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संत पापा फ्रांसिस हंगरी की प्रेरितिक यात्रा में संत पापा फ्रांसिस हंगरी की प्रेरितिक यात्रा में  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

संत पापाः मानव भविष्य प्रार्थना में निहित है

संत पापा फ्रांसिस ने हंगरी की अपनी प्रेरितिक यात्रा में कलीसिया के अगुवों को प्रार्थनामय हंगरी, व्यक्ति बनने का आहृवान किया क्योंकि प्रार्थना में ही हमारा भविष्य निर्भर करता है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

बुडापेस्ट, शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने हंगरी की अपनी प्रेरितिक यात्रा के प्रथम चरण में संत स्तीफन के महागिरजाघर में कलीसिया के अगुवों धर्माध्यक्षो, पुरोहितों उपयाजकों, समर्पित लोगों, धर्मबंधुओं, गुरूकुल वासियों और प्रेरितिक कार्य में संलग्न व्यक्तियों से मुलाकात की और  उन्हें अपने संदेश में प्रार्थनामय व्यक्ति बनने का आग्रह किया।

संत पापा ने कहा कि 52वें अंतरराष्ट्रीय यूखारिस्तीय सम्मेलन के उपारंत हमारा पुनः यह मिलन कितना आनंदमय है। वह सम्मेलन हमारे लिए कृपा का समय था और मैं निश्चित रुप में कह सकता हूँ कि आप उसके आध्यात्मिक फलों का रसास्वादन अब भी कर रहे होंगे। संत पापा ने धर्माध्यक्ष वेरेस के प्रति कृतज्ञता के भाव अर्पित किये जिन्होंने हंगरी वासियों के मनोभावों को व्यक्त करते हुए कहा,“इस बदलते परिवेश में हम यह साक्ष्य देना चाहते हैं कि येसु ख्रीस्त हमारे भविष्य हैं”। यह अति महत्वपूर्ण चीज है जिसकी मांग हम सभों से की जाती है- बदलाव और हमारे संदर्भ में परिवर्तित हो रही चीजों को परिभाषित करना, प्रेरितिक चुनौतियों में बेहतर रूप में खरा उतरना है।

येसु ख्रीस्त हमारा भविष्य

हम येसु ख्रीस्त को अपने भविष्य के रुप में देखते हुए ऐसा कर सकते हैं जो आल्फा और ओमेगा हैं...जो है, जो था और जो आने वाला है, वही सर्वशक्तिमान है” (प्रका.1.8)। वे आदि और अंत हैं मानव इतिहास की नींव और उसका अंतिम लक्ष्य। पास्का की अवधि में हम “उन्हीं प्रथम और अंतिम” की माहिमा पर चिंतन करते हैं। हम अपनी दुनिया में आने वाले तूफानों, तीव्र सामाजिक परिवर्तन और विश्वास के संकटों का सामना, जो पश्चिमी संस्कृति को प्रभावित करती है, पास्का के सार पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हुए कर सकते हैं। पुनर्जीवित येसु जो इतिहास के क्रेन्द विन्दु हैं, वास्ताव में, भविष्य हैं। हमारा जीवन उनके हाथों में मजबूत बना रहता है। इस बात को भूलना हमें अपने भविष्य की रक्षा हेतु मानवीय मार्गों और माध्यमों का चुनाव करने को अग्रसर करता है, जिसके फलस्वरुप हम अपने को या तो आरामदायक बातों में बंद कर लेते और शांतिमय मरूधान की ओर चले जाते या दुनियादारी हवाओं में बहने लगते हैं। दोनों ही परिस्थितियों में हम ख्रीस्तीयता के जोश को खो देते हैं और पृथ्वी के लिए नमक नहीं रह जाते हैं।

प्रलोभनों से बचें

संत पापा ने इन दो दृष्टिकोणों के आधार पर कलीसिया को दो प्रलोभनों से बचे रहने का आहृवान किया। पहला वर्तमान समय का अस्पष्ट अध्ययन है, जो उन लोगों की हार से प्रेरित है जो इस बात पर जोर देते हैं कि सब कुछ खो गया है, कि हमने बीते दिनों के मूल्यों को खो दिया है और हमें पता नहीं कि हम कहाँ जा रहे हैं। वहीं हमारे लिए दूसरा खतरा समय के परिवर्तन को सहज रुप में देखना और अपने को उसके अनुरूप ढ़ालना है। दुनिया बदली गई है अतः हमें इसके अनुरूप अपने को ढ़ाल लेना उचित है। संत पापा ने कहा कि अतः धूमिल पराजयवाद और एक सांसारिक अनुरूपता के विरूद्ध संघर्ष करने हेतु धर्मग्रंथ हमारे लिए नई दृष्टि प्रदान करता है। यह हमें आत्मपरीक्षण की कृपा प्रदान करता और हमारे समय को खुलेपन और साथ ही एक प्रेरितिक निगाह से देखने का निमंत्रण देता है।

अंजीर का पेड़

इस संदर्भ में संत पापा फ्रांसिस ने धर्मग्रँथ में वर्णित अंजीर पेड़ का हवाला देते हुए अपने संदेश की चर्चा की जो येरुसालेम मंदिर के संदर्भ को प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि वे जो भव्यता की प्रंशसा कर रहे थे, जो दुनियावी दृष्टिकोण को व्यक्त करता है, जहाँ वे अपनी सुरक्षा को पवित्र स्थल और उसकी भव्यता में स्थापित करते हैं, येसु उनसे कहते हैं कि पृथ्वी पर कोई भी चीज अनंत नहीं है, सब कुछ अनिश्चित है, एक दिन आयेगा जब पत्थर के ऊपर पत्थर नहीं रह जायेगा। साथ ही, ऐसा न हो कि यह निराशा या भय उत्पन्न करे, वे आगे कहते हैं कि जब सब कुछ समाप्त हो जाएगा, जब मानव मंदिर गिर जाएंगे, भयानक चीजें होंगी, और हिंसक उत्पीड़न भड़क उठेगा, “तब वे मानव पुत्र को बड़ी शक्ति और महिमा के साथ बादलों पर आते देखेंगे।" हमें अंजीर के पेड़ से शिक्षा लेने की जरुरत है जो मौसम परिवर्तन का हाल व्यक्त करता है। संत पापा ने कहा कि हम अपने समय की स्थितियों और चुनौतियों पर चिंता करने हेतु बुलाये जाते हैं जो हमें ईश्वर के आगमन की ओर इंगित करते हैं। हमें वर्तमान परिस्थिति को परिभाषित करने, सुसमाचार के बीज बोने, सूखी डालियों को छांटने और इसे फलदायी बनाने हेतु बुलाया जाता है। हम प्रेरितिक संग्रहयता हेतु बुलाये जाते हैं।

कठिनाइयाँ हमारे लिए अवसर

संत पापा ने कहा कि प्रेरितिक संग्रहयता दुनिया में ईश्वर की निशानियों को पहचाना है जो हमें चुनौती प्रदान करते और इसका प्रत्युत्तर देने को आमंत्रित करते हैं। यह दुनियादारी का शिकार हुए बिना सभी चीजों को सुसमाचार की निगाहों से देखना है। दुनियादारी का प्रभाव, विश्वास की ठोस परांपरा इस देश में भी प्रसारित हो रहा है जो परिवार की निष्ठा और सुन्दरता को बहुधा जोखिम में डाल देता है। हम इन चुनौतियों का प्रत्युत्तर कठोरता, अस्वीकृति और एक झगड़ालू मनोभाव से देने की परीक्षा में पड़ जाते हैं। हमारे समाज की चुनौतियाँ हम ख्रीस्तीयों के लिए अवसरों के रुप में आते हैं क्योंकि वे हमारे विश्वास को मजबूत करते और सारी कठिनाइयों को गहराई से समझने में मदद करते हैं। ये हमें वार्ता के मार्ग में प्रवेश करने हेतु अग्रसर करते हैं। इस संदर्भ में संत पापा बेनेदिक्त 16वें कहते हैं कि विभिन्न परिस्थितियों की दुनियादारी ने कलीसिया को नवीनता और शुद्धिकरण में मदद की है। दुनियादारी प्रवृतियाँ...सदैव ही कलीसिया को दुनियावी चीजों से मुक्त होने में सहायता करती हैं।”      

संत पापा ने कहा कि वर्तमान समय के विभिन्न परिस्थितियों में वार्ता में प्रवेश करने की निष्ठा हमें सुसमाचार के साक्षी होने की मांग करती है जहाँ हम सवालों और चुनौतियों का उत्तर भयभीत या कठोरता के बिना देते हैं। यह आज की दुनिया में सहज नहीं है, यह बृहद सहास की मांग करता है। ऐसी परिस्थिति में उन्होंने पुरोहितों के ऊपर कार्य बोझ के बारे में जिक्र करते हुए बुलाहट के सूखाड़ पर चिंता व्यक्त किये। संत पापा ने प्रार्थना करने पर जोर देते हुए युवाओं में बुलाहटीय जीवन के प्रति प्रेरणा उत्पन्न करने का आहृवान किया।

सुसमाचार का साक्ष्य दें

संत पापा ने सिनोडल चिंतन पर जोर दिया जहाँ हमें सबों को शामिल करने की जरुरत है। सुसमाचार प्रचार की घोषणा के बारे में ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें कहानी बतलाने और अपने दैनिक जीवन की घटनाओं को एक दूसरे के संग साझा करें, यह हमारे लिए जरुरी है। “अच्छी प्रेरिताई हमारे लिए संभव है यदि हम अपने जीवन को, प्रेम और पवित्र आत्मा में उस तरह जीते जैसे ईश्वर ने हमें जीने की आज्ञा दी है”। वहीं यदि हम कठोर या एक-दूसरे से विभाजित हो जाते, यदि हम अपने सोचने-विचारने में कड़े हो जाते तो हम फलहित नहीं होते हैं। अपने में विभाजन के कारण हम एक दल स्वरूप काम करने के बदले शत्रुता के खेल में सहभागी हो जाते हैं। कलीसियाई जीवन के मुद्दे, राजनीतिक और सामाजिक समस्याएं, हमें ध्रुवीकृत करते हैं और हम वैचारिक आदर्शों के साथ जुड़ जाते हैं। हमें सदैव यह याद रखने की जरुरत है कि हमें एकता का साक्ष्य देना है क्योंकि ईश्वर एकता हैं जो हर परिस्थिति में भ्रातृत्वमय करूणा में उपस्थिति होते हैं। उन्होंने कहा “हम अपने विभाजन से ऊपर उठें और ईश्वर की दाखबारी में एक साथ कार्य करें”। संत पापा ने कलीसिया के अगुवों को प्रार्थना, विशेषकर पवित्र परमप्रसाद की आराधना करने, ईश वचन पर चिंता के साथ-साथ, गतिशील प्रशिक्षण, भ्रातृत्व, निकटता और दूसरों की चिंता करने पर बल दिया। हमें एक बहुमूल्य निधि सौंपी गई है हम उसे यूं ही व्यर्थ की चीजों को खोजने में न गवायें जो सुसमाचार के अनुरूप नहीं हैं।

पिता का रुप

पुरोहितों को संत पापा ने पिता के चेहरे को प्रस्तुत करने का आहृवान करते हुए कहा कि वे अपने में कठोर नहीं बल्कि दयालु और करूणावान बनें। भले चरवाहे का उदाहरण देते हुए उन्होंने सभी पुरोहितों को अपने में करूणावान चेहरे को धारण करने का निमंत्रण दिया जो दूसरों को क्षमा करता, दूसरों में दोषारोपण किये उन्हें स्वीकारता, किसी की टीका-टिप्पणी नहीं करता और चुंगली करने के बदले दूसरों की सेवा करता है।

प्रेरितिक ग्रहणशीलता पर प्रशिक्षण की बात कहते हुए संत पापा ने कलीसिया के अगुवों को प्रताड़ित ख्रीस्तीय के निकट रहने, प्रवासियों का स्वागत करने, दूसरे जाति के लोगों और जरूरतमंदों की सहायता करने का आहृवान किया। उन्हेंने हंगरी के संतों, संत स्तीफन का उदाहरण देते हुए गरीबों को सुनने और उनकी चिंता करने का सुझाव दिया। कलीसिया के रुप में हमें दूसरों को सुनने, वार्ता करने और अति संवेदनशीलों की देख-रेख करने की जरुरत है।   

ख्रीस्त हमारे भविष्य हैं क्योंकि वे हमारे इतिहास का दिशा-निर्देशन करते हैं। हंगरी के विश्वासियों ने इसका साक्ष्य दिया है। कार्डिनल माइंदेसजेंटी के बारे में जिक्र करते हुए प्रार्थना की शक्ति के बारे में उन्होंने कहा, “यदि लाखों हंगरी निवासी प्रार्थना करते हैं तो मुझे भविष्य का कोई भय नहीं है”। आप स्वागत करें, सुसमाचार का साक्ष्य दें और इससे भी बढ़कर प्रार्थना के नर और नारी बनें क्योंकि भविष्य इसी पर टिका है।

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28 April 2023, 16:01