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संत पापाः पुनर्जीवित प्रभु से प्रथम मिलन की याद करें

संत पापा फ्रांसिस ने संत पेत्रुस के महागिरजाघर में पास्का जागरण के ख्रीस्तीयाग मिस्सा में गलीलिया जाने के अर्थ पर प्रकाश डाला।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, 08 अप्रैल 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन संत पेत्रुस के महागिरजाघर में पास्का जागरण की धर्मविधि की अगुवाई करते हुए अपने प्रवचन में पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त से प्रथम मिलन की याद को ताजा करने का आहृवान किया।  

पास्का का अनुभव

उन्होंने कहा कि रात खत्म होने को है और सुबह की पहली किरण क्षितिज पर प्रकट होने को है, जब नारियाँ येसु के कब्र की ओर निकल पड़ती हैं। वे विस्मित और भयभीत राह में आगे बढ़ते जाती हैं, उनका हृदय दुःख से भरा है क्योंकि मौत ने उनके प्रिय को उनसे दूर कर दिया। वहाँ पहुंच कर कब्र को खाली देख वे मुढ़तीं और उनके पदचिन्हों को खोजने का प्रयास करती हैं। वे कब्र को छोड़ दौड़े हुए शिष्यों के पास जाती और सारी बातों को बतलाती हैं- येसु पुनर्जीवित हुए हैं वे गलीलिया में उनका इंतजार करते हैं। उन नारियों ने अपने जीवन में पास्का, पार होने का अनुभव किया। वे उदासी में कब्र की ओर बढ़े थे  लेकिन खुशी से शिष्यों की ओर दौड़ते आये और यह बतलाया कि येसु जी उठे हैं जो गलीसिया में तुरंत उनसे मिलेंगे। शिष्यों का पुनर्जन्म, उनके हृदयों का पुनरूत्थान गलीलिया से होकर गुजरता है। हम शिष्यों की यात्रा में कब्र से गलीलिया की ओर चलें।

मानव जीवन के विभिन्न कब्र

सुसमाचार हमें नारियों का “कब्र देखने” जाने की बात कहता है। वे वहाँ येसु को पाने की सोचती हैं जहाँ मृत्यु से साथ सारी चीजों का अंत सदा के लिए हो गया। कभी-कभी हम भी सोचते हैं कि येसु से मिलन की खुसी हमारे लिए अतीत से जुड़ी है जबकि वर्तमान हमारे लिए बहुधा बंद कब्र-सा लगता है- निराशा की कब्रें, कटुता और अविश्वास की भावना, कुछ नहीं किया जा सकता, चीजें कभी नहीं बदलेंगी, हम आज के लिए सोचें क्योंकि कल अनिश्चित है। यदि हम दुःख, निराशा के शिकार होते, पापों से दबे रहते का अनुभव करते, असफलता से कटुता या कुछ मुसीबत से विचलित होने का एहसास करते हैं तो हमें चिंता की कड़वाहट और खुशी की अनुपस्थिति की भी अनूभूति होती है।

कई बार, हम अपने दैनिक जीवन से निराश होते, जोखिम लेने से सुस्त पड़ जाते जहाँ हमें केवल चतुर और शक्तिशाली व्यक्ति विकास करते हुए दिखलाई देते हैं। वहीं बहुधा हम बुराई की शक्ति के समाने हताशा और निसहाय अनुभव करते हैं, लड़ाइयों जो हमारे संबंधों को तोड़ देतीं, हिसाब के मनोभाव औऱ समाज की उदासीनता, भ्रष्टता की बीमारी, अन्याय और युद्ध की स्थिति। हम मौत के आमने-सामने आते हैं क्योंकि यह हमसे प्रियजनों को लूट लेती या हम किसी बीमारी के शिकार होते, ऐसी स्थिति हममें सहज ही निराश उत्पन्न करती है जहाँ हम अपनी आशा को सूखता पाते हैं। ऐसी स्थितियों में हमारी राह कब्र के सामने खत्म हो जाती हैं औऱ हम वहाँ रुक जाते हैं, अपने में उदास और निराश, अकेले और शक्तिहीन, यह सवाल करते हैं कि आखिर “क्यों”ॽ  

गलीसिया का अर्थ

संत पापा ने कहा कि नारियाँ कब्र के पास जड़ित खड़ी नहीं रहीं बल्कि वे शीघ्र वहाँ से डरी यद्यपि अत्यधिक खुशी से दौड़ कर शिष्यों को सब हाल सुनती हैं। उनके द्वारा लाया गया समाचार, ख्रीस्त जी उठे हैं, उनके जीवन और इतिहास को सदा के लिए बदल देता है। वे शिष्यों को गलीलिया जाने का संदेश देती हैं क्योंकि वे वहाँ उनका दर्शन करेंगे। गलीलिया जाने का अर्थ क्या हैॽ यहाँ हम दो बातों को पाते हैं पहला अंतिम व्यारी की बंद कोठरी को छोड़कर गैर-यहूदियों की भूमि में जाना, अपने छुपी हुए स्थल से बाहर निकलना औऱ प्रेरिताई हेतु अपने को खोलना, भय को पीछे छोड़ना और भविष्य की ओर आगे बढ़ना। वहीं दूसरी ओर, यह मूलभूत स्थिति की ओर लौटना है क्योंकि गलीलिया में ही सारी चीजों की शुरूआत हुई थी। वहाँ ईश्वर ने अपने प्रथम शिष्यों को चुना। अतः गलीसिया जाने के अर्थ अपनी शुरूआती कृपा की स्थिति में लौटना, अपनी याद को पुनः प्राप्त करना जो आशा उत्पन्न करती है,  “भविष्य की याद” जो हमें पुनर्जीवित येसु में दिया जाता है।

पास्का हमारी प्रेरणा का स्रोत

संत पापा ने कहा कि येसु का पास्का हमें आगे जाने को प्रेरित करता है, हमारी पराजय को पीछे छोड़ने का आहृवान देता, कब्र की पत्थार को हटाने को कहता है जहाँ हम अपनी आशा को कैद पाते हैं। वे हमें विश्वास में भविष्य की ओर देखने को कहते हैं क्योंकि पुनर्जीवित प्रभु ने इतिहास की दिशा को बदल दिया है। यद्यपि ऐसा करने हेतु प्रभु का पास्का हमें अपने अतीत की कृपा में ले चलता है जहाँ ईश्वर के संग हमारी प्रेम कहानी शुरू हुई थी। दूसरे शब्दों में, यह हमें उन क्षणों को पुनः जीने का निमंत्रण देता है जहाँ हमारा मिलन ईश्वर से हुआ था, जिससे हम उनके प्रेम का अनुभव कर सकें और अपने को, हमारे चारों ओर की दुनिया को तथा जीवन के रहस्य को एक नये रुप में देख सकें। पुनः उठने के लिए, नयी शुरूआत करते हुए अपनी यात्रा में आगे बढ़ने हेतु हमें सदैव गलीसिया लौटने की जरुरत है, जहाँ हम अमूर्त येसु से नहीं लेकिन ठोस रुप में एक जीवित येसु से पहली बार मिलने की याद करते हैं। संत पापा इस बात पर जोर देते हुए कहा कि हमें आगे बढ़ने हेतु अपनी यादों की जानने, उसे नवीन करना की जरुरत है। “यदि हम अपने प्रथम प्रेम को खोजते हैं, ईश्वर से मिलन की उस खुशी औऱ आश्चर्य को पाते  तो हम सदैव आगे बढ़ते हैं।”  

गलीलिया, व्यक्तिगत मिलन

संत पापा ने व्यक्तिगत गलीलिया अर्थात व्यक्तिगत रुप में येसु से मिलन, जिसे हम जीवित व्यक्ति के रुप पाते हैं जो दूर नहीं बल्कि हमारे बगल में खड़ा होते हैं जो हमें किसी भी व्यक्ति से अधिक जानते और हमें प्रेम करते हैं। “हम अपने गलीसिया और बुलावे की याद करें।” हम इस बात को याद रखें कि ईश्वर ने हमारे साथ एक विशेष स्थिति में सीधे तौर पर बातें की हैं। हम आत्मा के उस शक्तिशाली अनुभव की याद करें, उसी बड़ी खुशी को जिसे हमने अपने प्रथम पापस्वीकार में अनुभव किया, उस शक्तिशाली और गहरी प्रार्थना के क्षण को, वह ज्योति जिसके द्वारा हमारा अंतरतम प्रज्वल्लित हो उठा और हमारा जीवन बदल गया। हममें से प्रत्येक जन को हमारा आंतरिक पुनरूत्थान स्थल पता है, वह शुरूआती और मूलभूत अनुभव जहाँ सारी चीजें बदल गई। पुनर्जीवित येसु पास्का मनाने हेतु हमें अपने उस मिलन स्थल में लौटने का निमंत्रण देते हैं। संत पापा ने कहा, “आप उस बात पर विचार करें और उस संदर्भ, समय और स्थान को पुनः जीयें। उस मनोभाव औऱ अनुभूति की याद करें, रंगों को देखें और उसका आनंद उठायें।”  क्योंकि यदि हम उस प्रथम प्रेम को भूल जाते, याद करने में असफल होते तो हमारे हृदय में धूल-गर्दे जमा होने लगाते हैं। वहीं से हमारे लिए दुःख शुरू होती, और हम शिष्यों की भांति भविष्य को खाली एक कब्र के रुप में पाते हैं, जहाँ पत्थर हमारी सारी आशाओं को दबा देता है। आज पास्का की शक्ति हमें हर रूपी निराशा पत्थर औऱ अविश्वास को दूर करने का आहृवान देता है। ईश्वर हमारे जीवन के पाप औऱ भय के पत्थर को दूर करने में निपुण हैं। वे हमारी पवित्र याद को जो अति सुन्दर है आलोकित करना चाहते हैं जिससे हम उसके संग अपने प्रथम मिल को जी सकें। हम उनकी ओर लौट आयें औऱ उनके पुनरूत्थान की कृपा को अपने अंदर पुनः खोजने का प्रयास करें।

संत पापा ने कहा कि हम येसु का अनुसारण करते हुए गलीलिया आयें, उनसे मिले औऱ उनकी आराधना करें, जहाँ वे हमारी प्रतीक्षा करते हैं। हम अपनी उन यादों को ताजा करें जब हमने उन्हें जीवित ईश्वर के रुप में अनुभव किया। हममें से हर कोई अपने उस स्थान को लौटे जहाँ हमने उनके साथ प्रथम मुलाकात की थी और इस भांति हम अपने में नये जीवन की शुरूआत करेंगे।

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08 April 2023, 22:46