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वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल परोलिन वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल परोलिन  

कार्डिनल परोलिन : हंगरी में पोप शांति, स्वागत और मुलाकात के तीर्थयात्री

बुडापेस्ट में संत पापा फ्राँसिस की तीन दिवसीय यात्रा भाईचारापूर्ण यूरोपीय समाज के निमार्ण के लिए प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाले बिना नहीं रहेगा, जो युद्ध से घायल है और जैसा कि वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल परोलिन ने कहा है यह “द्वितीय विश्वयुद्ध के समय से ही सबसे बड़े शरणार्थी संकट का सामना कर रहा है।”

मस्सीमिलियानो मनीकेती

हंगरी में संत पापा की प्रेरितिक यात्रा की तैयारी अपने अंतिम चरण पर है, जिसको वे 28 अप्रैल से बुडापेस्ट में शुरू करेंगे। इस प्रेरितिक यात्रा के द्वारा विश्वासी संत पापा फ्राँसिस से दूसरी बार “डेन्यूब की मोती” में मुलाकात करेंगे। वास्तव में, पहली मुलाकात 2021 में अंतर्राष्ट्रीय यूखारिस्तिक कांग्रेस के अवसर पर हुई थी। देश में दूसरे पोप प्रेरितिक यात्रा करनेवाले हैं। पहले संत पापा के रूप में पोप जॉन पौल द्वितीय ने 1991 और 1996 में यात्रा की थी। तीनों दिन के कार्यक्रम बुडापेस्ट में सम्पन्न होंगे। पेत्रुस के उत्तराधिकारी के साथ मुलाकात से लोगों को बड़ी उम्मीद है, जो विश्वास को सुदृढ़ करने के लिए आ रहे हैं। लोगों की आशा है कि संत पापा परिवार और आतिथ्य विषय पर संदेश देंगे।

वाटिकन मीडिया से बातें करते हुए वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल परोलिन ने कहा, "हम द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे बड़े शरणार्थी संकट का सामना कर रहे हैं"। उन्होंने हंगरी के सजीव विश्वास को रेखांकित किया तथा साम्यवाद के खतरे पर प्रकाश डाला, जो याजकों एवं युवाओं के लिए एक नयी चुनौती है जो स्पष्ट रूप से भौतिकतावाद एवं उपभोकतावाद से कम हानिकारक नहीं है।”

कार्डिनल परोलिन यह हंगरी में संत पापा फ्राँसिस की 41वीं प्रेरितिक यात्रा है, जो अपने विश्वास में दृढ़ है और जिसने कम्यूनिस्टों की निरंकुशता झेली है। इस यात्रा का विचार कहाँ से आया?

मैं कहूँगा कि यह यात्रा कुछ हद तक एक वादे की सुखद पूर्णता है। जैसा कि हम जानते हैं, संत पापा वास्तव में डेढ़ साल पहले, सितंबर 2021 में अंतर्राष्ट्रीय यूखरिस्त कांग्रेस के समापन के लिए बुडापेस्ट गए थे और उस समय पवित्र मिस्सा के अलावा कुछ मुलाकातें भी हुई थीं: अधिकारियों, धर्माध्यक्षों और अंत में अन्य ख्रीस्तीय समुदायों और यहूदी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ। अब, इस प्रेरितिक यात्रा के साथ, जो वे करने जा रहे हैं, संत पापा सबसे पहले बुडापेस्ट की अपनी पिछली यात्रा को जारी रखने और पूर्णता देने का इरादा रखते हैं, और इसलिए यात्रा का अधिकांश समय हंगरी के लोगों के विभिन्न सदस्यों और विभिन्न दलों के साथ मुलाकातों के लिए समर्पित होगा।

सार्वजनिक मुलाकातें अधिकारियों, पुरोहित, उपयाजक, धर्मसमाजियों, प्रचारकों, हाशिए पर जीवनयापन करनेवाले लोगों के काथ निर्धारित हैं - हम पड़ोसी देश यूक्रेन से शरणार्थियों – युवाओं से भी मिलने के बारे सोच रहे हैं - क्योंकि  हम विश्व युवा दिवस के लगभग पूर्व संध्या में होंगे, इस बार उनकी यात्रा यूरोपीय महाद्वीप में हो रहा है उसके बाद अगस्त में, लिस्बन में - और फिर संस्कृति की दुनिया में आयोजित किया जाएगा।

यात्रा राजधानी बुडापेस्ट में केंद्रित है, कोई अन्य पड़ाव नहीं होगा। यह तरीका क्यों चुना गया?

यह सबसे पहले इसे इसलिए चुना गया क्योंकि राजधानी में बड़ी मुलाकातें संभव हैं। यात्रा को कम किया गया है और बुडापेस्ट में देश की विभिन्न वास्तविकताओं को एक साथ लाना है, एक शहर जो अन्य चीजों के साथ इस वर्ष एक महत्वपूर्ण वर्षगांठ मना रहा है, जो इस साल इसकी स्थापना की 150वीं वर्षगांठ मनायी जा रही है।

संत पापा यूरोप के केंद्र में होंगे जो युद्ध से घायल है। हंगरी यूक्रेन की सीमा पर है। पोप की उपस्थिति का क्या मायने है?

इस यात्रा को कुछ पहले से ही सोचा गया था इसलिए वर्तमान की परिस्थिति इसकी मुख्य प्रेरणा नहीं होगी, लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, यह त्रासदी जो लगातार बढ़ रही है, संत पापा के दिल के बहुत करीब है और मुझे यकीन है कि इस यात्रा में शांति को बढ़ावा देने के लिए उत्पन्न होनेवाले किसी भी अवसर की अनदेखी नहीं की जाएगी।

इसलिए, संत पापा का यह विशेष ध्यान, हंगरी में शांति को बढ़ावा देने के लिए उनकी उपस्थिति के रूप में अधिक महत्वपूर्ण होगी।

हंगरी परिवार का समर्थन करने के लिए बहुत प्रतिबद्ध है और पोप के दिल में हमेशा युवा और दादा-दादी हैं। क्या पेत्रुस के उत्तराधिकारी के साथ यह मुलाकात पीढ़ियों और राष्ट्रों के बीच पुलों के निर्माण की ओर ले जाएगी?

निश्चित रूप से इसका यह परिणाम होगा। हमें याद है कि पोप ने दो साल पहले, 2021 में विश्व दादा-दादी और बुजूर्ग दिवस की स्थापना करने का फैसला किया था, जो हर साल जुलाई के चौथे रविवार को होता है और इस साल 23 जुलाई को होगा। और हंगरी के संदर्भ में यह विषय और भी अधिक प्रासंगिक है यदि हम यह मानते हैं कि मैडम राष्ट्रपति - जिन्होंने 2020 से 2021 तक परिवार मंत्री की भूमिका भी निभाई - परिवार पर पूरा ध्यान देती हैं; हम इसे तब भी देख पाए जब वे यहां संत पापा के दर्शन के लिए आए थे और हम उनसे राज्य सचिवालय में मिले थे। हर कंपनी का सबसे छोटा लेकिन सबसे महत्वपूर्ण घटक तत्व पर भी ध्यान देना है। मुझे ऐसा लगता है कि परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है, इसी तरह मान लीजिए कि इसका परिवारों के व्यापक दायरे पर प्रभाव पड़ता है। और इसलिए, परिवार से शुरू करके, अधिक शांतिपूर्ण समाज बनाने का भी प्रयास किया जा सकता है। इसलिए हम आशा करते हैं कि इस अंतर-पीढ़ीगत पारिवारिक सेतु के आधार पर राष्ट्रों के बीच शांति का सेतु भी बनाया जा सकता है।

हंगरी बाल्कन मार्ग के आप्रवासी प्रवाह और मास्को एवं कीव के बीच युद्ध से भागनेवालों के केंद्र में है। जैसा कि आपने पहले उल्लेख किया है हंगरी के संत एलिजाबेथ गिरजाघर में गरीबों और शरणार्थियों के साथ एक मुलाकात होगी। क्या संत पापा की यात्रा और भी अधिक पहचानने के लिए प्रोत्साहित करेगी और इसलिए जरूरतमंदों की मदद करेगी?

हम यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़े शरणार्थी संकट में जी रहे हैं: 8 मिलियन से अधिक यूक्रेनी शरणार्थी यूरोपीय संघ में प्रवेश कर चुके हैं। और हंगरी, इस स्थिति में यूक्रेन में युद्ध से भाग रहे लोगों के लिए अपनी सीमाओं को खुला रखने का वचन दिया है और 4 मिलियन से अधिक लोग सीधे यूक्रेन या रोमानिया से हंगरी से होकर गुजरे हैं। और हालांकि कुछ ही बचे हैं - आंकड़े लगभग 35,000 हैं - स्थानीय काथलिक कलीसिया, मुख्य रूप से कारितास के माध्यम से, लेकिन सरकार की मदद से भी - उनका स्वागत करने और इन शरणार्थियों की देखभाल करने की पूरी कोशिश की है क्योंकि वे यूरोपीय देशों में अभी भी यात्रा कर रहे हैं। और इस काम का एक हिस्सा विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को मानव तस्करी का शिकार होने से रोकना भी था। हालांकि, कलीसिया बाल्कन मार्ग के साथ अनियमित आप्रवासन की स्थिति और कठिन परिस्थितियों के बारे में चिंतित है, उदाहरण के लिए, हंगरी और सर्बिया के बीच की सीमा पर। जबकि सीमा पर बहुत से लोग शरणार्थी नहीं हैं, अधिकांश को सुरक्षा की आवश्यकता है और सभी के साथ उस सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए जिसके वे मनुष्य होने के नाते हकदार हैं। लेकिन हम यह भी बताते हैं, और ऐसा करना सही भी है, कि यह एक ऐसी समस्या है जो अकेले हंगरी से संबंधित नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र के सभी देश, विशेष रूप से यूरोपीय संघ की सीमा से लगे देश, संघर्ष और अत्यधिक गरीबी के कारण मिश्रित प्रवासन के बढ़ते प्रवाह के साथ, इससे निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस अर्थ में, पूरे यूरोप को अपनी सीमाओं के भीतर बेहतर जीवन चाहनेवालों की जिम्मेदारी लेने का एक तरीका खोजना होगा। और इसमें निश्चित रूप से, आप्रवासियों को उनके मूल देशों में शांति और सुरक्षा में रहने में मदद करने के लिए काम करना भी शामिल है, ताकि उन्हें भागने या शांति, सुरक्षा और विदेशों में अच्छे काम की तलाश करने के लिए मजबूर न होना पड़े।

देश में बड़ी उम्मीद है: कलीसिया और सरकार सभी को पोप के साथ मुलाकात में भाग लेने का अवसर देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, यात्रा के स्थानों तक पहुंचने के लिए परिवहन निःशुल्क होगा। तो क्या पूरे देश में एक जीवित विश्वास है?

हंगरी के लोगों का एक जीवंत और प्रशंसनीय विश्वास, संत मार्टिन, संत स्टीफन, संत एलिजाबेथ जैसे सम्मानित कई संतों से विशेष तरीके से जुड़ा हुआ है। लेकिन हाल दिनों में भी अनुकरणीय विश्वास देखे गये हैं: आइए, हम नास्तिक उत्पीड़न की अवधि से जुड़े विभिन्न शहीदों और विश्वास साक्ष्यों के बारे सोचें - हम यहां ईशसेवक कार्डिनल जोजसेफ माइंडस्जेंटी का उल्लेख किये बिना नहीं रह सकते। इसलिए, एक विश्वास, वर्षों तक अत्याचार से दबायी गई कलीसिया में, एक बीज की तरह, फिर अंकुरित हुआ और वर्षों के दमन के बाद फला-फूला। हंगरी एक जीवित आस्था वाला देश है, इसलिए बदली हुई मौजूदा परिस्थिति में इसे आवश्यकता है, बोलने की, इस विश्वास को जीवित रखने की, यह ध्यान देते हुए कि हम अतीत से अलग संदर्भ में रहते हैं, एक ऐसे संदर्भ में जो - जैसा कि पोप ने बार-बार याद किया है – जो न केवल परिवर्तन का युग है, बल्कि युग परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है। और इसलिए नई चुनौतियों का सामना करना है जो पुरोहित वर्ग से संबंधित हैं, जो युवा लोगों से संबंधित हैं: वे विश्वास की चुनौतियाँ हैं, जो साम्यवाद के खतरों पर काबू पाने के बाद अन्य चुनौतियों का सामना कर रही हैं, जो केवल दिखावे के लिए भौतिकवाद और उपभोक्तावाद की तुलना में अधिक हानिरहित है।

माननीय, इस यात्रा से आप क्या उम्मीद करते हैं?

कि पोप उन उद्देश्यों को पूरा कर पायेंगे जिनको उन्होंने हंगरी जाने और अपनी पिछली यात्रा को पूरा करने हेतु प्रस्तावित किया है, इसलिए हमेशा सार्वभौमिक गड़ेरिये का पहलू है जो विश्वास में अपने भाइयों को सुदृढ़ करते, जहां विश्वास में सुदृढ़ करने का अर्थ सांत्वना देना, प्रोत्साहित करना, येसु की घोषणा की सुन्दरता को फिर से शुरू करना भी है। इस तरह यात्रा का आदर्श वाक्य हमें: "ख्रीस्त हमारे भविष्य" की ओर प्रेरित करता है; सुसमाचार के नाम पर आशा और पोप फ्रांसिस के परमधर्मपीठ की प्राथमिकता के इरादे के साथ ले चलता है, जैसा कि उन्होंने प्रेरितिक प्रबोधन इवेंजेली गौडियम में व्यक्त किया, कलीसिया की एक मिशनरी भावना को बढ़ावा देना है, जो येसु के सुसमाचार की सुन्दरता का साक्ष्य देने के लिए बाहर जाती है। और यह यात्रा उन लोगों का आलिंगन करने का भी अवसर होगा, खासकर, उन्हें जो पोप को प्रिय हैं, जिनसे उन्होंने अर्जेंटीना में हंगरी की धर्मबहनों के रूप में मुलाकात की थी। और अंत में, मैं उनके कुछ शब्दों को उद्धृत करता हूं, जिन्हें उन्होंने स्वर्ग की रानी प्रार्थना के बाद रविवार को कहा था: "यह यूरोप के केंद्र की यात्रा भी होगी, जिस पर युद्ध की बर्फीली हवाएं चल रही हैं, जबकि इतने सारे लोगों की आवाजाही तत्काल मानवीय मुद्दों पर ध्यान देने की मांग करते हैं।”

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27 April 2023, 17:18