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संत पापा और हंगरी के येसु संघी संत पापा और हंगरी के येसु संघी  (ANSA)

संत पापाः हंगरी येसु संघियों से भेंट

संत पापा फ्रांसिन से हंगरी में अपने येसु समाजी भाइयों से मुलाकात की।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 10 मई 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने हंगरी की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन 29 अप्रैल को हंगरी के येसु सामजियों से भेंट की थी और उनके विभिन्न सवालों का जबाव दिया था।

आप कैसे युवाओं के साथ बेहतर रुप में तालमेल स्थापित करते हैंॽ

संत पापाः इस संबंध में मेरे लिए मुख्य वाक्य “साक्ष्य” है। साक्ष्य के बिना, अनुभूति को साझा किये बिना कुछ नहीं किया जा सकता है। यह आज सिर्फ मीना के उस सुन्दर गाने की भांति रह जाते हैं, “परोले, परोले, परोले... ” (शब्दें, शब्दें, शब्दें)। साक्ष्य के बिना कुछ नहीं होता है। और साक्ष्य का अर्थ जीवन की निरंतरता है।

संत पापा, आप का हमारे संग होना खुशी की बात है। वह कौन-सी बात है जिसके फलस्वरुप आप 2021 की यात्रा के बाद पुनः हंगरी की प्रेरितिक यात्रा करने को प्रेरित हुएॽ

इसका कारण यह है कि पहली बार मैंने स्लोवाकिया की यात्रा की, लेकिन उस समय बुडापेस्ट में यूखारिस्तीय सम्मेलन था। अतः उस समय मैं यहाँ थोड़े समय के लिये था। तब मैंने यहां आने की प्रतिज्ञा की, और मैं यहाँ हूँ।

येसु समाज में युवाओं और सामान्य तौर पर युवा लोगों के प्रशिक्षण के बारे में, आप हमें क्या सुझाव देंगेॽ

संत पापाः स्पष्ट रुप में कहें। ऐसा कहा जाता था कि एक अच्छा येसु समाजी होने के लिए आपको स्पष्ट सोचना और अस्पष्ट विचार को अभिव्यक्त करना है। लेकिन युवाओं के साथ ऐसा नहीं होता है,  आप को स्पष्ट रुप से कहने और उसे निरंतर अपने कार्य में अभिव्यक्त करने की जरूरत है। युवाजन अस्थिरता की स्थिति को सहज के पकड़ लेते हैं। युवाओं के प्रशिक्षण दौर में उनके संग व्यस्कों के रुप में बातें करने की जरुरत है, जैसे आप बड़ों से करते हैं, न कि बच्चों की भांति। उन्हें आध्यात्मिक साधना के बारे में बतलाने की जरुरत है, आप उन्हें बृहृद आध्यात्मिक अनुभवों के लिए तैयार करें जो विनती उपवास है। युवाजन दोतरफा बातें पसंद नहीं करते हैं। लेकिन स्पष्ट बातें कहने का अर्थ आक्रामक होना नहीं है। स्पष्टता को हमें सदैव मित्रभाव, भ्रातृत्व और पितृत्वमय भावना से संयुक्त करना है।

यहाँ मुख्य बात “सत्यता” है। हम युवाओं को उन बातों को व्यक्त करने दें जिसका अनुभव वे करते हैं। मेरे लिए एक युवा और बुजुर्ग के बीच वार्ता बहुत महत्वपूर्ण है जहाँ वे बातें करते और अपने विचारों को व्यक्त करते हैं। मैं सत्यता की आशा करता हूँ, वे चीजों को व्यक्त करते हों जिन्हें वे अपने में पाते हैं, कठिनाइयाँ, पाप। एक प्रशिक्षु के रुप में आप को चाहिए कि आप उन्हें निरंतता की शिक्षा देते हों। युवाओं का बुजुर्गों से वार्ता करना महत्वपूर्ण है। बुजुर्ग जीर्णरोगशाला में अकेले नहीं रह सकते उन्हें समुदाय में रहने की जरुरत है, जिससे उनके बीच में बातें संभंव हो सके। आप नबी योवेल की याद करें, बुजुर्ग सपने देखेंगे और युवा भविष्यवाणी करेंगे। एक युवा की भविष्यवाणी बुजुर्ग के संग एक कोमल संबंध के फलस्वरूप आती है। “कोमलता” ईश्वर के लिए एक महत्वपूर्ण शब्द है- निकटता, करूणा और कोमलता। ऐसा करने के द्वारा हम कभी गलत राह में नहीं जायेंगे। यह ईश्वर की शैली है।

मैं उन लोगों के संबंध में, ख्रीस्तीय प्रेम के बारे में सवाल पूछना चाहूँगा, जिन्होंने यौन शोषण किया है। सुसमाचार हमें प्रेम के बारे में कहता है, लेकिन हम उन लोगों को किसी तरह प्रेम कर सकते हैं जिन्होंने यौन शोषण किया है और जो इसके शिकार हुए हैंॽ ईश्वर सभों को प्रेम करते हैं। वे उन्हें भी प्रेम करते हैं। लेकिन हमारे बारे मेंॽ निश्चित रुप में, चीजों को छिपाये बिना हम कैसे शोषणकर्ताओं को प्रेम कर सकते हैंॽ मैं सुसमाचार के अनुरूप सबों के लिए करूणा और प्रेम का कारण बनना चाहता हूँ, लेकिन यह कैसे संभव हैॽ

संत पापाः यह असंभव है। हम आज शोषण के बारे में जानते हैं जो अपने में विस्तृत है,यौन शोषण, मनोवैज्ञानिक शोषण, आर्थिक शोषण, शरणार्थी शोषण। आपका संदर्भ यौन शोषण से है। हम इसे कैसे देखें, हम उन शोषणकर्ताओं से कैसे बात करें जिनसे हमें घृणा होती हैॽ हाँ, वे भी ईश्वर की संतान हैं। लेकिन आप उन्हें कैसे प्रेम कर सकते हैंॽ यह एक शक्तिशाली सवाल है। शोषणकर्ता सजा का हकदार है, यद्यपि एक भाई की भांति। उसे दोषीदार घोषित करना यह अपने में एक भ्रातृत्वमय कार्य है। यह एक तर्क है, जो हमारे लिए अपने पड़ोसी को प्रेम करने रुप में व्यक्त किया गया है। इसे समझना और जीना अपने में सहज नहीं है। शोषक अपने में एक शत्रु है। हममें हर कोई इसका अनुभव करता है क्योंकि हम शोषण के शिकार से सहानुभूति रखते हैं। जब आप सुनते हैं कि पीड़ित लोगों के दिल में क्या गुजर रही है तो यह आप को बहुत अधिक प्रभावित करता है। यहाँ तक की हमें उस व्यक्ति से बातें करने में घृणा होती है, यह सहज नहीं है। लेकिन वे भी ईश्वर की संतान हैं। उन्हें सजा मिलती चाहिए लेकिन उन्हें भी प्रेरितिक मदद चाहिए। यह कैसे दिया जा सकता हैॽ नहीं, यह अपने में सहज नहीं है। आप सही हैं।

पुरोहित फेरेंक जैलिक्स के संग आपके संबंध कैसे थेॽ क्या हुआॽ एक प्रांतीय अधिकारी के रूप में आपने  उस दुखद स्थिति में कैसे अनुभव किया? आप पर गंभीर आरोप लगाए गए।

संत पापाः पुरोहित फेरेंक जैलिक्स और ऑरलैंदो योरियो ने पड़ोस में सेवा कार्य को कड़ी मेहनत से किया। जैलिक्स मेरे ईशशास्त्रीय अध्ययन के प्रथम और द्वितीय सालों में आध्यात्मिक सलाहकार हुआ करते थे जिनके पास मैं पापस्वीकार के लिए जाता था। पड़ोस में जहाँ वे कार्यरत थे एक गुरिल्ला कैदखाना हुआ करता था। लेकिन दोनों येसु सामाजियों को उनसे कुछ लेना देना नहीं था- वे पुरोहित थे राजनेतागण नहीं। जब उन्हें जेल लिया गया वे निर्देष थे। सेना ने उनपर कोई दोष नहीं पाया, लेकिन उन्हें नौ महीनों तक हवालात में रहना पड़ा था, जहाँ उन्हें धमकाया और प्रताड़ित किया गया। उन्हें बाद में कैदखाने से निकाला गया, लेकिन ये सारी चीजें गहरे जख्म करती हैं। जैलिक्स मेरे पास आये और हमने बातें कीं। मैंने उसे उनकी मां को पास जाने का सुझाव दिया जो अमेरीका में थीं। परिस्थितियाँ अपने में सचमुच अनिश्चित और भ्रमित करने वाली थीं। इसके बाद में यह अपवाहें उड़ीं कि मैंने उन्हें जेल में डलवाया था। आप को पता होना चाहिए कि एक महीने बात अर्जेटीना धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने तीन परियोजनाओं के दो संस्करणों को प्रकाशित किया, जिसमें उन सारी बातों का उल्लेख था जो कलीसिया और सेना के बीच घटित हुई थीं। आप सारी चीजों को वहाँ पायेंगे।

लेकिन वे घटनाएं जिनके बारे में जिक्र कर रहा था। जब सेना वहाँ से गई, जैलिक्स ने अर्जेटीना में आकर आध्यात्मिक साधना, एक कोर्स करने की मुझसे अनुमति मांगी। मैंने उन्हें आने को कहा, और हमने एक साथ यूखरिस्तीय बलिदान भी अर्पित किया। इसके बाद महाधर्माध्य के रुप में और फिर संत पापा के रुप में मैं उनसे मिला, वे रोम में मुझसे मिलने आये। हमने अपने इस संबंध को सदैव कयम रखा। लेकिन जब वे पिछली बार वाटिकन में मुझसे मिलने आये, मैं देख सकता था वे दुःखित थे क्योंकि उन्हें पता नहीं चला कि मुझसे कैसे बातें करनी है। यह एक तरह की दूरी थी। अतीत की उन घटनाओं के घाव उनके और मेरे हृदय में थे क्योंकि हम दोनों ने प्रताड़ना का अनुभव किया।

सरकार में कुछ लोग थे जिन्होंने मेरा “सिर कलम” करना चाहा, और उन्होंने जैलिक्स के मुद्दे को नहीं उठाया बल्कि तानाशाह के उस दौर में मेरे कार्य शैली पर सवाल उठाये। अतः उन्होंने मुझ पर मुकदमा चलाया। मुझे सुनवाई के लिए स्थान चुनने की अनुमति दी गई। मैंने सुनवाई के लिए धर्माध्यक्ष निवास को चुना। यह चार घंटे और दस मिनट तक चली। मेरे कार्यशैली के बारे में न्यायाधीशों में से एक ने जोरदार पूछताछ की। मैंने सदैव सच्चाई में जवाब दिये। लेकिन, मेरी दृष्टिकोण में, मैंने कम्यूनिस्ट पार्टी के वकील द्वारा पूछे गये केवल गंभीर सवालों का जवाब, ठोस और उचित शब्दों का चयन करते हुए दिया। मैंने सवालों के लिए धन्यवाद कहता हूँ जिनके द्वारा चीजें स्पष्ट हुई। अंत में, मेरी निर्दोषता साबित हुई। लेकिन उस न्याय में जैलिक्स का कहीं भी जिक्र नहीं था सिवाय उन सवालों के जो लोगों की सहायता में उठाये गये थे।

संत पापा के रुप में मैंने रोम में पुनः उन दो न्यायधीशों से मुलाकात की। एक से जिसमें अर्जेटीना का एक दल शामिल था। मैंने उसे नहीं पहचाना, लेकिन मुझे ऐसा लगा की मैंने उसे देखा है। मैं उसकी ओर देखता रहा, देखता रहा। मैं अपने में कहा रहा था, “लेकिन मैं उसे जानता हूँ”। उनसे मुझे गले लगाया। मैंने उसे पुनः देखा और उसने मुझे अपना परिचय दिया। मैंने उसे कहा, “मैं सजा का हकदार हूँ, लेकिन उस बात के लिए नहीं”। मैंने उन बातों के संबंध में उन्हें सहज होना को कहा। हाँ, मैं अपने पापों के लिए न्याय का हकदार हूँ लेकिन इस स्तर पर मैं बातों को स्पष्ट करना चाहता हूँ। तीन में से एक दूसरा भी मेरे पास आया और उसने मुझ से कहा कि उन्हें सरकार की ओर से यह निर्देश मिला है कि उन्हें सजा मिले।

लेकिन मैं यह कहना चाहूँगा कि जब जैकल्सि और योरिओ को सेना ले गयी थी, अर्जेटीना की स्थिति आचर्श्चजनक थी और एकदम पता नहीं चल रहा था कि हमें क्या करना चाहिए। उन्हें बचाने के लिए मैंने वही किया जो मुझे करने की आत्म प्रेरणा मिली। यह एक अति दुःखदायी घटना थी।

संत पापाः जैलिक्स एक अच्छे व्यक्ति थे, एक ईश भक्त,  एक व्यक्ति जो ईश्वर की तलाश करता थे, लेकिन वह एक ऐसे दल का शिकार हो गया जिससे वे संबंधित नहीं थे। इस बात को उन्होंने स्वयं समझा। वहाँ एक दल उस स्थान पर सक्रिया प्रतिरोध में था जहाँ वह एक पुजारी के रुप में गये थे। इस मामले की सच्चाई आपको दो खंडों के दस्तावेज़ों में मिलेगी जो प्रकाशित हो चुके हैं।

द्वितीय वाटिकन महासभा कलीसिया और आधुनिक दुनिया के बीच संबंधों के बारे में कहती है। हम कलीसिया और वास्तविकता के बीच कैसे सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं जो पहले से ही आधुनिकता से परे हैॽ हम अपने समय से प्रेम करते हुए ईश्वर की आवाज को कैसे खोज सकते हैं?

मुझे नहीं पता कि सैद्धांतिक रूप से इसका उत्तर कैसे दूँ, लेकिन मैं निश्चित रूप से जानता हूँ कि परिषद अभी भी लागू हो रही है। धर्मसभा की बातों को आत्मसात करने में एक शताब्दी लगता है। और मैं जानता हूँ कि इसके फरमानों का विरोध भयानक है। पुनर्स्थापनावाद के लिए अविश्वसनीय समर्थन है, जिसे मैं “इंदियेत्रिस्मो” (पिछड़ापन) कहता हूं, जैसा कि इब्रानियों का पत्र (10:39) कहता है: “लेकिन हम उन लोगों में से नहीं हैं जो पीछे हटते हैं।” इतिहास और कृपा का प्रवाह जड़ों से ऊपर की ओर होता है जैसे फल देने वाले वृक्ष का रस। लेकिन इस प्रवाह के बिना आप ममी बनकर रह जाते हैं। पीछे की ओर जाने से जीवन की रक्षा नहीं होती है। आपको बदलना है, जैसा कि लेरिंस के संत विन्सेंट ने अपनी कॉमनिटोरी में लिखा था जब उन्होंने टिप्पणी की थी कि ख्रीस्तीयता में धर्मसिद्धात का विकास होता है, यहा वर्षों में मजबूत को प्राप्त करता है, वह समय के साथ विकसित होता है, उम्र के साथ गहराता जाता है। लेकिन यह बदलाव नीचे से ऊपर की ओर जाती है। आज इंदियेत्रिस्मो का खतरा  है, यह आधुनिक के खिलाफ प्रतिक्रिया है। यह एक उदासीन रोग है। इसलिए मैंने निर्णय लिया कि अब 1962 के रोमन धर्मविधि की पुस्तिका के अनुसार उत्सव मनाने की अनुमति सभी नव-प्रतिष्ठित पुरोहितों के लिए अनिवार्य है। सभी आवश्यक परामर्शों के बाद, मैंने यह निर्णय लिया, क्योंकि मैंने देखा कि जोन पौल द्वितीय और बेनेडिक्ट सोलहवें द्वारा स्थापित किये गए अच्छे प्रेरितिक मापदंड का उपयोग वैचारिक तरीके से किया जा रहा है जो पीछे की ओर ले जाता है। इस पिछड़ेवाद को रोकना आवश्यक था, जो मेरे पूर्ववर्तियों की प्रेरिताई दृष्टिकोण में नहीं था।

मेरा पुरोहित अभिषेक तीन सप्ताह में होने वाला है। क्या आपको अपना पुरोहिताई अभिषेक याद है यह कैसा थाॽ  आप नव अभिषिक्त पुरोहित को क्या सलाह देना चाहेंगेॽ

संत पापाः हम सब पाँच थे, और हममें से दो अब भी जीवित हैं। मेरी याददाश्त अच्छी है। और मैं उन अधिकारियों का आभारी हूँ जिन्होंने हमें अच्छी तरह से तैयार किया, और फैकल्टी गार्डन में धूमधाम या बिना आडंबर के एक सुंदर, सरल उत्सव का आयोजन किया। यह एक खूबसूरत पल रहा। मेरे लिए यह देखना खुशी की बात थी कि रासायनिक प्रयोगशाला से मेरे साथियों का एक समूह वहाँ उपस्थित था जहाँ मैंने काम किया था, सभी नास्तिक और साम्यवादी थे। वे उपस्थित थे। उनमें से एक को पकड़ लिया गया और फिर सेना ने उसे मार डाला। आप कुछ सुझाव चाहते हैं- बुजुर्गों से आप अपने को दूर न रखें। 

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10 May 2023, 16:55