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हंगरी के काथलिक विश्वविद्यालय में शैक्षणिक जगत से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस हंगरी के काथलिक विश्वविद्यालय में शैक्षणिक जगत से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  (AFP or licensors)

हंगरी के शिक्षा जगत से पोप : ज्ञान है विनम्रता, न्याय और शांति

संत पापा फ्राँसिस ने हंगरी में अपनी प्रेरितिक यात्रा के अंतिम दिन काथलिक विश्वविद्यालय पेटर पाज़मनी में शैक्षणिक और सांस्कृतिक जगत से मुलाकात की तथा उनसे हमेशा विनम्र रहने और याद रखने का आग्रह किया कि ज्ञान सत्य है और सत्य स्वतंत्रता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटकिन सिटी

हंगरी, रविवार, 30 अप्रैल 2023 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने हंगरी में अपनी प्रेरितिक यात्रा के अंतिम दिन काथलिक विश्वविद्यालय पेटर पाज़मनी में शैक्षणिक और सांस्कृतिक जगत से मुलाकात की तथा उनसे हमेशा विनम्र रहने और याद रखने का आग्रह किया कि ज्ञान सत्य है और सत्य स्वतंत्रता है।

संत पापा ने कहा, “मैं आप प्रत्येक का अभिवादन करता हूँ...यह हंगरी में मेरी यात्रा की अंतिम मुलाकात है।”

डेन्यूब नदी को एकता का प्रतीक बतलाते हुए संत पापा ने कहा, “संस्कृति कुछ अर्थ में एक बड़ी नदी की तरह है। यह जीवन और इतिहास के विभिन्न क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़ती है एवं इस दुनिया में दूर के देशों और भूमि का आलिंगन करना संभव बनाती है। यह मन को पोषित करती, आत्मा को संतुष्ट करती एवं समाज के विकास को बढ़ावा देती है।”

संत पापा ने एक महान बुद्धिजीवी और गहरी आस्था के व्यक्ति रोमानो ग्वारदिनी की याद की जिन्होंने शानदार झील और उसके आसपास की पहाड़ियों की खूबसूरती पर चिंतन किया, जिसकी समकालीन संस्कृति में गहरी अंतर्दृष्टि थी। उन्होंने कहा था, "मुझे इन दिनों स्पष्ट रूप से पता चल गया है कि जानने के दो तरीके हैं। पहला, उस चीज और उसकी पृष्टभूमि में गोता लगाना, और दूसरा है, खोलना, फाड़ना, डिब्बों में व्यवस्थित करना, संभालना और नियम बनाना।” ग्वारदिनी एक कोमल, संबंधपरक ज्ञान और महारत के बीच अंतर करते हैं।

हंगरी में संत पापा फ्राँसिस
हंगरी में संत पापा फ्राँसिस

मशीन

ज्ञान के इस दूसरे रूप में, सामग्री और ऊर्जा को एक ही छोर पर निर्देशित किया जाता है: मशीन। परिणाम स्वरूप, "लोगों को नियंत्रित करने की एक तकनीक विकसित हो रही है।" गार्डिनी ने प्रौद्योगिकी को, जो जीवन और संचार में सुधार करती और कई फायदे लाती है, राक्षस नहीं बताया बल्कि उससे होने वाले खतरे के बारे चेतावनी दी है कि यह अंत में हमारे जीवन पर हावी न भी हो लेकिन उसे नियंत्रित कर सकता है। इसके कारण हम आंतरिक रूप से खोखले बन सकते हैं। क्या होगा जब हम प्रौद्योगिकी की अनिवार्यताओं के अधीन हो जाएंगे? "मशीनों की व्यवस्था जीवन को निगल रही है... क्या इस व्यवस्था में जीवन अपने जीवित चरित्र को बनाए रख सकता है?" यह एक ऐसा प्रश्न है जो विशेष रूप से इस स्थान पर पूछना उचित है, जो सूचना प्रौद्योगिकी और बायोनिक विज्ञान में अनुसंधान का केंद्र है। सच कहें तो, गार्डिनी ने जो कुछ देखा वह आज हमें स्पष्ट प्रतीत होता है। हमें पारिस्थितिक संकट के बारे में सोचने की जरूरत है, जिसमें प्रकृति हमारे हाथों अपने शोषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है। यह व्यक्ति के लाभ और सत्ता के लालच का परिणाम है जो सामाजिक समस्या बन चुकी है। “कितने लोग सोशल मीडिया से घिरे होने के बावजूद खुद को समाज से दूर रखते और कई बार अकेले रह जाते हैं” तथा अपने आंतरिक खालीपन को तकनीकी से भरने की कोशिश करते हैं। उन्मत्त गति से जीते हुए, वे एक क्रूर पूंजीवाद के शिकार, एक ऐसे समाज में अपनी दुर्बलता के प्रति सचेत हैं जहां बाहरी गति आंतरिक नाजुकता के साथ-साथ चलती है। संत पापा ने कहा कि मैं इसका जिक्र निराशा उत्पन्न करने के लिए नहीं कर रहा हूँ बल्कि घमंड और शक्ति के अभिमान पर चिंतन करने के लिए कर रहा हूँ। जो तकनीकी प्रतिमान को बढ़ाता और हमारी मानव पारिस्थितिकी को अस्थिर करता है।

 विनम्रता

संत पापा ने कहा, मैं मानता हूँ कि मैंने एक उदास परिदृश्य को प्रस्तुत किया है, लेकिन इस पृष्ठभूमि के विपरीत ही हम समाज के जीवन में विशेषज्ञों और संस्कृति द्वारा निभाई गई विशिष्ट महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना कर सकते हैं। विश्वविद्यालय एक ऐसा स्थान है जहाँ विचार उत्पन्न होते और खुले एवं सामंजस्य रूप में विकसित होते हैं। यह एक मंदिर है जहाँ ज्ञान को "जमा करने और रखने" की बाधाओं को दूर किया जा सकता है। इस प्रकार, समाज, इतिहास और सृष्टि के साथ हमारी मानवता एवं इसके साथ आधारभूत संबंध मजबूत किये जा सकते हैं।

विज्ञान की सहायता से हम न केवल समझने बल्कि सही कार्य करने की कोशिश करते हैं जिसका अर्थ है मानवीय एवं एकात्मक सभ्यता, एक स्थायी संस्कृति और पर्यावरण का निर्माण करना। क्योंकि विनम्र हृदय से हम न केवल प्रभु के पर्वत पर चढ़ सकते हैं परन्तु विज्ञान की ऊंचाइयों को भी नाप सकते हैं।

सच्चाई यह है कि महानतम बुद्धिजीवी विनम्र होता है। जीवन का रहस्य, आखिरकार, उन लोगों के लिए खुल जाता है, जो छोटी-छोटी बातों से सरोकार रखते हैं। जब हम छोटी चीजों में तल्लीन होते हैं तब हम अपने को ईश्वर के कार्यों में संलग्न पाते हैं। और इस तरह हम एक विनम्र विद्यार्थी की तरह खुले और संपर्क करनेवाले होना अपना कर्तव्य समझते हैं। सच्चा संस्कृति प्रेमी वास्तव में कभी भी पूरी तरह संतुष्ट महसूस नहीं करता, वह हमेशा आंतरिक बेचैनी महसूस करता है। वह अपनी निश्चितताओं से आगे बढ़ने में सक्षम होता और विनम्रता के साथ जीवन के रहस्य में डूब जाता है। वह अपनी निश्चितता में आगे बढ़ सकता है और जीवन के रहस्य में दीनता से गोता लगाता है। दूसरों के प्रति खुलापन के द्वारा ही हम अपने को अधिक अच्छी तरह जान सकते हैं।

संस्कृति हमें आत्म ज्ञान के रास्ते पर साथ देती है। ज्ञान, जो हमारी विनम्रता से शुरू होता, हमें अपनी अद्भुत क्षमता की खोज करने की ओर ले जाता है, जो प्रौद्योगिकी से बहुत आगे निकल जाता है।

हंगरी में संत पापा फ्राँसिस
हंगरी में संत पापा फ्राँसिस

सत्य स्वतंत्र करता है

संत पापा ने कहा कि सच्चाई स्वतंत्र करती है। येसु ने कहा, “सत्य तुम्हें स्वतंत्र कर देगा।“ (यो. 8.32) उन्होंने कहा कि सहभागितावाद अब उपभोगतावाद बन गया है। सहभागिता जो स्वतंत्रता प्रदान करती है वह सीमित, बाधित और किसी के द्वारा निर्धारित है। उपभोक्तावाद एक सुखवादी, अनुरूपतावादी, उदार "स्वतंत्रता" का वादा करता है जो लोगों को उपभोग और भौतिक वस्तुओं के लिए गुलाम बनाता है। जबकि येसु हमें एक रास्ता प्रदान करते हैं। वे बतलाते हैं कि सत्य हमें आसक्ति एवं संकीर्णता से मुक्त करता है। इस सत्य तक पहुँचने की कुंजी ज्ञान है जो प्रेम से कभी अलग नहीं होता,  यह एक ऐसा ज्ञान है जो संबंधपरक, विनम्र और खुला है, ठोस और सामुदायिक, साहसी और रचनात्मक है। इसी को विकसित करने और विश्वास को पोषित करने के लिए विश्वविद्यालय का आह्वान किया जाता है।

संत पापा ने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय और हर विश्वविद्यालय सार्वभौमिकता और स्वतंत्रता का प्रकाश स्तम्भ, मानवतावाद का एक फलदायक उपासना और आशा का प्रयोगशाला बनेगा।

हंगरी में संत पापा फ्राँसिस
हंगरी में संत पापा फ्राँसिस

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30 April 2023, 17:34