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कार्डिनल कान्तालामेस्साः ईश्वर की मृत्यु अनंत जीवन का उद्गम

वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में पुण्य शुक्रवार की धर्मविधि में वाटिकन परमधर्मपीठ के आधिकारिक उपदेशक कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा ने लौकिक समाज में ईश्वर की मृत्यु और पुनरूत्थान पर चिंतन किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 07 अप्रैल 2023 (रेई)  कोलोसियुम में पुण्य सप्ताह के क्रूस रास्त की धर्मविधि ने पूर्व संत पापा फ्रांसिस ने मुक्तिदाता प्रभु येसु ख्रीस्त के दुःखभोग की धर्मविधि का अनुष्ठान वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में समपन किया।

"ईश्वर की मृत्यु" 

धर्मविधि के दौरान कार्डिनल रानियेरो कांन्तालामेस्सा ने वैचारिक “ईश्वर की मृत्यु” पर अपना चिंतन केंद्रित किया, जिसे आधुनिक पश्चिमी लौकिक दुनिया एक सदी से अधिक अनुभव कर रही है, और जिसे प्रसिद्ध फ्रेडरिक नीत्शे ने अपनी पुस्तिका “द ज्योपुल सइंस” में “पागल” संबोधित करते हैं।  

"सुपर-मैन" और आधुनिक नास्तिवाद

यह वैचारिक उद्घोषणा ईश्वर को शून्यता में परिणत करना नहीं अपितु उन्हें सुपरमैन की तरह व्यक्त करना है जैसे की जर्मन दर्शनशास्त्री अपने लेख “एक्को होमो” में चरिचार्थ करते हैं। यद्यपि कार्डिलन  कांतालामेस्सा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि यह हमें आधुनिक समय के नास्तिवाद की ओर अग्रसर करता है, “अच्छी और बुराई से परे”, जो नीत्शे के कथनानुसार एक अलग तनाव, और कुछ नहीं अपितु “शक्ति की चाह” को व्यक्त करता है, जिससे हम नटकीय रुप में आज साक्ष्य देते हैं।

“यह महत्वपूर्ण है कि, नीत्शे के विचारानुसार कुछ लोगों ने मानव अस्तित्व को “मौत के लिए होना”  परिभाषित करते आए हैं और सभी संभावित मानवीय संभावनाओं को “शुरुआत से शून्यता” के रूप में देखते हैं”,कार्डिनल ने कहा।

शून्यवाद और सापेक्षवाद

कार्डिनल ने कहा, यद्यपि यह हमारे वश की बात नहीं की कि हम किसी के बारे में न्याय करें, जर्मन दर्शनशास्त्री “जिसने अपने जीवन में दुःख सहा” जिसका “हृदय केवल ईश्वर जानते हैं”, उन्होंने कहा कि हम किसी भी व्यक्ति के बारे में तर्क-विचार नहीं दे सकते हैं, सारी चीजों नौतिकता, भाषा, दर्शन, कला निश्चित तौर पर धर्म में हम सापेक्षवाद को पाते हैं।

“कुछ भी अपने में ठोस नहीं है, सब कुछ तरल या वाष्प” की भांति है”, कार्डिनल ने कहा। “स्वच्छंदतावाद के समय लोग उदासी में डूबे रहते थे, आज वे शून्यवाद में खोये हैं।” उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय के रुप में हमारा कर्तव्य नीत्शे के विचार “ईश्वर की मृत्यु” को उद्घोषणा करना है कि इसके पीछे क्या है- यह मनुष्य का ईश्वर के अनंत प्रेम का खंडन है, जिसे सृष्टि की उत्पत्ति के वृतांत में प्रतीकात्मक रूप से वर्णित किया गया है, जिसकी पुष्टि उन्होंने खुद को नम्र बनाकर की। वे एक मनुष्य के रुप “मत्यु तक आज्ञाकारी बने रहे” (फिलिप्पियों 2.8)।

ईश्वरीय मृत्यु की घोषणा

शून्यावाद के विपरीत, “जो वैश्विक आध्यात्मिकता के सच्चा लिए बैल्क होल है” ईश्वर के पुनरूत्थान पर ख्रीस्तीय विश्वास है, कार्डिनल के कहा। “अतः हम कृतज्ञतापूर्ण हृदय से और पूर्ण विश्वास के साथ इस बात की घोषणा करें जिसे हम हर यूख्ररीस्तीय बलिदान में घोषित करते हैं, “हे प्रभु हम तेरी मृत्यु और पुनरूत्थान की घोषणा अनंत काल तक करते रहेंगे। 

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08 April 2023, 11:42