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खजूर रविवार ख्रीस्तयाग : येसु हमारे पत्थर हृदय को कोमल बना देेंगे

खजूर रविवार को ख्रीस्तयाग में संत पापा फ्राँसिस ने येसु का ईश्वर पर विश्वास पर चिंतन किया, जहाँ वे दुःख की घड़ी में अपने आपको उन्हीं के लिए समर्पित कर देते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि ईश्वर उन्हें बचा लेंगे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटकिन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 2 अप्रैल 23 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 2 अप्रैल को खजूर रविवार के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया जहाँ करीब 60 हजार विश्वासियों ने भाग लिया। जेमेली अस्पताल से लौटने के बाद संत पापा का यह पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था। ख्रीस्तयाग के अंत में संत पापा ने देवदुत प्रार्थना का पाठ किया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, “मेरे ईश्वर, मेरे ईश्वर, तूने मुझे क्यों त्याग दिया?” (मती. 27:46) यह एक पुकार है जिसको आज की धर्मविधि के भजन अनुवाक्य में हमने बार-बार दुहराया है। (स्तोत्र 22:2) इस पुकार को येसु ने क्रूस पर से कहा है जैसा कि हमने सुसमाचार में सुना। ये शब्द हमें ख्रीस्त के दुखभोग के केंद्र में लाते हैं, हमारे उद्धार के लिए उन्होंने जो कष्ट सहे उसकी पराकाष्ठा में।

पीड़ित येसु

येसु की अनेक पीड़ाएँ थीं और जब कभी हम दुःखभोग वृतांत को सुनते हैं तो वे हमारे हृदय को छेदते हैं। शरीर की पीड़ाएँ : थप्पड़ और मार-पीट, कोड़े मारना और काँटों का मुकुट पहनाना, और अंत में, क्रूरतापूर्वक सूली पर चढ़ाना।

आत्मा की पीड़ाएँ : यूदस का विश्वासघात, पेत्रुस का अस्वीकार, धार्मिक और नागरिक अधिकारियों से दण्ड, पहरेदारों का अपमान, भीड़ का परित्याग, शिष्यों की दुर्बलता एवं भागना। फिर भी इन सभी दुखों के बीच येसु हमें याद दिलाते हैं : पिता के सामीप्य का। लेकिन इस समय एक अकल्पनीय बात हुई। मरने से पहले वे पुकार कर कहते हैं : मेरे ईश्वर, मेरे ईश्वर. तूने मुझे क्यों त्याग दिया?” येसु का परित्यक्त होना।

संत पापा ने कहा, “सभी कष्टों में सबसे अधिक कष्टदायक है, आत्मा की पीड़ा। इस दुखद समय में, येसु अपने पिता से परित्यक्त महसूस करते हैं। इससे पहले उन्होंने पिता को कभी “ईश्वर” नहीं पुकारा था। इसके प्रभाव को बतलाने के लिए सुसमाचार भी अरामाईक में उनके ही शब्दों को प्रस्तुत करता है।

येसु के सिर्फ ये ही शब्द हैं जो क्रूस से मूल भाषा में बोले गये थे। वास्तविक घटना अपमान की चरम सीमा को दिखाता है, अर्थात् अपने पिता से, अपने ईश्वर से परित्यक्त महसूस करते हैं। येसु हमारे लिए दुख सहने आते हैं और हम इसे समझ नहीं सकते कि उन्होंने हमारे प्रेम के लिए इतनी अधिक पीड़ा स्वीकार की। वे स्वर्ग के द्वार को बंद देखते हैं, खुद को कड़वे किनारे पाते, जीवन के जहाज की तबाही में, अनिश्चितता के पतनावस्था में। और वे पुकार कर कहते हैं : क्यों? इस “क्यों” में कभी भी बोले गये अन्य सभी के “क्यों” सम्माहित हैं।  

“मेरे ईश्वर, मेरे ईश्वर, तूने मुझे क्यों त्याग दिया?” बाईबल में “त्याग” शब्द प्रभावशाली है। हम इसे अत्यधिक दुःख के समय महसूस करते हैं, उस समय जब प्रेम असफल हो जाता है या अस्वीकार किया जाता अथवा विश्वासघात किया जाता है; बच्चे जिनको अस्वीकार किया जाता और गर्भपात कर दिया जाता है; बहुत सी विधवाओं और अनाथों के लिए परित्याग की स्थिति; टूटे विवाह, सामाजिक बहिष्कार की स्थिति, अन्याय और शोषण, बीमार व्यक्ति का अकेला होना। एक शब्द में, बंधनों के भारी विच्छेद में जो हमें दूसरों से जोड़ता है। ख्रीस्त ने हम सभी को क्रूस पर लिया, अपने कंधे पर ढोया, संसार के पापों को ढोया।  

सब कुछ हमारे लिए

और इस समय की पराकाष्ठा में येसु, पिता का एकलौटा बेटा एक ऐसी स्थिति का अनुभव किया जो उसके अस्तित्व से पूरी तरह से अलग है: ईश्वर की दूरी।

लेकिन वे क्यों इतनी दूर चले आये। हमारे लिए, कोई दूसरा उत्तर नहीं हैं। भाईयो एवं बहनो, “हमारे लिए आज यह कोई प्रदर्शनी नहीं है। हम हरेक जन येसु के परित्यक्त होने को महसूस करते हैं, हम हरेक जन कहें, यह मेरे लिए है”। यह परित्याग उसकी कीमत है जिसको उन्होंने हमारे लिए चुकाया है। उन्होंने हर तरह से हमारे साथ रहने के लिए, चरम बिंदु तक हम प्रत्येक की सहायता की है। उसने परित्याग का अनुभव किया ताकि हमें एकाकी के बंधक में न छोड़ें और हमेशा के लिए हमारे साथ रहें। उन्होंने इसे मेरे लिए और आपके लिए किया, क्योंकि जब मैं, आप और दूसरे कोई भी खुद को पीछे मुड़कर देखता है तो अपने खतरनाक अंत, परित्याग के गहरे गर्त में, कई अनुत्तरित "क्यों" के भंवर में फंसा हुआ पाता है, फिर भी उम्मीद है।” यह अंत नहीं है क्योंकि येसु वहाँ हैं और वे अब हमारे साथ हैं। उन्होंने भी त्याग की दूरी महसूस की है ताकि हम सभी की दूरी को अपने प्रेम में समेट लें। अतः हम प्रत्येक कह सकते हैं : मेरे गिरने, मेरे एकाकीपन में, जब में विश्वासघात महसूस करता हूँ अथवा दूसरों के साथ धोखा करता हूँ, जब बहिष्कृत महसूस करता या दूसरों का तिरस्कार करता हूँ, जब मैं परित्यक्त महसूस करता अथवा दूसरों को छोड़ देता हूँ, सोचता हूँ कि उन्होंने हमें छोड़ दिया है, धोखा दिया है, तिरस्कार किया है, तभी हम उन्हें पाते हैं।  

जब मैं गलत और खोया हुआ महसूस करता हूँ, जब मैं इसे और नहीं सह सकता, तो वे मेरे साथ होते; मेरे कई अनुत्तरित “क्यों” में, वे वहाँ होते हैं।

इस तरह प्रभु हमारे “क्यों” से हमें बचाते हैं। वे वहीं से आशा को खोल देते हैं जो कभी निराश नहीं करता। क्रूस पर जब वे बिलकुल परित्यक्त महसूस करते हैं वे निराश नहीं हो जाते, लेकिन वे प्रार्थना करते हैं और अपने आपको पिता को समर्पित करते हैं। और स्तोत्र के शब्दों में पुकार कर कहते हैं, क्यों। यह उनका खुद को पिता के हाथों में डालना है, भले ही वे उनसे छोड़ दिये गये महसूस करते हों। परित्याग में वे भरोसा करते हैं, उन लोगों को प्यार करना जारी रखते हैं जिन्होंने उन्हें अकेला छोड़ दिया। इस परित्याग में वे क्रूस पर चढ़ानेवालों को क्षमा कर देते हैं। यहीं हमारी बुराई का गर्त है जो उससे बड़े प्रेम में डूबा है ताकि हमारा हर विच्छेद सहभागिता में बदल जाए।

येसु का प्रेम

संत पापा ने कहा, “प्यारे भाइयो एवं बहनो, इस तरह का प्यार, हम सभी के लिए, अंत तक, येसु का प्रेम हमारे पत्थर दिल को कोमल दिल में बदलने में सक्षम है। यह सहानुभूति, कोमलता और दयालुता का प्रेम है। ईश्वर का तरीका है सामीप्य, सहानुभूति और कोमलता। ईश्वर का तरीका यही है। ख्रीस्त का परित्यक्त होना हमें उन्हें खोजने और प्रचुरता से प्यार करने में मदद करता है। क्योंकि उनमें न केवल जरूरतमंद लोग हैं बल्कि परित्यक्त येसु भी हैं जिन्होंने हमारे मानव परिस्थिति की गहराई में उतरने तक हमें प्यार किया। वे उन लोगों के साथ हैं जो मरने के लिए छोड़ दिये जाते हैं ...संत पापा ने हमारे आसपास परित्यक्त लोगों की याद दिलायी, खासकर, उन्होंने उस जर्मन व्यक्ति की याद की जो 2022 में वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में मृत पाया गया था। वह अकेला एवं परित्यक्त था। उन्होंने कहा, “वह हम सबों के लिए येसु था। कई लोगों को हमारे सामीप्य की जरूरत है। मैं भी चाहता हूँ कि येसु स्नेह से मेरी देखभाल करें, मेरे निकट आयें, इसके लिए परित्यक्त, एकाकी लोगों में उन्हें खोजने जाता हूँ। वे चाहते हैं कि हम अपने भाई बहनों की देखभाल करें, जो उनके समान हैं, जो बहुत अधिक दर्द एवं एकाकीपन झेल रहे हैं।”

संत पापा ने कहा, “प्यारे भाइयो एवं बहनो, आज कई परित्यक्त ख्रीस्त हैं। ऐसे लोग भी हैं जो शोषित हैं और अपनी ही स्थिति में छोड़ दिये गये हैं। आइये, आज हम उस कृपा के लिए याचना करें कि हम येसु को प्रचुरता से प्यार कर सकें और उन्हें हमारे आसपास के परित्यक्त लोगों में प्यार कर सकें। तभी केवल हम उनके साथ एक मन और एक दिल के हो पायेंगे, जिन्होंने हमारे लिए ‘अपने आपको पूरी तरह खाली कर दिया।”

 

 

 

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02 April 2023, 15:59