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येरूसालेम के लिए लातीनी कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष के साथ पोप फ्राँसिस येरूसालेम के लिए लातीनी कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष के साथ पोप फ्राँसिस  (AFP or licensors)

पोप फ्राँसिस : येरूसालेम में सार्वभौमिक आध्यात्मिक मूल्य

संत पापा फ्राँसिस ने परमधर्मपीठ एवं फिलीस्तीन के बीच एक अंतरधार्मिक संवाद दल के प्रतिभागियों से मुलाकात की तथा येरूसालेम में तीन बड़े एकेश्वरवादी धर्मों के लिए सार्वभौमिक मूल्य की याद की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

परमधर्मपीठ इस सप्ताह रोम में अंतरधार्मिक वार्ता के लिए गठित विभाग और अंतरधार्मिक संवाद के लिए फिलिस्तीनी आयोग के बीच संवाद के लिए संयुक्त कार्यकारी दल की बैठक की मेजबानी कर रहा है।

पोप फ्राँसिस ने गुरुवार को वाटिकन में प्रतिभागियों से मुलाकात के दौरान इस कार्य समूह के प्रयासों को प्रोत्साहित किया।

इस मुलाकात में संत पापा फ्राँसिस ने कार्डिनल जॉन लुईस तौरान की भी याद की, जिन्होंने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति के धार्मिक मामलों के सलाहकार शेख महमूद अल-हब्बश के साथ दल की शुरुआत की थी।

येरूसालेम का आध्यात्मिक महत्व

संत पापा फ्राँसिस ने येरूसालेम के आध्यात्मिक महत्व पर भी प्रकाश डाला, जो कार्यदल की बैठक की विषयवस्तु थी।

उन्होंने 2019 में मोरोक्को के राजा के साथ की गई अपनी अपील दुहरायी, जिसमें उन्होंने येरूसालेम को हरेक जन के लिए "मानवता और विशेष रूप से तीन एकेश्वरवादी धर्मों के अनुयायियों की आम विरासत, मुलाकात का स्थान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रतीक कहा था।"

‘शांति का शहर’

संत पापा ने कहा, सुसमाचार बतलाता है कि येरूसालेम येसु के जीवन की कई घटनाओं का स्थान है।  

पवित्र शहर में ही प्रभु मंदिर में चढ़ाये गये थे और जहाँ उन्होंने उपदेश दिया, चमत्कार किये और दुःखभोग, मृत्यु एवं पुनरूत्थान के द्वारा अपने मिशन को पूरा किया।

येरुसालेम वही स्थान है जहाँ कलीसिया का जन्म हुआ, जब पवित्र आत्मा शिष्यों को दिया गया और उन्हें दुनिया में उद्धार के संदेश की घोषणा करने के लिए भेजा गया।

“येरूसालेम का एक सर्वभौमिक मूल्य है, जिसको उसके नाम से ही जाना जा सकता है, जिसका अर्थ है ‘शांति का शहर’।”

पीड़ित बच्चों के लिए एक माँ का रोना

संत पापा ने दुःभोग के पहले येसु के उस कथन की याद की जिसको उन्होंने पवित्र शहर के सामने कहा था। "जब वे नजदीक आये और शहर को देखा, तो उस पर यह कहकर रो पड़े, 'भला होता कि तुम आज भी उन बातों को जानती, जो शान्ति ला सकती है!'" (लूक. 19:41-42)

संत पापा फ्राँसिस ने परमधर्मपीठ-फिलिस्तीन संयुक्त कार्य समूह के सदस्यों को प्रोत्साहित किया कि वे येसु के शब्दों और येरूसालेम के लिए उनके आँसुओं के महत्व पर ध्यान दें।

"कितने पुरुष और महिलाएँ - यहूदी, ख्रीस्तीय और मुसलमान – येरूसालेम के लिए रोए हैं और आज भी रोते हैं!"

उन्होंने कहा, हम भी, जब यह मानते हैं कि पवित्र शहर एक माँ की तरह है जो अपने पीड़ित बच्चों के लिए शांति की कामना करती है, तो हमारी आँखों में आँसू आ जाते हैं।

विचारधार के ऊपर ईश्वर की करुणा

अंत में, संत पापा ने कार्य दल से आग्रह किया कि वे करुणा के महत्व की याद करें, जब वे येरूसालेम के लिए प्रेम पर चिंतन कर रहे हैं, जो सभी से सम्मान एवं आदर के योग्य है।  

संत पापा ने कामना की कि येरूसालेम के लिए ईश्वर की सहानुभूति, किसी विचारधारा या राजनीतिक मार्गरेखा से बढ़कर, हमारी अपनी बन जाए।

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09 March 2023, 16:50