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संत पापा फ्रांसिस स्वर्गीय रानी प्रार्थना में संत पापा फ्रांसिस स्वर्गीय रानी प्रार्थना में  (Vatican Media)

संत पापाः हमारा निवास स्वर्ग है

संत पापा ने रविवारीय स्वर्गीय रानी प्रार्थना के पूर्व विश्वासियों को दिये गये अपने संदेश में स्वर्ग की अपना लक्ष्य सुदृढ़ बनाये रखने का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने पास्का के पाँचवें रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में स्वर्गीय रानी प्रार्थना हेतु एकत्रित हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो।

संत पापा ने पास्का के पाँचवें रविवार, सुसमाचार पर अपना चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज का सुसमाचर येसु की मृत्यु के पहले अपने शिष्यों को दिये गये प्रवचन का भाग है। शिष्यगण अपने में विचलित हैं लेकिन स्वामी उन्हें अपने वचनों से सुदृढ़ता प्रदान करते हुए नहीं डरने को कहते हैं। वे उन्हें छोड़कर नहीं जाते बल्कि उनके लिए एक स्थान तैयार करने जाते हैं जिससे वे उन्हें उस निर्धारित निवास की ओर ले चलें। इस भांति वे हमें सुन्दर निवास के बारे में कहते हैं साथ ही वे हमें यह बतलाते हैं कि हम वहाँ कैसे जायें, वे इसके लिए स्वयं हमारा मार्ग दर्शन करते हैं। उन्होंने कहा, “वे हमें कहाँ जाना और कैसे जाना है इस बात को बतलाते हैं।”

कहाँ जायें

संत पापा ने कहा कि येसु अपने शिष्यों में उदासी को देखते हैं, वे उनके बीच छोड़ दिये जाने के भय को पाते हैं, यह उनके लिए उसी भांति होता है जैसे हम अपने प्रियजनों से बलपूर्वक अलग किये जाते हों। अतः वे कहते हैं, “मैं तुम्हारे लिए एक स्थान तैयार करने जाता हूँ...जिससे मैं जहाँ हूँ तुम भी वहीं रह सको (यो. 14.2-3)।” येसु एक परिचित निशानी घर के बारे में कहते हैं, जो हमारे लिए एक ठोस और गहरे संबंधों का स्थल है। वे अपने मित्रों से कहते हैं, “पिता के घर में हरएक के लिए स्थान  है, जहाँ सभी का स्वागत किया जाता है, वहाँ सभी का गर्मजोशी से स्वागत किया जायेगा, मैं स्वर्ग में वहाँ तुम सभों के लिए एक स्थान तैयार करूँगा।”

येसु के शब्द 

प्रिय भाइयो एवं बहनो, संत पापा ने कहा कि येसु के शब्द हमारे लिए सांत्वना के स्रोत हैं जो हमारे लिए आशा उत्पन्न करती है। येसु हम से अलग नहीं होते हैं, बल्कि वे हमारे लिए एक मार्ग खोलते हैं, जिससे हम अपने अनंत निवास में स्वर्गीय पिता से मिल सकें, जिनके हृदय में हम सबों के लिए एक जगह है। अतः जब हम थकान, विचलित और यहाँ तक कि असफल होने का अनुभव करते तो हम इस बात को याद करें कि हमारा जीवन किस दिशा में अग्रसर हो रहा है। हम अपने लक्ष्य से न भटकें यद्यपि हम इसे नजरअंदाज, भूलने की जोखिम में पड़ जाते हैं। हम सदैव अपने में यह महत्वपूर्ण सवाल पूछें, “मैं कहाँ जा रहा हूँ”ॽ “मैं किस ओर चल रहा हूँ”ॽ मेरे जीवन मैं कौन-सी महत्वपूर्ण बात है जिसके लिए मैं इसे जीता हूँ”ॽ इन सारे सवालों के बिना हम अपने जीवन के वर्तमान समय को  दबा देते हैं, हम यह सोचते हैं कि जितना संभव हो सके हमें इस जीवन का मजा लेना है और अंत में हम अपने हर दिन को बिना उद्देश्य के लक्ष्यहीन खत्म कर देते हैं। संत पापा ने कहा,“हमारा निवास स्थल स्वर्ग है” (फिलि.3.20)। हम अपने उस लक्ष्य की सुन्दरता और महानता को न भूलें।

हमारा लक्ष्य

उन्होंने कहा कि एक बार जब हम अपने लक्ष्य को खोज लेते हैं, तब हम थोमस की भांति ही आश्चर्य में यह सवाल करते हैं, “हम कैसे वहाँ जा सकते हैं, उसका मार्ग क्या है”ॽ कई बार जब हम बड़ी मुसीबतों का सामना करते और वे मुसीबतें बुराइयों की भांति होतीं, तो हम अपने आप में पूछें, “मैं क्या करूँ”ॽ मुझे कौन-सा मार्ग में चलने की जरूरत है”ॽ इसके उत्तर को हम येसु से सुनें,“मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ” (यो.14.6)। “मैं मार्ग हूँ”। येसु ही हमारे लिए मार्ग हैं जिसका अनुसरण करते हुए हम सच्चाई को जीते औऱ सम्पूर्ण जीवन को प्राप्त करते हैं। वे हमारे लिए मार्ग हैं और इसलिए उन पर विश्वास करना हमारे लिए “विचारों की गठरी” नहीं है जिसमें हम विश्वास करते हों, वरन यह एक राह है जिसमें हमें चलने की जरुरत है, एक यात्रा जिसमें हमें आगे बढ़ना है, एक पथ जहाँ हम उनके साथ चलते हैं। येसु के पीछे चलना जो हमारे लिए मार्ग हैं, हमें अनंत खुशी की ओर ले चलता है। येसु का अनुसरण हम अपनी निकटता और अपनी करूणा कार्य में करते हैं जो दूसरों के लिए होता है। “यह हमारे लिए रडार” की भांति होता जो हमें स्वर्ग की ओर ले चलता है, जहाँ हम येसु को अपना प्रेम दिखलाते, दूसरों के लिए इस पृथ्वी पर प्रेम की निशानी और मार्ग बनते हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हम वर्तमान में जीयें, हम इसे अपने हाथों में लें, लेकिन हम इसमें डूबा हुआ न रहें, हम ऊपर की ओर देखें, आकाश की ओर, हम अपने लक्ष्य की याद करें, हम इस बात की याद करें की हम सभी अनंत जीवन के लिए बनाये गये हैं, हमारा मिलन ईश्वर से होगा। हम अपने हृदय से येसु के संग चलने के लिए अपने चुनाव को नवीकृत करें, उन्हें प्रेम करने के लिए, उनके पीछे चलने के लिए। माता मरियम जिन्होंने येसु का अनुसरण किया और पहले ही उस लक्ष्य तक पहुँच गई हैं हमें अपनी आशा में मजबूत बने रहने में मदद करें।

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08 May 2023, 11:08