वाटिकन दंड विधान और न्यायपालिका प्रणाली में संशोधन
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, गुरुवार, 13 अप्रैल 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): मोतू प्रोप्रियो अर्थात् स्वप्रेरणा से जारी एक नए प्रेरितिक पत्र की प्रकाशना कर, बुधवार को सन्त पापा फ्रांसिस ने न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और न्याय प्रवर्तक कार्यालय के कार्यों को स्पष्ट करने के प्रावधानों सहित न्याय प्रणाली को और अधिक कुशल बनाने के लिए वाटिकन सिटी और राज्य के दंड कानून और न्यायपालिका प्रणाली को संशोधित कर दिया है।
वाटिकन "न्याय प्रशासन क्षेत्र में विगत कुछ वर्षों में उभरी जरूरतों" के आलोक में, सन्त पापा फ्रांसिस ने वाटिकन सिटी राज्य के दंड विधान और न्यायपालिका प्रणाली में कुछेक बदलाव किए हैं, जो 13 अप्रैल 2023 से प्रभावी होंगे।
परिवर्तनों का उद्देश्य
इन परिवर्तनों को सन्त पापा ने "आगे समायोजन" के रूप में संदर्भित किया है जो हाल के वर्षों में उभरे मुद्दों को संबोधित करने के लिए आवश्यक हैं तथा न्यायपालिका के "बढ़ते कार्यभार" हेतु प्रक्रियात्मक क्षेत्र में "त्वरित और न्यायपूर्ण" प्रतिक्रिया की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। इन मुद्दों में, विशेष रूप से, 2021 में आरम्भ परमधर्मपीठ के कथित धन कुप्रबंधन पर "वाटिकन परीक्षण" शामिल है। परिवर्तनों का उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना और वाटिकन न्यायपालिका की दक्षता में सुधार करना है, जिनमें अन्य मुद्दों के साथ-साथ, न्याय प्रवर्तक के कार्यालय की जांच और अभियोजन शक्तियों की एक स्पष्ट परिभाषा शामिल है। इसके अतिरिक्त, यदि तीन दण्डाधिकारियों के समूह से कोई सदस्य पद त्यागता है तो न्यायाधीशों के कॉलेज में स्थानापन्न जोड़ने की संभावना की भी परिकल्पना है। एक पूर्णकालिक न्यायाधीश की उपस्थिति की आवश्यकता में सन्त पापा एक नये दण्डाधाकरी की नियुक्ति कर सकते हैं।
न्याय प्रवर्तक के कार्य
मोतू प्रोप्रियो नये प्रेरितिक पत्र में न्याय प्रवर्तकों को स्मरण दिलाया गया है कि “वाटिकन सिटी और राज्य में न्यायिक शक्ति का प्रयोग, कलीसिया के परमाध्यक्ष के नाम पर, न्यायालय द्वारा न्यायिक कार्यों के लिए, अपील न्यायालय द्वारा न्याय प्रवर्तक के कार्यालय द्वारा खोजी और अभियोजन संबंधी कार्यों के लिए किया जाता है।"
एक अन्य प्रावधान में कहा गया है कि "मजिस्ट्रेट सुप्रीम पोंटिफ यानि कलीसिया के परमाध्यक्ष द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और उनके कार्यों के अभ्यास में वे भी कानून के अधीन होते हैं"। साथ ही "कानून द्वारा स्थापित क्षमताओं के आधार पर और सीमाओं के भीतर निष्पक्ष रूप से अपनी शक्तियों के प्रयोग की उनसे अपेक्षा की जाती है।"
इसके अलावा, न्याय के प्रवर्तक के संबंध में, नया प्रेरितिक पत्र यह स्थापित करता है कि जब वे मानते हैं कि "न्यायिक क्षमा प्रदान करने की शर्तें पूरी हो गई हैं", या यह कि "अपराध" पर विचार किया जा सकता है, तो वे न्यायालय में "गैर-अनुरोध" प्रस्तुत कर सकते हैं। ऐसा व्यक्ति के आचरण के कारण, प्रतिवादी के व्यक्तित्व, आहत व्यक्ति को होने वाली क्षति या होने वाले खतरे अथवा प्रतिवादी के किसी भी कार्य के आलोक में हो सकता है।
अन्य संशोधन अनुच्छेद 6 एवं अनुच्छेद 10 में किये गये हैं। अनुच्छ्द 06 के अनुसार न्यायालय के अध्यक्ष द्वारा नामित तीन मजिस्ट्रेटों का पैनल तथा अनुच्छेद 10 के अनुसार 75 वर्ष की उम्र समाप्त होने पर न्यायधीशों की सेवानिवृत्ति, जिसे परमाध्यक्ष आगे बढ़ा सकते हैं।
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