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संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में  (ANSA)

संत पापाः मठवासी सुसमाचार के धकड़ते हृदय हैं

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की अपनी धर्मशिक्षा माला में मठवासी जीवन की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्हें वैश्विक प्रेम को धारण करने वालों की संज्ञा दी।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजागर के प्रांगण में जमा हुए सभ विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

आइए हम प्रेरितिक उत्साह के साक्ष्यों पर अपनी धर्मशिक्षा माला को जारी रखें। हमने इसकी शुरूआत संत पौलुस से की, और विगत बार हमने शहीदों के बारे में चर्चा की, जिन्होंने अपने जीवन में मरते दम तक येसु और सुसमाचार को घोषित किया। लेकिन विश्वास के इतिहास में हम एक दूसरे बृहृद साक्ष्य को मठवासी धर्मबहनों और बंधुओं के रुप में पाते हैं जिन्होंने अपने जीवन और संसार का परित्याग किया जिससे वे येसु ख्रीस्त की दरिद्रता, शुद्धता और आज्ञाकारिता का अनुसार करते हुए हमारे लिए प्रार्थना कर सकें। उनका जीवन खुद इसके बारे में हमें कहता है, लेकिन हम यह पूछेंगे, कि कैसे मठवासियों का जीवन सुसमाचार की घोषणा में सहायक सिद्ध होता हैॽ क्या वे अपनी शक्ति को प्रेरिताई में बेहतर तरीके से उपयोग नहीं कर सकते थेॽ क्या वे मठवासी जीवन से बाहर निकलते और सुसमाचार की घोषणा करते हेतु बाहर जाते हैंॽ

सुसमाचार के हृदय

वास्तव में, मठवासीगण सुसमाचार की घोषणा के धड़कते हृदय हैं, उनकी प्रार्थना ख्रीस्त के शरीर के अंगों के लिए ऑक्सीजन की भांति है, यह वह अदृश्य शक्ति है जो प्रेरिताई को बनाये रखती है। इसमें कोई संयोग की बात नहीं कि प्रेरिताई की संरक्षिका एक धर्मबहन, बालक येसु की संत तेरेसा हैं। हम अपने को इस बात से अवगत करायें कि उन्होंने अपने बुलाहट के बारे में क्या पाया, “मैंने समझा की कलीसिया का एक हृदय है और यह हृदय अपने में प्रेम से प्रज्वलित है। मैंने यह समझा कि यह प्रेम है जो कलीसिया के सदस्यों को कार्य हेतु प्रेरित करता है, कभी यह प्रेम की इति जाये, तो प्रेरितगण सुसमाचार का प्रचार करने में सक्षम नहीं होते और शहीदों ने अपना खून नहीं बहाया होता। मैंने समझा कि प्रेम सभी बुलाहटों को अपने में समाहित करता है....तब, अपनी खुशी की चरमसीमा में मैंने यह घोषित किया, हे येसु, मेरे प्रेमी... मेरी बुलाहट, अंतत मैंने तुझे पाया है... बुलाहट मेरा प्रेम है।...कलीसिया के हृदय में, मेरी माता, मैं प्रेम करूंगी।”  मठवासी, धर्मबहनें-धर्मबंधु, वे लोग हैं जो पूरी कलीसिया के लिए गुप्त रूप में प्रार्थना और कार्य करते हैं। और यह प्रेम को प्रकट करता है, हमारा प्रेम कलीसिया के कार्यों हेतु लिए हमारी प्रार्थना में व्यक्त होती है, जिसे मठवासी करते हैं।

आचार्य ग्रेगोरी

सभों के लिए यह प्रेम मठवासी धर्मबधुओं और बहनों के जीवन को प्रेरित करता है जिसके फलस्वरुप वे हमारे लिए निवेदन प्रार्थनाएं करते हैं। इस संदर्भ में संत पापा ने पुनः कलीसिया के आचार्य नारेक के संत ग्रेगोरी का उदाहरण प्रस्तुत किया। वे एक अर्मेनिया मठवासी थे जिन्हें आज से एक हजार साल पहले अपनी प्रार्थनाओं की एक पुस्तिका लिखी। यह अर्मेनिया के प्रथम ख्रीस्तीय विश्वासियों के विश्वास को व्यक्त करता है, जिन्हें अपने पूरे इतिहास में विश्वास के कारण बहुत कष्ट उठाना पड़ा। संत ग्रेगोरी ने अपने सम्पूर्ण जीवन को नारेक के मठ में व्यतीत किया। वहाँ उन्होंने मानव आत्मा की गहराई में झांकना सीखा। उन्होंने कविता और प्रार्थना को एक साथ संलग्न करते हुए, अर्मेनियाई साहित्य और आध्यात्मिकता दोनों को एक ऊंचाई प्रदान की। उनके बारे में मुख्य बात यह है कि उन्होंने सार्वभौमिक एकता को परिभाषित किया।

हम मठवासी धर्मबंधुओं और बहनों में वैश्विक एकता को पाते हैं- जो कुछ भी चीजें इस दुनिया में होती हैं हम उन्हें मठवासियों के हृदय में पाते हैं, वे सबके लिए प्रार्थना और अनुनय विनय करते हैं। मठवासी धर्मबंधुओं और धर्मबहनों का हृदय एक एंटीना की तरह होता है जिसके द्वारा वे दुनिया में हो रही घटनाओं के लिए प्रार्थना और याचना करते हैं। और इस तरह वे ईश्वर के संग और हर एक जन के संग एकता में बने रहते हैं। उनमें से एक कहते हैं, “मैंने आदि पिता से लेकर आखरी वंशजों के सारे दोषों को स्वेच्छा से अपने ऊपर ले लिया है, जैसे कि येसु ख्रीस्त ने किया। उन्होंने दुनिया की सारी तकलीफों, कठिनाइयों, बीमारियों और बहुत सारी चीजों को अपने ऊपर ले लिया और उनके लिए प्रार्थना की।

सुसमाचार प्रचारक

वे सभी हमारे लिए महान सुसमाचार प्रचार हैं। लेकिन वे क्यों अपने को बंद रखते और सुसमाचार का प्रचार करते हैंॽ क्योंकि मठें अपने कार्य, उदाहरण, निवेदन प्रार्थना और दैनिक कार्यों में सेतु बनते हैं। वे लोगों के पापों के लिए, अपने पापों के लिए आँसू बहाते हैं। वे दुनिया के पापों के लिए रोते और अपने हाथों और हृदयों को उठा कर प्रार्थना करते हैं। हम इसके बारे में थोड़ा विचार करें, वे कलीसिया की सच्ची शक्ति हैं, वह शक्ति जो ईश प्रजा को आगे लेकर चलती है और यहाँ हम इस बात को देखते हैं कि जब समर्पित जीवन के लोगों से कोई मिलता तो वे उनसे प्रार्थना की मांग करते हैं,“मेरे लिए प्रार्थना कीजिगा” ऐसा इसलिए क्योंकि हम जानते हैं कि एक विचवई प्रार्थना है। संत पापा ने कहा कि मठों की भेंट करना हमारे लिए अच्छा होगा क्योंकि हम वहाँ के निवासियों को प्रार्थना और कार्य संलग्न पाते हैं। हर किसी का अपना एक सिद्धांत है लेकिन उनके हाथ सदैव व्यस्त रहते हैं, वे प्रार्थना और कार्य में लीन रहते हैं। ईश्वर हमें नये मठ प्रदान करें, नये मठवासी जो अपनी निवेदन प्रार्थनाओं से कलीसिया को आगे ले चलते हैं। 

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26 April 2023, 15:14