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"पोप जॉन 23वें शांति लैब" के अप्रासियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस "पोप जॉन 23वें शांति लैब" के अप्रासियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिए विश्व दिवस रहने के अधिकार पर केंद्रित

समग्र मानव विकास के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग ने इस वर्ष के विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस की विषयवस्तु की घोषणा की, जो आजीविका और व्यक्तिगत विकास के विकल्प के रूप में प्रवासन को चुनने के अधिकार पर ध्यान केंद्रित करता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

24 सितंबर को मनाये जानेवाले आप्रवासियों और शरणार्थियों के 109वें विश्व दिवस के लिए संत पापा फ्राँसिस द्वारा चुनी गई विषयवस्तु इस प्रकार है, "पलायन करने या रहने का चुनाव करने लिए स्वतंत्र"।

यह दिवस हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को उन लोगों को समर्थन देने और उन लोगों के प्रति चिंता व्यक्त करने के अवसर के रूप में मनाया जाता है, जो अपने घर से भागने के लिए मजबूर होते हैं। साथ ही दुनिया भर के काथलिकों को प्रोत्साहन दिया जाता है कि वे संघर्ष और उत्पीड़न से विस्थापित लोगों की याद करें और उनके लिए प्रार्थना करें तथा उनके बीच आप्रवास के बारे में जागरूकता बढ़े। इसे पहली बार 1914 में मनाया गया था।

पलायन न करने का अधिकार पलायन करने से पहले

समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार इस वर्ष की विषयवस्तु एक ऐसे अधिकार पर विचार करने का निमंत्रण है जिसे अभी तक अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा संहिताबद्ध नहीं किया गया है: "अपनी मातृभूमि में रहने में सक्षम होने का अधिकार।"

विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह अधिकार प्रवासन के अधिकार से पहले और व्यापक है: "इसमें सार्वजनिक हित में साझा करने की संभावना, प्रतिष्ठा के साथ जीने का अधिकार और सतत विकास तक पहुंच शामिल है।” अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से इन सभी अधिकारों को साझा जिम्मेदारी के वास्तविक अभ्यास के माध्यम से मूल के देशों में प्रभावी ढंग से गारंटी दी जानी चाहिए।"

आधुनिक प्रवासन के कारण

इस बिंदु को पोप बेनेडिक्ट 16वें और पोप जॉन पौल द्वितीय दोनों ने पहले ही उजागर किया है। 2013 में आप्रवासियों और शरणार्थियों के 99वें विश्व दिवस के लिए अपने अंतिम संदेश में, दिवंगत जर्मन पोप ने टिप्पणी की थी कि, जब "व्यक्तियों के प्रवास के अधिकार को मौलिक मानवाधिकारों में गिना जाता है, लोगों को वहीं बसने की अनुमति दी जानी चाहिए जहाँ वे अपनी क्षमताओं, आकांक्षाओं और योजनाओं को साकार करने के लिए उत्तम महसूस करते हैं, वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में "प्रवासन के अधिकार से पहले भी, पलायन न करने के अधिकार की पुष्टि करने की आवश्यकता है, अर्थात् अपनी मातृभूमि में रहने के लिए।"

उन्होंने संत पापा जॉन पौल द्वितीय के शब्दों को याद किया जिन्होंने 1998 में कहा था कि "अपने देश में रहना एक बुनियादी मानव अधिकार है। हालाँकि, यह अधिकार तभी प्रभावी होता है जब लोगों को पलायन करने के लिए प्रेरित करनेवाले कारकों को लगातार नियंत्रण में रखा जाता है।"

तथ्य यह है कि कई लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर किया जाता है, इसलिए, समकालीन प्रवासन के कारणों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए।

संसाधन

हर साल की तरह, समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए विभाग एक संचार अभियान चलाएगा जिसका उद्देश्य मल्टीमीडिया एड्स, सूचनात्मक सामग्री और धर्मशास्त्रीय चिंतन के माध्यम से इस वर्ष के विषय की गहरी समझ को बढ़ावा देना है।

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21 March 2023, 17:35