम सभों के लिए निवेदन करें।

अपने स्वर्गीय रानी प्रार्थना के उपरांत संत पापा फ्रांसिस ने महान सहित्यकार आलेसन्द्रो मंनजोनी की 150वीं वर्षगाठ के अवसर पर उनकी याद की। अपने लेखों में उन्होंने सबसे परित्यक्त लोगों के बारे में जिक्र किया कि करूणा के ईश्वर सदैव उनकी रक्षा करते हैं, वे कलीसिया के विश्वासी प्रेरितों द्वारा सदैव मदद किये जाते हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने म्यांमार और बंगलादेश के लोगों की याद करते हुए प्रार्थना का आहृवान किया जो लाखों की संख्या में तूफान के शिकार हुए हैं। उन्हें अपना सामीप्य अर्पित करते हुए उन्होंने देश के नेताओं से आग्रह किया कि वे ऐसी परिस्थिति में मानवतावादी कार्यों में हाथ बटांयें साथ ही उन्होंने उऩके लिए कलीसियाई सहायता और एकात्मकता की अपील की। इसके उपरांत उन्होंने विभिन्न स्थानों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया।

अंत में संत पापा ने मई महिमा की समाप्ति की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए विश्व के मरियम तीर्थों की याद की जहाँ प्रार्थनाएं की जायेगीं। उन्होंने धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की सफलता हेतु प्रार्थना का निवेदन किया। संत पापा ने युद्ध ग्रस्त यूक्रेन को माता मरियम के हाथों में सुपुर्द करते हुए विश्व शांति की आशा व्यक्त की। और अंत में अपने लिए प्रार्थना का निवेदन करते हुए उन्होंने सबों को रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित करते हुए विदा ली। 

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29 May 2023, 10:52