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देवदूत प्रार्थना में पोप : ख्रीस्तीय ईश्वर के महिमामय प्रेम के प्रकाश को बांटें

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने बतलाया कि येसु का रूपांतरण किस तरह ख्रीस्त में शरीरधारी ईश्वरीय प्रेम के सौंदर्य एवं वैभव को प्रकट किया तथा उन्होंने इस प्रेम की चमकदार सुन्दरता को क्रूस में भी पहचानने का प्रोत्साहन दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटकिन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 5 मार्च 2023 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 5 मार्च को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

चालीसा काल के इस दूसरे रविवार को, रूपांतरण के सुसमाचार की घोषणा की गई है। येसु अपने साथ, पर्वत पर पेत्रुस, याकूब और योहन को लेते हैं, उनके सामने ईश्वर के पुत्र के रूप में अपनी सारी सुन्दरता को प्रकट करते हैं। (मती. 17:1-9)

प्रेम का चेहरा

संत पापा ने कहा, “आइये, हम थोड़ी देर इस दृश्य पर रूकें एवं अपने आप से पूछें: इस सुन्दरता का अर्थ क्या है? शिष्यों ने क्या देखा? क्या एक विशेष प्रभाव (इफेक्ट) को? जी नहीं। उन्होंने ईश्वर की पवित्रता की चमकती रोशनी को येसु के चेहरे एवं कपड़े में देखा, पिता की पूर्ण छवि को। ईश्वर प्रेम हैं। इसलिए, शिष्यों ने अपनी आँखों से ख्रीस्त में अवतारित दिव्य प्रेम की सुंदरता और भव्यता को देखा। स्वर्ग का एक पूर्वानुभव। यह शिष्यों के लिए एक बड़ा आश्चर्य था। इतने लंबे समय तक उनकी आंखों के सामने प्रेम का चेहरा था, बिना यह जाने कि वह कितना सुंदर है! केवल अब उन्हें अपार खुशी के साथ इसका एहसास हुआ।”

वास्तव में, इस अनुभव के द्वारा येसु उन्हें सिखा रहे हैं, उन्हें इससे भी बड़े कदम के लिए तैयार कर रहे हैं। जिसके तुरन्त बाद, उन्हें इसी सुन्दरता को पहचानना पड़ेगा, जब वे क्रूस पर चढ़ाये जायेंगे और उनके चेहरे को विरूपित किया जाएगा। पेत्रुस इसे नहीं समझ सका, वह समय को रोकना चाहता है, दृश्य में ठहराव लाना चाहता है, वहीं रूक जाना एवं इस अनोखे अनुभव में बने रहना चाहता है। लेकिन येसु ऐसा नहीं होने देते हैं। निश्चय ही, उनके प्रकाश को “जादूई पल” तक सीमित नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा किया जाए तो यह झूठा, कृत्रिम और कुछ ऐसा बन जाएगा जो भावुकता के कोहरे में विलीन हो जाएगा। दूसरी ओर, ख्रीस्त एक ऐसे प्रकाश हैं जो मरूस्थल में लोगों के लिए आग के खंभे के रूप में हमारी यात्रा को दिशा प्रदान करते हैं। (निर्गमन13:21) येसु की सुंदरता उनके शिष्यों को जीवन की वास्तविकता से अलग नहीं करती है, बल्कि उन्हें येरूसालेम तक, क्रूस तक उनका अनुसरण करने की शक्ति देती है।

यात्रा में धीर बने रहें

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, “भाइयो एवं बहनो, यह सुसमाचार हमारे रास्ते के लिए भी एक निशान छोड़ देता है। यह हमें सिखलाता है कि येसु के साथ रहना कितना महत्वपूर्ण है, उस समय भी जब उनके कहने और करने को समझना आसान न हो। वास्तव में, उनके साथ रहने से हम उनके चेहरे पर प्रेम की चमकदार सुंदरता को पहचानना सीखते हैं, भले ही वे जो हमें देते हैं, उस पर क्रूस के निशान हों। और उन्हीं के स्कूल में हम उन लोगों के चेहरों पर वही सुंदरता देखना सीखते हैं जो हर दिन हमारे साथ चलते हैं - परिवार, दोस्त, सहकर्मी जो अलग अलग तरीकों से हमारी चिंता करते हैं। कितने चमकदार चेहरे, कितनी मुस्कान, कितनी झुर्रियाँ, कितने आँसू और निशान हमारे चारों ओर प्रेम प्रकट करते हैं!

संत पापा ने कहा, “आइये, हम उन्हें पहचानना सीखें और उनसे अपने हृदय को भर लें। उसके बाद हमने जो प्रकाश प्राप्त की है उसे दूसरों को प्रेम के ठोस कार्य के रूप में देने के लिए बाहर निकलें। (1 यो. 3:18)  हमारे दैनिक व्यवसायों में अधिक उदारता दिखायें, प्यार करें, सेवा करें और अधिक ईमानदारी एवं तत्परता के साथ क्षमा करें।”

संत पापा ने विश्वासियों को चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “हम अपने आप से पूछ सकते हैं : क्या हम अपने जीवन में ईश्वर के प्रेम के प्रकाश को पहचानना जानते हैं? क्या हम इसे आनन्द और कृतज्ञता के साथ प्रेम करनेवालों के चेहरे पर देख पाते हैं? क्या हम इस प्रकाश के चिन्ह के लिए अपने आसपास नजर दौड़ाते हैं जो हमारे हृदय को प्रेम एवं सेवा से भर देता है? अथवा क्या हम मूर्तियों की पुआल की आग पसंद करते हैं जो हमें अलग-थलग कर देती है और हमें अपने आप में बंद करती है?”

माता मरियम जिन्होंने अपने बेटे के प्रकाश को अपने हृदय में रखा, कलवारी के अंधकार में भी, हमें प्रेम के रास्ते पर हमेशा साथ दे।  

 

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05 March 2023, 14:56