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संत पापाः ख्रीस्तीय बुलाहट का सार प्रेरिताई

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन की धर्मशिक्षा माला में कलीसिया में प्रेरिताई का मर्म समझाते हुए हरएक ख्रीस्तीय को सुसमाचार प्रचार का प्रेरित घोषित किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

हम सुसमाचार के उत्साह पर अपनी धर्मशिक्षा को जारी रखते हैं यह सुसमाचार की घोषणा मात्र नहीं बल्कि उत्साह में सुसमाचार की घोषणा है, जिसे हम द्वितीय वाटिकन महासभा के आधार पर आज “प्रेरित” होने का अर्थ क्या है, बेहतर रुप में समझने का प्रयास करेंगे। “प्रेरित” शब्द हमें येसु के द्वारा चुने गये बाराह शिष्यों के दल की याद दिलाती है। कभी-कभी हम उन प्रेरितों को संतों की संज्ञा देते हैं या सामान्य तौर पर धर्माध्यक्षण, क्योंकि वे येसु के नाम में भेजे जाते हैं। लेकिन क्या हम इस बात को अनुभव करते हैं कि हर ख्रीस्तीय प्रेरितों की गिनती में आता हैॽ वास्तव में, हम सभी एक कलीसिया में प्रेरित होने के लिए बुलाये गये हैं जिसे हम विश्वास की घोषणा, अपने धर्मसार में करते हैं। 

प्रेरिताई का अर्थ- भेजा जाना

संत पापा ने कहा, अतः एक प्रेरित होने का अर्थ क्या हैॽ इसका अर्थ एक प्रेरिताई हेतु भेजा जाना है। हम इसे पुनरूत्थान की घटना में पाते हैं जहाँ पुनर्जीवित प्रभु अपने पिता की ओर से मिली अपनी शक्ति को पवित्र आत्मा के द्वारा चेलों को प्रदान करते हुए उन्हें दुनिया में भेजते हैं। संत योहन अपने सुसमाचार में इसके बारे लिखते हैं,“येसु ने पुनः अपने शिष्यों से कहा, तुम्हें शांति मिले। जिस तरह पिता ने मुझे भेजा है मैं तुम्हें भेजता हूँ।” इन शब्दों के बाद ईसा ने उनपर फूंक कर कहा, पवित्र आत्मा को ग्रहण करो” (यो 20.21-22)।

प्रेरिताई का दूसरा आयाम- बुलाहट

प्रेरित हो का एक दूसरा मूलभूत आधार हमारी बुलाहट है अर्थात हम बुलाये गये हैं। येसु ख्रीस्त ने शुरू से ही अपने शिष्यों को, जिन्हें वे चाहते थे अपने साथ रहने हेतु बुलाया” (मर.3.13)। वे एक समूह के रुप में उन्हें  “प्रेरितों” की संज्ञा देते हैं, जिससे वे उनके साथ रहें और जिन्हें वे अपनी प्रेरिताई हेतु भेज सकें (मर.3.14, मत्ती.10.1-42)। संत पौलुस कुरिथिंयों के नाम अपने प्रथम पत्र के शुरू में ही लिखते हैं, पौलुस, जो ईश्वर की इच्छा द्वारा बुलाया गया और येसु ख्रीस्त का प्रेरित नियुक्त हुआ। वहीं रोमियों के नाम अपने पत्र में, “पौलुस, मसीह का सेवक, जो ईश्वर द्वारा प्रेरित चुना गया” (रोम.1.1) लिखते हैं, वे इस सच्चाई पर बल देते हैं कि “वे न तो मनुष्य की ओर से और न किसी मनुष्य द्वारा प्रेरित नियुक्त किये गये हैं, बल्कि ईसा मसीह द्वारा और पिता परमेश्वर द्वारा जिसने उन्हें मृतकों में से पुनर्जीवित किया है” (गला.1.1)। ईश्वर ने उन्हें माता के गर्भ से ही चुन लिया था (गला.1. 15-16)।

मानवीय बुलाहट का सार

बाराह शिष्यों और संत पौलुस का साक्ष्य हमें आज भी चुनौती प्रदान करता है। वे हमें अपने मनोभावों, अपने चुनावों, निर्णयों के आधार पर अपने जीवन का पुनरावलोकन करने का निमंत्रण देते हैं- सारी चीजों ईश्वर के एक मुफ्त बुलावे में निर्भर करती हैं, ईश्वर हमें सेवाओं के लिए भी चुनते हैं जो कभी-कभी हमारी योग्यताओं के परे या हमारी आशातीत होती हैं, बुलाहट का जो उपहार हमें मुफ्त में मिला है हमसे मुफ्त में प्रत्युत्तर की मांग करता है।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा कहती है,“ख्रीस्तीय बुलाहट अपने स्वभाव में ही एक प्रेरितिक बुलाहट है”  (Decree Apostolicam actuositatem [AA], 2). यह हमारे लिए एक सामान्य बुलावा है, जैसे कि “हमारा मानवीय सम्मान जिसे हम पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त में साझा करते हैं, जहाँ हमें एक ही कृपा और पूर्णत प्राप्त करने की बुलाहट मिली है, जहाँ हम एक ही मुक्ति के, एक ही आशा और एक ही विखंडित करूणा के भागीदार होते हैं” (Lumen gentium, 32)।

संत पापा ने कहा कि यह एक बुलाहट है जो संस्कारीय अनुष्ठाता, धर्मसमाजी और लोकधर्मी नर-नारियों को अपने में सम्माहित करता है। यह सभों की बुलाहट है। ख्रीस्तीय बुलाहट की इस निधि को हमें दूसरों के संग साझा करने की जरुरत है। यह बुलाहट हमें कलीसिया में अपने प्रेरितिक कार्य को सक्रिया और सृजनात्मक रुप में पूरा करने के योग्य बनाती है,“जहाँ हम प्रेरिताई की विभिन्नता को उनकी एकता में पाते हैं। प्रेरितों और उनके उत्तराधिकारियों को शिक्षण, प्रबंधन और पवित्रिकरण के कार्य भार येसु ख्रीस्त के नाम और अधिकार में मिले। संत पापा ने कहा कि आप लोकधर्मियों को भी पुरोहिताई, नबी और येसु ख्रीस्त की राजकीय प्रजा का अधिकार मिला है जिसे आप अपने विभिन्न कार्यों के द्वारा कलीसिया और दुनिया में पूरा करते हैं।

इस संरचना में, वाटिकन महासभा द्वारा लोकधर्मियों का कलीसियाई अधिकारियों के संग सहयोगिता का अर्थ क्या हैॽ क्या यह नई उभरती स्थितियों के लिए मात्र रणनीतिक अनुकूलन है? नहीं, ऐसा नहीं है, इसका अर्थ इससे भी बढ़कर है जो इस समय की आकस्मिकताओं से परे है, जो हमारे लिए भी अपना मूल्य बनाए रखता है।

प्रेरिताई में हमारे मनोभाव क्या हैं

प्रेरितिक एकता की संरचना के अंदर, आदर्शों और प्रेरितिक कार्यों की विविधता को चाहिए कि वह कलीसिया में विशेषाधिकार प्राप्त श्रेणियों को जन्म न दे, यह इसलिए क्योंकि “ख्रीस्त की योजना के अनुरूप कुछ शिक्षक, पुरोहित और दूसरों के लिए रहस्यों के प्रकटकर्ता नियुक्त किये गये हैं, यद्यपि मानवीय सम्मान और सब विश्वासियों के सामान्य गतिविधि के संबंध में हम एक सच्ची समानता को साझा करते हैं, जिसके द्वारा हम मसीह के शरीर का निर्माण करते हैं।” (LG, 32). कसीसिया में अधिक सम्मान किसका है, पुरोहित का नहीं... सभी ख्रीस्तीयों का जो दूसरों की सेवा में हैं। कलीसिसा में सभी कोई बराबर हैं और यदि कोई पुरोहित अपने को दूसरों से महत्वपूर्ण समझता है तो वह अपने में गलत है। यह येसु की बुलाहट नहीं है। येसु की बुलाहट हमसे नम्रता में दूसरों की सेवा की मांग करती है। ईश्वर की बुलाहट हमें पिता की माहिमा करने को कहती है जो समुदाय में प्रेममय सेवा द्वारा होती है, जिसके द्वारा हम प्रेरित होने का साक्ष्य देते हैं।

मर्यादा की मांग हमें अपने संबंधों के कई पहलुओं पर पुनर्विचार करने को कहता है जो सुसमाचार प्रचार के लिए निर्णायक हैं। उदाहरण के लिए, क्या हम जानते हैं कि अपने शब्दों के द्वारा हम लोगों की गरिमा को नुकसान पहुँचा सकते हैं, जो कलीसिया के अंदर रिश्तों को बर्बाद कर सकती हैॽ वहीं हम दुनिया के साथ संवाद करने की कोशिश में, क्या यह जानते हैं कि विश्वासियों के रूप में हमे एक-दूसरे के संग कैसी वार्ता करनी चाहिएॽ क्या हम दूसरों को सुनना और उन्हें समझना जानते हैं या हम उन्हें अपनी बातें थोपते हैंॽ नम्रता में दूसरों को सुनना और उनकी सेवा करने में हम अपनी ख्रीस्तीय प्रेरिताई को व्यक्त करते हैं।

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि हम अपने को सवाल पूछने से न डरें, हम अडम्बर से, दिखावे भरे स्थानों से दूर रहें। यह बपतिस्मा में मिली हमारी बुलाहट को सत्यापित करने में मदद करेगा, कैसे हम कलीसिया में प्रेरितों की भांति दूसरों की सेवा में जीवन जीते हैं। 

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15 मार्च 2023, 15:09